रांची: झारखंड में स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने और सरकार की फ्लैगशिप योजना को धरातल पर लाने को लिए वर्कशॉप किया गया. यह वर्कशॉप रांची के नामकुम स्थित स्टेट हेल्थ मुख्यालय में आयोजित हुआ, जिसमें हर जिले के 20-20 बेस्ट परफॉर्मर CHOs यानि सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों को बुलाया गया था. वर्कशॉप के पहले हाफ के बाद ही सभी सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों ने NHM के राज्य निदेशक के कार्यालय का घेराव किया.
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स्वास्थ्य विभाग की ओर से आयोजित वर्कशॉप में सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों को फर्स्ट हाफ में टीकाकरण से लेकर ई-संजीवनी योजना तक को सफल बनाने के लिए कई जानकारियां दी गई. वहीं, यह भी कहा गया कि सरकार की योजना को लेकर राज्य के करीब 1600 सीएचओ को इंटरनल ट्रेनिंग दिलाकर उनकी कैपेसिटी बिल्डिंग की है, ताकि इसका लाभ राज्य के लोगों को मिल सकें.
वर्कशॉप के फर्स्ट हाफ के बाद भोजनावकाश होते ही बड़ी संख्या में CHOs राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के राज्य निदेशक भुवनेश प्रताप सिंह के कार्यालय का घेराव करने पहुंचे और अपनी मांगों से अवगत कराने के लिए NHM निदेशक से बात करने की मांग के साथ नारेबाजी करने लगे. आक्रोशित CHOs ने कहा कि उनलोगों को लगातार परेशान किया जा रहा है, रात को निदेशक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मीटिंग करने लगते हैं और उसी समय चौक चौराहों पर जाकर हेल्थ के प्रति जागरुकता लाने का आदेश देने लगते हैं. नारेबाजी के बीच काफी देर बाद NHM निदेशक अपने चैंबर से निकले, लेकिन ना तो उन्होंने आंदोलित CHOs से कोई बात की और ना ही मीडिया से इस बारे में कुछ कहा.
झारखंड NHM निदेशक कक्ष के बाहर नारेबाजी कर रही रांची की CHO निवेदिता ने कहा कि उनकी लंबित मांग सेवा स्थायीकरण और तबादला को लेकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के राज्य निदेशक की सोच नकारात्मक रही है. वहीं बहुत सारे CHOs को 11-11 महीने से इंसेंटिव नहीं मिला है. इंसेंटिव के लिए पैसे की मांग की जाती है, भ्रष्टाचार चरम पर है और कोई सुनने वाला नहीं है.
लोहरदगा से आई CHO सरस्वती कहती है कि हर विभाग में किसका, कौन सा काम है यह निर्धारित होता है, लेकिन CHO को हर दिन नया-नया काम देकर टॉर्चर किया जाता है. सरस्वती ने कहा कि हमारा भी जॉब और रिस्पांसिबिलिटी तय कर दी जाए, ताकि बिना मानसिक कष्ट के हम जनता की सेवा कर सकें. रांची की सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारी ललिता ने कहा कि हमें किस तरह टॉर्चर किया जाता है, इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि NHM निदेशक रात नौ बजे ऑनलाइन मीटिंग करते हैं और 10 बजे रात में घर-घर जाकर आभा कार्ड बनाने के लिए कहते हैं, क्या कोई महिला CHO के लिए ऐसा करना संभव और सुरक्षित है. राज्य में सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों की नियुक्ति 03 साल के बॉन्ड और अनुबंध पर हुई है, उन्हें 25 हजार रुपया हर महीने फिक्स वेतन और 15 हजार इंसेंटिव देने का प्रावधान है, आंदोलित और आक्रोशित CHOs का आरोप है कि इस इंसेंटिव को लटकाने के पीछे भी घालमेल और भ्रष्टाचार है.
वर्कशॉप में भाग लेने आये करीब 1600 सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों ने किया एनएचएम निदेशक के कार्यालय का घेराव, जानें वजह
रांची में स्वास्थ्य व्यवस्था को बेहतर करने और सरकार की फ्लैगशिप योजना को लेकर वर्कशॉप का आयोजन किया गया, जिसमें राज्यभर से करीब 1600 CHO भाग लेने पहुंचे थे, लेकिन वर्कशॉप के फर्स्ट हाफ के बाद सभी CHO ने राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के राज्य निदेशक के कार्यालय का घेराव किया और अपनी मांगों को लेकर नारेबाजी भी की.
रांची: झारखंड में स्वास्थ्य व्यवस्था को दुरुस्त करने और सरकार की फ्लैगशिप योजना को धरातल पर लाने को लिए वर्कशॉप किया गया. यह वर्कशॉप रांची के नामकुम स्थित स्टेट हेल्थ मुख्यालय में आयोजित हुआ, जिसमें हर जिले के 20-20 बेस्ट परफॉर्मर CHOs यानि सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों को बुलाया गया था. वर्कशॉप के पहले हाफ के बाद ही सभी सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों ने NHM के राज्य निदेशक के कार्यालय का घेराव किया.
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स्वास्थ्य विभाग की ओर से आयोजित वर्कशॉप में सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों को फर्स्ट हाफ में टीकाकरण से लेकर ई-संजीवनी योजना तक को सफल बनाने के लिए कई जानकारियां दी गई. वहीं, यह भी कहा गया कि सरकार की योजना को लेकर राज्य के करीब 1600 सीएचओ को इंटरनल ट्रेनिंग दिलाकर उनकी कैपेसिटी बिल्डिंग की है, ताकि इसका लाभ राज्य के लोगों को मिल सकें.
वर्कशॉप के फर्स्ट हाफ के बाद भोजनावकाश होते ही बड़ी संख्या में CHOs राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के राज्य निदेशक भुवनेश प्रताप सिंह के कार्यालय का घेराव करने पहुंचे और अपनी मांगों से अवगत कराने के लिए NHM निदेशक से बात करने की मांग के साथ नारेबाजी करने लगे. आक्रोशित CHOs ने कहा कि उनलोगों को लगातार परेशान किया जा रहा है, रात को निदेशक वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से मीटिंग करने लगते हैं और उसी समय चौक चौराहों पर जाकर हेल्थ के प्रति जागरुकता लाने का आदेश देने लगते हैं. नारेबाजी के बीच काफी देर बाद NHM निदेशक अपने चैंबर से निकले, लेकिन ना तो उन्होंने आंदोलित CHOs से कोई बात की और ना ही मीडिया से इस बारे में कुछ कहा.
झारखंड NHM निदेशक कक्ष के बाहर नारेबाजी कर रही रांची की CHO निवेदिता ने कहा कि उनकी लंबित मांग सेवा स्थायीकरण और तबादला को लेकर राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन के राज्य निदेशक की सोच नकारात्मक रही है. वहीं बहुत सारे CHOs को 11-11 महीने से इंसेंटिव नहीं मिला है. इंसेंटिव के लिए पैसे की मांग की जाती है, भ्रष्टाचार चरम पर है और कोई सुनने वाला नहीं है.
लोहरदगा से आई CHO सरस्वती कहती है कि हर विभाग में किसका, कौन सा काम है यह निर्धारित होता है, लेकिन CHO को हर दिन नया-नया काम देकर टॉर्चर किया जाता है. सरस्वती ने कहा कि हमारा भी जॉब और रिस्पांसिबिलिटी तय कर दी जाए, ताकि बिना मानसिक कष्ट के हम जनता की सेवा कर सकें. रांची की सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारी ललिता ने कहा कि हमें किस तरह टॉर्चर किया जाता है, इसका अंदाजा इसी से लगा सकते हैं कि NHM निदेशक रात नौ बजे ऑनलाइन मीटिंग करते हैं और 10 बजे रात में घर-घर जाकर आभा कार्ड बनाने के लिए कहते हैं, क्या कोई महिला CHO के लिए ऐसा करना संभव और सुरक्षित है. राज्य में सामुदायिक स्वास्थ्य पदाधिकारियों की नियुक्ति 03 साल के बॉन्ड और अनुबंध पर हुई है, उन्हें 25 हजार रुपया हर महीने फिक्स वेतन और 15 हजार इंसेंटिव देने का प्रावधान है, आंदोलित और आक्रोशित CHOs का आरोप है कि इस इंसेंटिव को लटकाने के पीछे भी घालमेल और भ्रष्टाचार है.