रांचीः प्रदेश के पूर्व खाद्य, आपूर्ति एवं सार्वजनिक वितरण मामले के मंत्री और मौजूदा जमशेदपुर पूर्व से निर्दलीय विधायक सरयू राय ने शुक्रवार को कहा कि पूर्ववर्ती सरकार में रद्द किेए गए राशन कार्ड में अधिकतर बिना किसी जेन्युइन कारण के रद्द किेए गए थे. उन्होंने कहा कि इस विषय को उन्होंने मंत्री के रूप में 2017 में उठाया था.
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बड़े पैमाने पर राशन कार्ड रद्द किये गये थे
सरयू राह ने कहा कि तत्कालीन मुख्य सचिव राजबाला वर्मा ने 27 मार्च, 2017 को वीडियो कान्फ्रेंसिंग से अधीनस्थ पदाधिकारियों को निर्देश दिया था कि जिनके पास आधार कार्ड नहीं है, उनका राशन कार्ड रद्द कर दिया जाए. 29 मार्च, 2017 को उन्होंने विभागीय सचिव को इस आशय का लिखित आदेश भी दिया था. सरयू राय ने कहा कि उस दौरान इस कारण बड़े पैमाने पर राशन कार्ड रद्द किये गये. चूंकि विभाग के वेबसाईट में आधार नहीं होने के कारण राशनकार्ड रद्द करने से संबंधित काॅलम नहीं था, इसलिए विभागीय अधिकारियों ने आधार विहीन राशन कार्डधारियों के आधार नहीं का कोई न कोई अन्य कारण दिखा कर रद्द कर दिया.
इस बारे में सरयू राय ने 6 अप्रैल 2017 को विभागीय सचिव को सर्वोच्च न्यायालय के निर्देश और केंद्र सरकार के परिपत्र का हवाला देते हुए प्रासंगिक राशन कार्ड रद्द नहीं करने का निदेश दिया, जिसका पालन नहीं हुआ और विभाग के अधिकारियों ने यह जानकारी भी नहीं दी, कि राशन कार्ड को किस कारण से रद्द किया गया है और कितने राशन कार्ड रद्द हुए हैं. उन्होंने इसके बाद मुख्य सचिव के आदेश को रद्द कर दिया.
हैरत की बात यह है कि झारखंड सरकार के 1000 दिन पूरा होने पर उनके पास इससे जुड़ी संचिका आई कि 11 लाख 30 हजार राशन कार्ड निरस्त किए गए हैं. जिसका कोई कारण नहीं दर्शाया गया. उन्होंने कहा कि इसकी स्वीकृति नहीं दी गयी तो सीधे मुख्यमंत्री से आदेश लेकर 1000 दिन की उपलब्धि में इसे शामिल कर दिया गया.
दरअसल नोबेल पुरस्कार विजेता अभिजीत बनर्जी स्थलों के स्थापित शोध संस्थान के एक अध्ययन में पाया गया है कि 2017 में बिना जानकारी दिए गए 90 फीसदी राशन कार्ड फर्जी नहीं थे.