रांची: झारखंड भीषण बिजली संकट से जूझ रहा है. राज्य के छोटे बड़े शहरों तक में बिजली कटौती जारी है, गांवों का और बुरा हाल है. इसको लेकर जगह-जगह प्रदर्शन भी हो रहे हैं. लेकिन झारखंड सरकार को कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है. जबकि राज्य के दो पूर्व मुख्यमंत्री इसको लेकर राज्य सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठा चुके हैं. वे इसके लिए सीएम हेमंत सोरेन को पत्र भी लिख चुके हैं. राज्य में बिजली के भीषण संकट का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि राज्य सरकार राजस्थान से 350 मेगावाट बिजली खरीद रही है. इसके बावजूद भी मांग और पूर्ति के अंतर को नहीं पाट पा रही है.
झारखंड के बिजली विभाग के अफसरों का कहना है कि दिन में दोपहर 12 बजे से 4 बजे तक बिजली की डिमांड अधिक रहती है. ऐसी स्थिति में व्यवस्था बहाल रखने के लिए झारखंड विद्युत वितरण निगम, राजस्थान से बिजली खरीदता है. जेबीवीएनएल महाप्रबंधक मुकेश कुमार सिंह की मानें तो बिजली संकट के समय अभी राजस्थान से हर दिन 300-350 मेगावाट बिजली की खरीद हो रही है. उन्होंने बताया कि झारखंड को सेंट्रल पूल से जो बिजली खरीदनी पड़ती है, वो राजस्थान से मिलनेवाली बिजली के मुकाबले महंगी है. उन्होंने बताया कि झारखंड में दिन में औसतन 1800 मेगावाट बिजली की मांग रहती है जिसमें 350 मेगावाट बिजली मिल जाती है. इससे थोड़ी मदद मिलती है.झारखंड में भीषण बिजली संकट, राजस्थान की 350 मेगावट बिजली भी कम पड़ी - सीएम हेमंत सोरेन को पत्र
झारखंड भीषण बिजली संकट से जूझ रहा है. राज्य के छोटे बड़े शहरों तक में बिजली कटौती जारी है, गांवों का और बुरा हाल है. हाल यह है कि झारखंड राजस्थान से भी 350 मेगावाट बिजली खरीद रहा है. इसके बाद भी बिजली की मांग और पूर्ति के अंतर को नहीं पाट पा रहा है.
रांची: झारखंड भीषण बिजली संकट से जूझ रहा है. राज्य के छोटे बड़े शहरों तक में बिजली कटौती जारी है, गांवों का और बुरा हाल है. इसको लेकर जगह-जगह प्रदर्शन भी हो रहे हैं. लेकिन झारखंड सरकार को कोई रास्ता नहीं सूझ रहा है. जबकि राज्य के दो पूर्व मुख्यमंत्री इसको लेकर राज्य सरकार की कार्यशैली पर सवाल उठा चुके हैं. वे इसके लिए सीएम हेमंत सोरेन को पत्र भी लिख चुके हैं. राज्य में बिजली के भीषण संकट का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि राज्य सरकार राजस्थान से 350 मेगावाट बिजली खरीद रही है. इसके बावजूद भी मांग और पूर्ति के अंतर को नहीं पाट पा रही है.