रांचीः झारखंड सरकार और शिक्षा विभाग की मंशा है कि राज्य के स्कूलों में ज्यादा से ज्यादा बच्चे पढ़ें. इसे लेकर सरकारी स्कूलों को प्राइवेट स्कूलों की तर्ज पर डेवलप करने की कोशिश की जा रही है. लेकिन स्थायी प्रधानाध्यापक नहीं होने के कारण इन योजनाओं को धरातल पर उतारने में विभाग को सफलता नहीं मिल रही है. प्रदेश के अधिकतर स्कूल प्रधानाध्यापक विहीन हैं. स्कूल में बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देनी हो या फिर अनुशासन कायम करना हो इनमें प्रिंसिपल्स की काफी महत्वपूर्ण भूमिका होती है.
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झारखंड के 1336 अपग्रेडेड हाई स्कूलों में एक भी प्रधानाध्यापक नहीं है. वहीं 95 फीसदी मिडिल स्कूल प्रधानाध्यापक विहीन है. हालांकि इन स्कूलों में प्रभार पर प्रधानाध्यापक रखे गए हैं. उनकी कार्यशैली और स्थायी प्रधानाध्यापकों की कार्यशैली में काफी अंतर है. केंद्र ने राज्य सरकार का ध्यान इस ओर आकृष्ट कराते हुए प्रिंसिपल के सभी रिक्त पदों को प्राथमिकता से भरने का निर्देश भी जारी किया है.
केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय के पदाधिकारियों ने समग्र शिक्षा अभियान के बजट को लेकर प्रोग्राम अप्रूवल बोर्ड की बैठक में राज्य के स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग के पदाधिकारियों का ध्यान इस ओर कराया है. लेकिन अब तक राज्य सरकार इस दिशा में कोई ठोस कदम नहीं उठा पायी है. केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने राज्य के मिडिल स्कूलों हाई स्कूलों और प्लस 2 स्कूलों में प्रधानाध्यापकों के अलावा शिक्षकों के भी सभी रिक्त पदों को भरने को कहा है.
यहां बताते चलें कि झारखंड में अपग्रेडेड हाई स्कूलों और मिडिल स्कूलों के अलावा गवर्नमेंट हाई स्कूलों में भी प्रधानाध्यापकों के 1559 और प्लस 2 स्कूलों में 661 पद रिक्त हैं. स्कूली शिक्षा साक्षरता विभाग की ओर से जेपीएससी को सितंबर 2016 में ही प्रधान अध्यापकों के 668 पदों पर नियुक्ति के अनुशंसा भेजी थी. आयोग में जुलाई 2017 में नियुक्ति प्रक्रिया शुरू करते हुए आवेदन मंगाए लेकिन अब तक नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी नहीं हो सकी है.
95 फीसदी मिडिल स्कूलों में भी प्रिंसिपल नहींः झारखंड के लगभग 95 प्रतिशत मिडिल स्कूल में प्रधानाध्यापकों के पद रिक्त हैं. राज्य के 9 जिलों के एक भी मिडिल स्कूल में प्रधानाध्यापक नहीं है. प्रिंसिपल के कुल 3126 पद स्वीकृत हैं. लेकिन महज 160 स्थायी प्रधानाध्यापक ही कार्यरत हैं. इन स्कूलों में प्रभार से काम चलाया जा रहा है. कहीं-कहीं तो अनुबंध पर कार्यरत शिक्षक इसकी जिम्मेदारी संभाल रहे हैं. दरअसल यह पद प्रोन्नति से भरे जाने हैं. लेकिन जिलों के अधिकारियों की लापरवाही के कारण शिक्षकों को प्रोन्नति नहीं मिल रहा है.
प्रोन्नति नहीं मिलने के कारण यह समस्या उत्पन्न हुई है. इस मामले को लेकर रिटायर्ड शिक्षकों ने भी सवाल खड़े किए हैं और उन्होंने राज्य सरकार से अपील किया है कि जल्द से जल्द इन पदों को भरा जाए ताकि राज्य में गुणवत्तापूर्ण शिक्षा विद्यार्थियों को दी जा सके. 15 वर्षों से शिक्षकों को प्रमोशन नहीं मिला है. नवनियुक्त 5 साल के अनुभव रखने वाले शिक्षकों को हाई स्कूल का प्रिंसिपल बनाया जा रहा है जो कहीं से भी तर्कसंगत नहीं है.
नियुक्ति की तैयारी में विभागः इसको लेकर विभाग की ओर से तैयारियां शुरू कर दी गयी हैं. राज्य के अपग्रेडेड हाई स्कूलों में प्राचार्यों की नियुक्ति के लिए अक्टूबर 2019 में स्थगित प्रक्रिया दोबारा शुरू किया जाएगा. झारखंड लोक सेवा आयोग (Jharkhand Public Service Commission) से होने वाली इस नियुक्ति में अन्य श्रेणी के माध्यमिक विद्यालयों के पद भी जोड़े जाएंगे जो बाद में रिक्त हुए हैं. नियुक्ति नियमावली में संशोधन के बाद इस का रास्ता साफ हुआ है. स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग जेपीएससी को नए सिरे से नियुक्ति के अनुसार रिक्तियां भेजने की तैयारी में है.
शिक्षा मंत्री ने मामले पर दिया बयानः इस मामले को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने शिक्षा मंत्री जगरनाथ महतो से भी प्रधानाध्यापकों की कमी को लेकर सवाल किया. इस सवाल के जवाब में शिक्षा मंत्री ने कहा कि सरकारी स्कूलों की तमाम समस्याएं धीरे-धीरे दूर कर ली जाएंगी. वो खुद इसकी मॉनिटरिंग कर रहे हैं आने वाले समय में यह परेशानी भी दूर होंगी. जिससे बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा दी जा सके.