रांची: झारखंड में प्राकृतिक का पर्व सरहुल की तैयारी को लेकर आदिवासी संगठन ने बैठक की. इसके साथ ही सरहुल मिलन समारोह किस तरह से मनाया जाए उस पर भी विचार-विमर्श किया गया. इस मिलन समारोह में झारखंड के कोने-कोने से आदिवासी संगठन पहुंचते हैं.
सरहुल में मिलन समारोह के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. आदिवासी संगठन ने बैठक में यह निर्णय लिया कि पूजा के बाद एक निश्चित समय पर शोभायात्रा निकाली जाएगी, इस शोभायात्रा में सरना धर्म कोर्ट की मांग मुख्य मुद्दा होगा.
समिति के अध्यक्ष आशीष उरांव ने कहा कि झारखंड जंगलों का राज्य है. इसमें हम लोग प्राकृतिक की पूजा करते हैं और उन्हें ही सब कुछ मानते हैं. मदरा मुंडा की इस पावन धरती पर पिछले कई वर्षों से सरहुल मिलन समारोह का आयोजन किया जा रहा है.
क्यों मनाया जाता है सरहुल
आदिवासियों का सबसे पहला राजा मदरा मुंडा का गढ़ रांची ही था और शासन प्रशासन यहीं से प्रारंभ होता था, इसके साथ सारी रणनीति भी यहीं से तैयार की जाती थी इसलिए यह बैठक भी यहां पर किया गया है.
बता दें कि सरहुल 8 मार्च को है, जिसमें शहर के तमाम जगहों से सरना समाज के लोग पारंपरिक वेशभूषा में लोक नृत्य करते हैं और शोभा यात्रा में शामिल होते हैं. इस दौरान विधि व्यवस्था को बनाए रखने के लिए आदिवासी संगठन ने जिला प्रशासन से सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने की मांग की है.