रांचीः राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों के पीजी विभाग और विभिन्न अंगीभूत महाविद्यालयों में कार्यरत घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापक गुरुवार को अपनी मांगों को लेकर राजभवन के सामने अनिश्चितकालीन सत्याग्रह आंदोलन पर बैठ गए हैं.
इनकी मानें तो वर्तमान सरकार ने प्रतिपक्ष में रहते हुए इन शिक्षकों से वादा किया था कि हमारी सरकार बनने पर मांग पूरी की जाएगी. तीन वर्षों तक सेवा लेने के बाद 31 मार्च से इनकी सेवा भी समाप्त कर रही है. सरकार की ओर से किए गए अपने वादे का पालन करने का आग्रह करने के लिए उच्च शिक्षा में कार्यरत शिक्षक सत्याग्रह आंदोलन पर बैठ चुके हैं.
उच्च शिक्षा विभाग के संकल्प संख्या-04/वि०-1-135/ 2016-01, दिनांक 01.01.2021 के कंडिका संख्या-3 (ख) में कर्णांकित घंटी आधारित अनुबंध शिक्षक के पुनर्चयन के लिए नए पैनल के गठन का निर्देश दिया गया है और इसी से शिक्षकों को आपत्ति है. शिक्षकों की मानें तो इन शिक्षकों के साथ सरासर अन्याय किया गया है. जिसे अविलंब संशोधित करने और पूर्व के पैनल (02.03.2017) पर कार्यरत घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापकों को निश्चित मासिक मानदेय के साथ 65 वर्षों की आयु तक सेवा विस्तार करने की मांग सरकार से की गयी है.
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उच्च शिक्षा विभाग, झारखंड सरकार ने वर्तमान में कार्यरत घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापकों को अल्प अवधि 31 मार्च, 2021 तक के लिए सेवा विस्तार कर इन शिक्षकों को नैसर्गिक न्याय से वंचित रखा है. विदित हो कि इससे पूर्व उच्च, तकनीकी, शिक्षा एवं कौशल विकास विभाग के संकल्प सं-4/वि०-135/2016/516, दिनांक 02.03.2017 के आलोक में यूजीसी अर्हता के आधार पर कुलपति महोदय/महोदया की अध्यक्षता में गठित चयन समिति और बाह्य विषय-विशेषज्ञ की उपस्थिति में साक्षात्कार और शैक्षणिक अंक के प्राप्तांक के आधार पर, रोस्टर प्रणाली का पालन करते हुए स्वीकृत रिक्त पदों पर तैयार मेधा सूची से अनुशंसित विभिन्न अंगीभूत महाविद्यालयों और विश्वविद्यालय के स्नातकोत्तर विभागों में घंटी आधारित संविदा सहायक प्राध्यापक विगत तीन वर्षों से कार्यरत हैं. जिनके पैनल अवधि का विस्तार कंडिका-03(क) की ओर से अल्प समयावधि 31.03.2021 तक के लिए किया गया है. लेकिन फिर नए पैनल का गठन उसी प्रक्रिया के आधार पर करना अनुचित है. इस आशय की जानकारी राज्यपाल सह कुलाधिपति, मुख्यमंत्री, उच्च शिक्षा सचिव और उच्च शिक्षा निदेशक को भी दी गई है.
इस लिए राज्य के विभिन्न विश्वविद्यालयों की ओर से प्रकाशित होने वाले विज्ञापन पर अविलंब रोक लगाते हुए वर्तमान में कार्यरत घंटी आधारित अनुबंध सहायक प्राध्यापकों के पैनल का विस्तार 65 वर्षों की आयु तक, निश्चित मासिक मानदेय के साथ किया जाए. रिक्त पदों पर विज्ञापन प्रकाशित किया जाए. इन शिक्षकों ने अपनी मांग से सरकार को अवगत कराया है लेकिन अब तक इस दिशा में कोई ठोस पहल नहीं किया गया. इसलिए गुरुवार से अनुबंध सहायक प्राध्यापक अनिश्चितकालीन सत्याग्रह आंदोलन पर बैठ गए हैं.