रांचीः पूरी दुनिया में शनिवार को विश्व पशु चिकित्सा दिवस (World veterinary day) मनाया जा रहा है. इस वर्ष विश्व पशु चिकित्सा संगठन (WVA) ने विश्व की परिस्थिति के अनुरूप विश्व पशु चिकित्सा दिवस का थीम "पशु चिकित्सा व्यवसाय को विविधता, समानता और समावेशिता को बढ़ावा देना" रखा है, लेकिन झारखंड में सरकारी पशु चिकित्सकों को सामान्य डॉक्टरों की तरह सुविधाएं नहीं मिलती हैं. झारखंड में पशुओं की संख्या के हिसाब से 2800 पशु चिकित्सक चाहिए, लेकिन सिर्फ 475 पशु चिकित्सक ही हैं. जिनके ऊपर एक करोड़, 40 लाख, एक हजार 42 कैटल यूनिट का भार है. ज्यादातर सरकारी पशु चिकित्सक अस्पताल भवन जर्जर है. साथ ही पारा मेडिकल स्टाफ की भी घोर कमी है.
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दुनिया भर में अप्रैल के अंतिम शनिवार को मनाया जाता है वर्ल्ड वेटरनरी डे: वर्ष 2000 में दुनिया के 70 देशों के पशु चिकित्सक वर्ल्ड वेटरनरी एसोसिएशन ( World Veterinary Association) के बैनर तले एकजुट हुए थे. पशु और पशु चिकित्सकों के कल्याण के लिए वैश्विक स्तर पर हुए इस अधिवेशन में यह फैसला लिया गया कि हर वर्ष अप्रैल महीने के अंतिम शनिवार को वर्ल्ड वेटरनरी डे मनाया जाएगा. 2001 से अलग-अलग थीम के साथ दुनिया भर में पशु चिकित्सा और पशुपालन से जुड़े लोग धूमधाम से इस दिन को दुनिया भर में मनाते हैं.
झारखंड में पशुपालन और पशु चिकित्सकों की स्थिति ठीक नहीं: झारखंड में पशुओं के स्वास्थ्य की रक्षा करने वाले पशुपालन विभाग की स्थिति अच्छी नहीं है. झारखंड में 20वीं पशु गणना के अनुसार कुल एक करोड़, 40 लाख, एक हजार 42 कैटल यूनिट हैं. नेशनल एग्रीकल्चर कमीशन 1976 के अनुसार हर 5000 कैटल यूनिट पर एक पशु चिकित्सक होना चाहिए. इस तरह राज्य में करीब 2800 पशु चिकित्सक की जरूरत है.
798 पशु चिकित्सक के पद, पर सेवा दे रहे मात्र 475 वेटनरी डॉक्टरः झारखंड पशु चिकित्सक सेवा संघ के अध्यक्ष डॉ सैमसन संजय टोपनो के अनुसार राज्य में पशु चिकित्सकों के सृजित पद ही पशुओं की गणना के अनुपात में काफी कम (798) हैं. उसमें से सिर्फ 475 डॉक्टर उपलब्ध हैं. करीब 323 पशु चिकित्सकों के सृजित पद खाली पड़े हैं. पशुओं के ज्यादातर अस्पताल भवन जर्जर हैं. पशुपालन में कंपाउंडर और कई पारा मेडिकल के पद खाली पड़े हैं. राज्य में वायरल इंफेक्शन की पहचान के लिए एक भी लैब नहीं है. राज्य के पशुओं में होनेवाली वायरल बीमारियों की पुष्टि और पहचान के लिए सैंपल कोलकाता और भोपाल के एडवांस लैब भेजा जाता है.
सरकार पर लगाया पशु चिकित्कों की उपेक्षा का आरोपः वहीं झारखंड पशु चिकित्सा सेवा संघ के महासचिव डॉ शिवा काशी कहते हैं कि भले ही इस वर्ष विश्व पशु चिकित्सा दिवस के थीम में इक्विटी यानि समानता भी शामिल हो, लेकिन झारखंड में पशु चिकित्सक उपेक्षा और भेदभाव के शिकार हैं. राज्य में यूनानी, आयुर्वेदिक, होमियोपैथी डॉक्टर्स जहां 65 वर्ष की उम्र में सेवानिवृत्त होते हैं, लेकिन पशु चिकित्सक के लिए सेवानिवृति की उम्र 60 वर्ष है. राज्य में पशु चिकित्सकों के कैडर में निदेशक का पद एक्स कैडर का कर दिया गया है . पशु चिकित्सकों को पदोन्नति के भी कम मौके उपलब्ध हैं.
वर्ष 2022-23 में 30 लाख मवेशियों और एक लाख से अधिक स्ट्रीट डॉग्स का किया गया टीकाकरण और नसबंदी: राज्य में कम संसाधनों के बावजूद वर्ष 2022-23 में गाय, भैंस सहित करीब 30 लाख से अधिक मवेशियों को खुरपका-मुंह चिपका रोग(एफएमडी) से बचाव का टीका दिया गया. वहीं कुत्तों के काटने से फैलने से बचाव और आवारा कुत्तों के प्रसार को कम करने के लिए रांची नगर निगम ने एक लाख से अधिक कुत्तों की नसबंदी और टीकाकरण कराया है. राज्य में पशु चिकित्सकों की कमी के बावजूद वर्ष 2022 में वारियर्स के समान सेवा दी है. कभी लंपी वायरस, कभी स्वाइन फीवर तो कभी बर्ड फ्लू (एवियन इनफ्लूएंजा) जैसी वायरल बीमारियों के खिलाफ जारी जंग में दिन-रात लगे रहे. वर्ष 2017 की पशु गणना के अनुसार झारखंड के 111.88 लाख कैटल, 13.50 लाख भैंस, 6.41 लाख भेड़, 91.21 लाख बकरियां, 12.76 लाख सूकर, 230.32 लाख पॉल्ट्री और 16.93 लाख बैकयार्ड डक हैं.