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कुड़मी, कुर्मी और महतो को ST में शामिल करने के प्रस्ताव का विरोध, सरना समिति ने दी आंदोलन की चेतावनी - कुड़मी, कुर्मी और महतो को एसटी में शामिल करने का विरोध

कुड़मी, कुर्मी और महतो को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने के प्रस्ताव के विरोध में केंद्रीय सरना समिति ने प्रदर्शन किया. सरना समिति के अध्यक्ष बबलू मुंडा का कहना है कि अगर इस प्रस्ताव को वापस नहीं लिया गया तो बड़ा आंदोलन करेंगे.

protest of proposal to include Kudmi, Kurmi and Mahato in ST
कुड़मी, कुर्मी और महतो को एसटी में शामिल करने के प्रस्ताव का विरोध
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Published : Jan 27, 2021, 3:27 PM IST

रांची: कुड़मी, कुर्मी और महतो को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का प्रस्ताव लाए जाने के विरोध में केंद्रीय सरना समिति के लोग सड़क पर उतर आए हैं. राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के सामने लोगों ने विरोध प्रदर्शन कर इस प्रस्ताव को वापस लेने की मांग की.

देखिये पूरी खबर

केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष बबलू मुंडा ने कहा कि महतो जाति की परंपरा और धार्मिक अनुष्ठान अलग हैं. ऐसे में कुड़मी, कुर्मी और महतो जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने से उनकी जाति का अपमान होगा. अगर इस प्रस्ताव को वापस नहीं लिया गया तो झारखंड में इसके लिए बड़ा आंदोलन करेंगे.

यह भी पढ़ें: ध्यानचंद अवार्डी पूर्व ओलंपियन सिलवानुस डुंगडुंग का जन्मदिन आज, राज्य और देश के कोहिनूर हैं ये पूर्व खिलाड़ी

झारखंड में कुड़मी, कुर्मी और महतो की बड़ी आबादी है और यह जाति ओबीसी में आरक्षित है. झारखंड राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने इस जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का प्रस्ताव लाया है. जिसका विरोध अभी से ही शुरू हो गया है. केंद्रीय सरना समिति इस प्रस्ताव का विरोध कर रही है.

रांची: कुड़मी, कुर्मी और महतो को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का प्रस्ताव लाए जाने के विरोध में केंद्रीय सरना समिति के लोग सड़क पर उतर आए हैं. राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग के सामने लोगों ने विरोध प्रदर्शन कर इस प्रस्ताव को वापस लेने की मांग की.

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केंद्रीय सरना समिति के अध्यक्ष बबलू मुंडा ने कहा कि महतो जाति की परंपरा और धार्मिक अनुष्ठान अलग हैं. ऐसे में कुड़मी, कुर्मी और महतो जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने से उनकी जाति का अपमान होगा. अगर इस प्रस्ताव को वापस नहीं लिया गया तो झारखंड में इसके लिए बड़ा आंदोलन करेंगे.

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झारखंड में कुड़मी, कुर्मी और महतो की बड़ी आबादी है और यह जाति ओबीसी में आरक्षित है. झारखंड राज्य पिछड़ा वर्ग आयोग ने इस जाति को अनुसूचित जनजाति में शामिल करने का प्रस्ताव लाया है. जिसका विरोध अभी से ही शुरू हो गया है. केंद्रीय सरना समिति इस प्रस्ताव का विरोध कर रही है.

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