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झारखंड के प्लस-2 स्कूलों में कहीं शिक्षक हैं तो विद्यार्थी नहीं, कहीं स्टूडेंट्स हैं तो टीचर नहीं, कैसे संवरेगा भविष्य

राज्य के प्लस टू स्कूलों में कहीं शिक्षक हैं तो विद्यार्थी नहीं है और जहां विद्यार्थी है वहां शिक्षक नहीं. ऐसा इसलिए है क्योंकि इन स्कूलों में विषयवार शिक्षकों की नियुक्ति में भारी विसंगतियां हैं.

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Published : Sep 17, 2021, 10:24 PM IST

Updated : Sep 17, 2021, 10:48 PM IST

shortage of teachers in Jharkhand
प्रतिकात्मक तस्वीर

रांची: राज्य के प्लस टू हाई स्कूलों में एडमिशन की प्रक्रिया चल रही है. लेकिन इन स्कूलों में एडमिशन को लेकर स्टूडेंट्स में कुछ खास उत्साह नहीं देखा जा रहा है. ऐसा इसलिए भी है कि इन स्कूलों में विषयवार शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर भारी विसंगति है. माध्यमिक शिक्षा निदेशालय की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक राज्य में प्लस टू हाई स्कूल की संख्या 510 है. इसमें से आधे अधिक में शिक्षकों की विषयवार असमानता है. कॉमर्स, संस्कृत और बायोलोजी ऐसे प्रमुख विषय हैं जिनमें शिक्षक तो नियुक्त कर दिए गये हैं लेकिन इन विषयों में स्टूडेंट्स नहीं हैं.

आधे से अधिक में बिना स्टूडेंट्स के शिक्षक नियुक्त

झारखंड में राज्य गठन के समय 59 प्लस टू हाई स्कूल थे. पिछले 20 वर्षों में 451 नये प्लस टू स्कूल खोले गये. राज्य के इन हाई स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति वर्ष 1976 और प्लस 2 विद्यालयों में वर्ष 1993 में चिन्हित विषयों के आधार पर किया जा रहा है. अब तक तीन बार नियुक्ति क्रमशः वर्ष 2012, 2017 व 2018-19 में हुई है. इसके बाद भी आधे से अधिक प्लस टू हाई स्कूलों में विषयवार शिक्षक नहीं हैं. आंकड़े बताते हैं कि 510 प्लस टू हाई स्कूलों में से 320 ऐसे हैं. जहां कॉमर्स के शिक्षक तो हैं पर स्टूडेंट्स नहीं हैं. 100 से अधिक स्कूलों में संस्कृत और बायोलोजी के शिक्षक हैं पर यहां एडमिशन एक भी नहीं हुआ है.

ये भी पढ़ें- यहां कागजों पर सिमटा है 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' का नारा, 500 छात्राओं पर केवल 2 शिक्षक



एग्रीकल्चर की पढाई के लिए बिना स्टूडेंट्स के शिक्षक नियुक्त

निदेशालय के मुताबिक राज्य में एग्रीकल्चर की पढ़ाई के लिए शिक्षक तो नियुक्त हो रहे हैं. लेकिन आज तक स्टूडेंट्स नहीं मिले. वहीं 100 से अधिक विद्यालयों में जीव विज्ञान पढ़ने वाले विद्यार्थी नहीं हैं. कई जिलों में स्कूलों में इंटर पढ़ने वाले संस्कृत के एक भी विद्यार्थी नहीं है. फिर भी जीव विज्ञान और संस्कृत के शिक्षक हैं. प्लस टू स्तर पर 9 जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई तो हो रही है लेकिन आज तक पद सृजित नहीं हो पाया है. ऐसे में पांच साल से बिना शिक्षक नियुक्त हुए स्टूडेंट्स जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई कर रहे हैं.

49 हजार से 28 हजार हुए कॉमर्स स्टूडेंट्स

प्लस टू स्कूलों में कॉमर्स की पढ़ाई की बात करें तो आधे से अधिक स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं. ऐसे में बीते पांच साल में कॉमर्स पढ़ने वाले स्टूडेंट्स 49 हजार से 28 हजार हो गये. आंकड़े के मुताबिक साल 2015 में 49072, 2016 में 49286, 2017 में 47622, 2018 में 40244, 2019 में 34686 और 2020 में कॉमर्स पढ़ने वाले स्टूडेंट्स 28548 थे.

शिक्षक संघ ने उठाया सवाल

इस मामले को लेकर हाई स्कूल शिक्षक संघ ने सवाल उठाया है. साथ ही झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद से शिकायत भी की गई है. संघ की मानें तो इस तरह विसंगति होने के कारण विद्यालयों में पठन-पाठन सही तरीके से नहीं हो पा रही है. क्योंकि विद्यार्थी और शिक्षक के अनुपात में भी काफी उतार-चढ़ाव है. जिसका खामियाजा शिक्षकों और विद्यार्थियों को उठाना पड़ रहा है. विभाग मामले को लेकर जल्द से जल्द गंभीरतापूर्वक ध्यान दे.

रांची: राज्य के प्लस टू हाई स्कूलों में एडमिशन की प्रक्रिया चल रही है. लेकिन इन स्कूलों में एडमिशन को लेकर स्टूडेंट्स में कुछ खास उत्साह नहीं देखा जा रहा है. ऐसा इसलिए भी है कि इन स्कूलों में विषयवार शिक्षकों की नियुक्ति को लेकर भारी विसंगति है. माध्यमिक शिक्षा निदेशालय की ओर से मिली जानकारी के मुताबिक राज्य में प्लस टू हाई स्कूल की संख्या 510 है. इसमें से आधे अधिक में शिक्षकों की विषयवार असमानता है. कॉमर्स, संस्कृत और बायोलोजी ऐसे प्रमुख विषय हैं जिनमें शिक्षक तो नियुक्त कर दिए गये हैं लेकिन इन विषयों में स्टूडेंट्स नहीं हैं.

आधे से अधिक में बिना स्टूडेंट्स के शिक्षक नियुक्त

झारखंड में राज्य गठन के समय 59 प्लस टू हाई स्कूल थे. पिछले 20 वर्षों में 451 नये प्लस टू स्कूल खोले गये. राज्य के इन हाई स्कूलों में शिक्षकों की नियुक्ति वर्ष 1976 और प्लस 2 विद्यालयों में वर्ष 1993 में चिन्हित विषयों के आधार पर किया जा रहा है. अब तक तीन बार नियुक्ति क्रमशः वर्ष 2012, 2017 व 2018-19 में हुई है. इसके बाद भी आधे से अधिक प्लस टू हाई स्कूलों में विषयवार शिक्षक नहीं हैं. आंकड़े बताते हैं कि 510 प्लस टू हाई स्कूलों में से 320 ऐसे हैं. जहां कॉमर्स के शिक्षक तो हैं पर स्टूडेंट्स नहीं हैं. 100 से अधिक स्कूलों में संस्कृत और बायोलोजी के शिक्षक हैं पर यहां एडमिशन एक भी नहीं हुआ है.

ये भी पढ़ें- यहां कागजों पर सिमटा है 'बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' का नारा, 500 छात्राओं पर केवल 2 शिक्षक



एग्रीकल्चर की पढाई के लिए बिना स्टूडेंट्स के शिक्षक नियुक्त

निदेशालय के मुताबिक राज्य में एग्रीकल्चर की पढ़ाई के लिए शिक्षक तो नियुक्त हो रहे हैं. लेकिन आज तक स्टूडेंट्स नहीं मिले. वहीं 100 से अधिक विद्यालयों में जीव विज्ञान पढ़ने वाले विद्यार्थी नहीं हैं. कई जिलों में स्कूलों में इंटर पढ़ने वाले संस्कृत के एक भी विद्यार्थी नहीं है. फिर भी जीव विज्ञान और संस्कृत के शिक्षक हैं. प्लस टू स्तर पर 9 जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई तो हो रही है लेकिन आज तक पद सृजित नहीं हो पाया है. ऐसे में पांच साल से बिना शिक्षक नियुक्त हुए स्टूडेंट्स जनजातीय और क्षेत्रीय भाषा की पढ़ाई कर रहे हैं.

49 हजार से 28 हजार हुए कॉमर्स स्टूडेंट्स

प्लस टू स्कूलों में कॉमर्स की पढ़ाई की बात करें तो आधे से अधिक स्कूलों में शिक्षक नहीं हैं. ऐसे में बीते पांच साल में कॉमर्स पढ़ने वाले स्टूडेंट्स 49 हजार से 28 हजार हो गये. आंकड़े के मुताबिक साल 2015 में 49072, 2016 में 49286, 2017 में 47622, 2018 में 40244, 2019 में 34686 और 2020 में कॉमर्स पढ़ने वाले स्टूडेंट्स 28548 थे.

शिक्षक संघ ने उठाया सवाल

इस मामले को लेकर हाई स्कूल शिक्षक संघ ने सवाल उठाया है. साथ ही झारखंड शिक्षा परियोजना परिषद से शिकायत भी की गई है. संघ की मानें तो इस तरह विसंगति होने के कारण विद्यालयों में पठन-पाठन सही तरीके से नहीं हो पा रही है. क्योंकि विद्यार्थी और शिक्षक के अनुपात में भी काफी उतार-चढ़ाव है. जिसका खामियाजा शिक्षकों और विद्यार्थियों को उठाना पड़ रहा है. विभाग मामले को लेकर जल्द से जल्द गंभीरतापूर्वक ध्यान दे.

Last Updated : Sep 17, 2021, 10:48 PM IST
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