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हर्षोल्लास से मनाई जाएगी सरहुल, आदिवासी संगठन ने बैठक कर बनाई रणनीति - ईटीवी भारत न्यूज

प्राकृतिक का पर्व सरहुल की तैयारी को लेकर आदिवासी संगठन ने बैठक की. इसके साथ ही सरहुल मिलन समारोह किस तरह से मनाया जाए उस पर भी विचार-विमर्श की. आदिवासी संगठन ने  बैठक में यह निर्णय लिया कि पूजा के बाद एक निश्चित समय पर शोभायात्रा निकाली जाएगी.

हर्षोल्लास से मनाई जाएगी सरहुल
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Published : Apr 5, 2019, 2:23 PM IST

रांची: झारखंड में प्राकृतिक का पर्व सरहुल की तैयारी को लेकर आदिवासी संगठन ने बैठक की. इसके साथ ही सरहुल मिलन समारोह किस तरह से मनाया जाए उस पर भी विचार-विमर्श किया गया. इस मिलन समारोह में झारखंड के कोने-कोने से आदिवासी संगठन पहुंचते हैं.

हर्षोल्लास से मनाई जाएगी सरहुल

सरहुल में मिलन समारोह के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. आदिवासी संगठन ने बैठक में यह निर्णय लिया कि पूजा के बाद एक निश्चित समय पर शोभायात्रा निकाली जाएगी, इस शोभायात्रा में सरना धर्म कोर्ट की मांग मुख्य मुद्दा होगा.

समिति के अध्यक्ष आशीष उरांव ने कहा कि झारखंड जंगलों का राज्य है. इसमें हम लोग प्राकृतिक की पूजा करते हैं और उन्हें ही सब कुछ मानते हैं. मदरा मुंडा की इस पावन धरती पर पिछले कई वर्षों से सरहुल मिलन समारोह का आयोजन किया जा रहा है.

क्यों मनाया जाता है सरहुल
आदिवासियों का सबसे पहला राजा मदरा मुंडा का गढ़ रांची ही था और शासन प्रशासन यहीं से प्रारंभ होता था, इसके साथ सारी रणनीति भी यहीं से तैयार की जाती थी इसलिए यह बैठक भी यहां पर किया गया है.

बता दें कि सरहुल 8 मार्च को है, जिसमें शहर के तमाम जगहों से सरना समाज के लोग पारंपरिक वेशभूषा में लोक नृत्य करते हैं और शोभा यात्रा में शामिल होते हैं. इस दौरान विधि व्यवस्था को बनाए रखने के लिए आदिवासी संगठन ने जिला प्रशासन से सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने की मांग की है.

रांची: झारखंड में प्राकृतिक का पर्व सरहुल की तैयारी को लेकर आदिवासी संगठन ने बैठक की. इसके साथ ही सरहुल मिलन समारोह किस तरह से मनाया जाए उस पर भी विचार-विमर्श किया गया. इस मिलन समारोह में झारखंड के कोने-कोने से आदिवासी संगठन पहुंचते हैं.

हर्षोल्लास से मनाई जाएगी सरहुल

सरहुल में मिलन समारोह के साथ-साथ सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है. आदिवासी संगठन ने बैठक में यह निर्णय लिया कि पूजा के बाद एक निश्चित समय पर शोभायात्रा निकाली जाएगी, इस शोभायात्रा में सरना धर्म कोर्ट की मांग मुख्य मुद्दा होगा.

समिति के अध्यक्ष आशीष उरांव ने कहा कि झारखंड जंगलों का राज्य है. इसमें हम लोग प्राकृतिक की पूजा करते हैं और उन्हें ही सब कुछ मानते हैं. मदरा मुंडा की इस पावन धरती पर पिछले कई वर्षों से सरहुल मिलन समारोह का आयोजन किया जा रहा है.

क्यों मनाया जाता है सरहुल
आदिवासियों का सबसे पहला राजा मदरा मुंडा का गढ़ रांची ही था और शासन प्रशासन यहीं से प्रारंभ होता था, इसके साथ सारी रणनीति भी यहीं से तैयार की जाती थी इसलिए यह बैठक भी यहां पर किया गया है.

बता दें कि सरहुल 8 मार्च को है, जिसमें शहर के तमाम जगहों से सरना समाज के लोग पारंपरिक वेशभूषा में लोक नृत्य करते हैं और शोभा यात्रा में शामिल होते हैं. इस दौरान विधि व्यवस्था को बनाए रखने के लिए आदिवासी संगठन ने जिला प्रशासन से सुरक्षा व्यवस्था दुरुस्त करने की मांग की है.

Intro:बाइट--आशीष उराँव अध्यक्ष (मदरा मुंडा सरहुल मिलन)
बाइट-- अमर मदरा सचिव (मदरामुंडा सरहुल मिलन)

प्राकृतिक का पर्व सरहुल की तैयारी को लेकर महाराजा मदरा मुंडा के पावन धरती पर आदिवासी संगठन के द्वारा बैठक की गई जहां पर सरहुल पर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाने पर चर्चा किया गया साथ ही सरल मिलन समारोह किस तरह से मनाया जाए उस पर भी विचार-विमर्श किया गया। महाराजा मदरा मुंडा के पावन धरती पर होने वाले मिलन समारोह में झारखंड के कोने कोने से आदिवासी संगठन पहुंचते हैं उसके बाद संध्या को सरल मिलन समारोह के पश्चात सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन किया जाता है बैठक में निर्णय लिया गया की पूजा के पश्चात एक निश्चित समय पर शोभायात्रा निकाली जाएगी शोभायात्रा में सरना धर्म कोर्ट की मांग मुख्य मुद्दा होगा


Body:समिति के अध्यक्ष आशीष उरांव ने कहा कि झारखंड जंगलों का राज्य है इसमें हम लोग प्राकृतिक की पूजा करते हैं और प्राकृतिक को ही सब कुछ मानते हैं इसलिए सरहुल और उल्लास के साथ हर साल मनाया जाता है मदरा मुंडा की इस पावन धरती पर पिछले कई वर्षों से सरहुल मिलन समारोह का आयोजन किया जा रहा है आदिवासियों का सबसे पहला राजा मदरा मुंडा का गढ़ यही था और शासन प्रशासन यहीं से प्रारंभ होता था और इसी पर बैठकर रणनीति तैयार की जाती थी इसलिए यह बैठक भी यहां पर किया गया इस बार 10 तारीख को सम्मेलन का आयोजन किया गया है जिसमें विभिन्न जगहों से आदिवासी समाज के लोग पहुंचते हैं और एक दूसरे से मिलते हैं


Conclusion:बता दें कि सरूर पर आगामी 8 मार्च को है जिसमें शहर के तमाम मौजा से सरना समाज के लोग पारंपरिक वेशभूषा में लोक नृत्य करते हुए शोभा यात्रा में शामिल होते हैं और मुख्य सरना स्थल सिरम टोली पहुंचते हैं इस दौरान विधि व्यवस्था को बनाए रखने के लिए समिति ने जिला प्रशासन से मांग किया है कि शहर के विभिन्न चौक चौराहे पर पुलिस बल की तैनाती की जाए
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