नई दिल्ली: भारत के मुख्य न्यायाधीश एसए बोबडे की अगुवाई वाली सर्वोच्च न्यायालय की खंडपीठ ने झारखंड सरकार की याचिका पर सुनवाई को स्थगित कर दिया है. एटॉर्नी जनरल ने कोर्ट से पर्यावण क्लियरेंस को लेकर और समय मांगा. झारखंड सरकार ने 13 नवंबर को केंद्र सरकार की ओर से किए गए कोल आवंटन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है जिसपर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई.
झारखंड सरकार की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान केंद्र सरकार की ओर से एजी केके बेनुगोपाल कोर्ट में उपस्थित हुए. राज्य सरकार की ओर से याचिका में कहा गया है कि अधिक राजस्व की उगाही के लिए पर्यावरण क्लियरेंस के ही आवंटन को मंजूरी दे दी गई. इस पर एजी ने कहा कि आवंटन में जरूरी सभी प्रक्रिया को पूरी की गई है. जिसमें पर्यावरण और माइनिंग क्लियरेंस भी जुड़ा है.
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सीजेआई ने एजी को बताया कि वह यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि खनन पर्यावरण के लिए सुरक्षित हो. उन्होंने सुझाव दिया कि एक विशेषज्ञ समिति की नियुक्त जानी चाहिए, जो एजी को आवश्यक सहायता देगी. समित एक महीने में अपनी रिपोर्ट सौंपी जाएगी, तब तक कोई कार्रवाई नहीं की जाएगी. एजी ने कार्रवाई रोकने का विरोध किया और कहा कि केंद्र सरकार से अर्थव्यवस्था में तेजी लाने के लिए जो कदम उठाए गए है, उसको इससे झटका लगेगा.
सीजेआई ने यह भी कहा कि वह एक प्रस्ताव देने की योजना बना रहे हैं, जिसमें इको सेंसेटिव जोन के 50 किलोमीटर के अंदर खनन पर रोक लगाई जाए. इसपर एजी ने कहा कि इस पर रिकॉर्ड पेश करने के लिए समय दिया जाए.