रांची: रांची विश्वविद्यालय से अलग हुए डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में शिक्षकों, कर्मचारियों और लैब टेक्नीशियन की भारी कमी है. इस वजह से विश्वविद्यालय प्रबंधन कई परेशानियों से लगातार जूझ रहा है, हालांकि उच्च शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालयों को यह शक्ति दी गई है, कि वह अपने स्तर से चतुर्थ और तृतीय वर्गीय कर्मचारियों की नियुक्ति कर सकते हैं, लेकिन इसमें भी कई पेंच है. इससे विवि प्रशासन उलझ कर रह गई है.
डॉ श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय में कुल विद्यार्थियों की संख्या 9 हजार 857 है, लेकिन इनके पठन-पाठन के लिए मात्र 64 ही शिक्षक हैं, जबकि विश्वविद्यालय में 200 से अधिक शिक्षकों की जरूरत है. इसके बावजूद भी इस ओर उच्च शिक्षा विभाग का ध्यान नहीं है. लगातार कर्मचारी रिटायर हो रहे हैं. उन पदों पर भी रिक्तियां भरी पड़ी है .इसके अलावा इस विश्वविद्यालय को लैब टेक्नीशियन, ऑफिस स्टाफ की भी जरूरत है और इस संबंध में विश्वविद्यालय प्रबंधन ने राज्यपाल द्रौपदी मुर्मू के अलावे विभाग को भी बार-बार अवगत कराया गया है. इसके बावजूद इस ओर ध्यान नहीं दिया गया है .
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उच्च शिक्षा विभाग ने विवि प्रबंधन को दिया अधिकार
हालांकि नई सरकार गठन होने के बाद उच्च शिक्षा विभाग ने विश्वविद्यालयों को यह निर्देश दिया गया है कि वह अपने स्तर से तृतीय और चतुर्थ वर्गीय कर्मचारियों की नियुक्ति कर सकते हैं, लेकिन इसमें भी कई पेंच है और इसी में उलझ कर विवि प्रशासन रह गई हैं. विश्वविद्यालय लगातार कर्मचारियों शिक्षकों और टेक्निशियंस की कमी का दंश झेल रही है और इसे सीधे पठन-पाठन पर प्रभाव पड़ रहा है .
क्लासेस जा रही है खाली
लगातार क्लासेस खाली जा रही है. एक ही शिक्षक पर भार बढ़ गया है. डीएसपीएमयू के वीसी एसएन मुंडा कहते हैं कि इस दिशा में सरकार को जल्द ध्यान देना होगा, नहीं तो विश्वविद्यालय के पठन-पाठन सुचारू तरीके से नहीं हो सकेगा. वहीं विद्यार्थियों ने भी कहा है कि इस और ध्यान देने की जरूरत है.
रांची कॉलेज से अपग्रेड कर डीएसपीएमयू का गठन हुआ है. गठन के बाद से ही इस विश्वविद्यालय में विद्यार्थियों का भार लगातार बढ़ रहा है, लेकिन रिक्त पड़े शिक्षकों और टेक्निशियंस के अलावे कर्मचारियों के पद भरे नहीं जा रहे हैं. जिसका खामियाजा सीधे तौर पर विद्यार्थियों को उठाना पड़ रहा है.