रांचीः डूमरदगा स्थित बाल सुधार गृह प्रशासन के लिए चुनौती बन गया है. झारखंड के जेलों में पुलिस जितनी छापेमारी नहीं करती है, उससे अधिक छापेमारी बाल सुधार गृह में कर रही है. पिछले 3 महीने के भीतर 20 से अधिक बार औचक निरीक्षण किया है और प्रत्येक निरीक्षण के दौरान कोई न कोई आपत्तिजनक सामान बरामद हुआ है. अब पुलिस वैसे लोगों को टारगेट करने में जुटी है, जो लोग किसी न किसी माध्यम से बाल बंदियों तक मोबाइल और नशे के सामान पहुंचा रहे हैं. पुलिस ने बताया कि बाल बंदियों की काउंसिलिंग में उनके परिजनों को भी शामिल किया जाएगा.
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एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा ने बताया कि हाल के दिनों में बाल सुधार गृह में छापेमारी की गई. इस छापेमारी के दौरान आपत्तिजनक सामान बरामद किया है. उन्होंने कहा कि बाल सुधार गृह में अव्यवाहारिक गतिविधियों पर अंकुश लगाने को लेकर रणनीति तैयार किया गया है. उन्होंने कहा बाल सुधार गृह ओवर लोडेड भी है. इससे कुछ बंदियों को दूसरे जगह भी शिफ्ट किया जाएगा. इसके साथ ही बंदियों की काउंसिलिंग के दौरान उनके परिजन को भी शामिल किया जाएगा, ताकि बाल बंदी अव्यवहारिक कार्य नहीं करें.
दिए गए हैं कई सुझावः बाल सुधार गृह के एक साइड की दिवार फांदकर बाल बंदी फरार होते हैं. इसलिए दीवार के पास एक पोस्ट का निर्माण कराया जाए, साथ ही उस पोस्ट में पुलिसकर्मी की तैनाती की जाए, ताकि बाल बंदियों पर निगरानी रखी जा सके. इसके साथ ही सुझाव दिया गया है कि बाल बंदियों से मिलने के लिए एक स्थल बनाया गया, जिसका उपयोग नहीं हो रहा है. स्थिति यह है कि बाल बंदियों तक लोग नशी पदार्थ आसानी से पहुंचा रहे हैं. बंदियों से मिलने वाले स्थल पर जाली लगायी जाए.
एसएसपी ने कहा है कि हत्या, दुष्कर्म, लूट समेत अन्य संगीन जुर्म करने वाले बाल बंदी और सामान्य बाल बंदी सभी को एक साथ रखा जा रहा है. इसका सामान्य कैदियों पर खराब असर पड़ रहा है. इसलिए संगीन जुर्म के आरोपियों को अलग सेल में रखा जाएगा, ताकि वे किसी दूसरे बाल बंदी को अपने जुर्म नहीं बता सकें. बाल सुधार गृह परिसर में ही जेजे बोर्ड भी बना हुआ है. इन दोनों के बीच कोई बैरियन नहीं है. इसलिए बाल सुधार गृह और जेजे बोर्ड के बीच बैरियर लगाना चाहिए, ताकि कोई भी बांदी बाल सुधार गृह की तरफ नहीं जा सके.