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आदिवासी छात्रों को संताली भाषा दिलाएगी यूपीएससी में सफलता, हेमंत सरकार दिखाएगी राह, मुफ्त में मिलेगी कोचिंग सुविधा - झारखंड न्यूज

Free coaching of Santali language. आदिवासी छात्रों को संताली भाषा यूपीएससी में सफलता दिलाएगी. हेमंत सोरेन की सरकार ने इसके लिए मुफ्त में कोचिंग की सुविधा उपलब्ध कराई है. Santali language in UPSC.

Ramdayal Munda Tribal Welfare Research Institute
Free coaching of Santali language
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Dec 26, 2023, 6:44 PM IST

रांची: यूपीएससी पास करना हर छात्र का सपना होता है. इसके लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. विषय का चयन करना पड़ता है. मार्गदर्शन की जरुरत पड़ती है. इसमें कोचिंग संचालक अहम भूमिका निभाते हैं. लेकिन वहां पढ़ाई करना सबके बस की बात नहीं होती. अब इस समस्या से जूझ रहे आदिवासी छात्र-छात्राओं की चिंता दूर होने वाली है. हेमंत सरकार ने संताली भाषा कोचिंग के जरिए यूपीएससी और उसके समकक्ष प्रतियोगी परीक्षा की मुफ्त में तैयारी कराने का फैसला लिया है. प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्र-छात्राएं डॉ. रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान की वेबसाइट से या दूरभाष से और ज्यादा जानकारी ले सकते हैं.

डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान की ओर से गैर आवासीय संताली भाषा कोचिंग का शुभारंभ होने जा रहा है. संघ लोक सेवा आयोग की प्रतियोगी परीक्षा से जुड़ा यह विशेष कोचिंग कार्यक्रम लगभग 4 महीने का है. इसमें अब तक तीस छात्र-छात्राओं का नामांकन भी हो चुका है. इस प्रोग्राम का मकसद है अनुसूचित जनजाति संवर्ग के छात्रों को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल "संताली" भाषा में यूपीएससी की प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता दिलवाना. संताली भाषा के पाठ्यक्रम की खासियतों के कारण अन्य भाषा के पाठ्यक्रमों की प्रतियोगियों के लिए ज्यादा अंक हासिल होने की संभावना है. 8वीं अनुसूची में शामिल संताली भाषा की खासियत यह है कि मुंडारी भाषा परिवार की भाषाएं बोलने वाले मुंडारी, हो, खड़िया, आसुरी, बिरहोरी, बिरजिया, स्वासी समुदायों के प्रतिभागियों को उनकी मातृभाषा संताली से मिलती-जुलती होने के कारण तैयारी करने में कठिनाई नहीं होगी.

गैर मुंडारी भाषी के लिए भी अलग से अतिरिक्त कक्षाएं: इस कार्यक्रम की खासियत है कि गैर मुंडारी भाषा परिवार के छात्रों के लिए भी अलग के कक्षाएं संचालित होंगी. ताकि उन्हें संताली भाषा सीखने में आसानी हो. संस्थान में संचालित होने वाली ‘संताली भाषा कोचिंग’ को डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के संताली भाषा विभाग की सहायक प्राध्यापिका डुमनी माई मुर्मू, डॉ. फ्रांसिस सी. मूर्मू और डॉ. संतोष मुर्मू जैसे प्रोफेसर पाठ्यक्रम की तैयारी कराने में मदद करेंगे.

पाठ्यक्रम में गद्य, कविता उपन्यास, कहानियां, नाटक और जीवनी की पुस्तकें हैं. संस्थान की ओरर कोचिंग कार्यक्रम जनवरी के दूसरे सप्ताह से शुरु होगा. इसमें अनुसूचित जनजाति के युवक-युवतियों के लिए राज्य लोक सेवा आयोग की प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी और अति कमजोर जनजातीय समुदाय यानी PVTGT के युवाओं को राज्य की दूसरी प्रतियोगी परीक्षाओं केी तैयारी कराई जाएगी.

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रांची: यूपीएससी पास करना हर छात्र का सपना होता है. इसके लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है. विषय का चयन करना पड़ता है. मार्गदर्शन की जरुरत पड़ती है. इसमें कोचिंग संचालक अहम भूमिका निभाते हैं. लेकिन वहां पढ़ाई करना सबके बस की बात नहीं होती. अब इस समस्या से जूझ रहे आदिवासी छात्र-छात्राओं की चिंता दूर होने वाली है. हेमंत सरकार ने संताली भाषा कोचिंग के जरिए यूपीएससी और उसके समकक्ष प्रतियोगी परीक्षा की मुफ्त में तैयारी कराने का फैसला लिया है. प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे छात्र-छात्राएं डॉ. रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान की वेबसाइट से या दूरभाष से और ज्यादा जानकारी ले सकते हैं.

डॉ रामदयाल मुंडा जनजातीय कल्याण शोध संस्थान की ओर से गैर आवासीय संताली भाषा कोचिंग का शुभारंभ होने जा रहा है. संघ लोक सेवा आयोग की प्रतियोगी परीक्षा से जुड़ा यह विशेष कोचिंग कार्यक्रम लगभग 4 महीने का है. इसमें अब तक तीस छात्र-छात्राओं का नामांकन भी हो चुका है. इस प्रोग्राम का मकसद है अनुसूचित जनजाति संवर्ग के छात्रों को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल "संताली" भाषा में यूपीएससी की प्रतियोगी परीक्षाओं में सफलता दिलवाना. संताली भाषा के पाठ्यक्रम की खासियतों के कारण अन्य भाषा के पाठ्यक्रमों की प्रतियोगियों के लिए ज्यादा अंक हासिल होने की संभावना है. 8वीं अनुसूची में शामिल संताली भाषा की खासियत यह है कि मुंडारी भाषा परिवार की भाषाएं बोलने वाले मुंडारी, हो, खड़िया, आसुरी, बिरहोरी, बिरजिया, स्वासी समुदायों के प्रतिभागियों को उनकी मातृभाषा संताली से मिलती-जुलती होने के कारण तैयारी करने में कठिनाई नहीं होगी.

गैर मुंडारी भाषी के लिए भी अलग से अतिरिक्त कक्षाएं: इस कार्यक्रम की खासियत है कि गैर मुंडारी भाषा परिवार के छात्रों के लिए भी अलग के कक्षाएं संचालित होंगी. ताकि उन्हें संताली भाषा सीखने में आसानी हो. संस्थान में संचालित होने वाली ‘संताली भाषा कोचिंग’ को डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी विश्वविद्यालय के संताली भाषा विभाग की सहायक प्राध्यापिका डुमनी माई मुर्मू, डॉ. फ्रांसिस सी. मूर्मू और डॉ. संतोष मुर्मू जैसे प्रोफेसर पाठ्यक्रम की तैयारी कराने में मदद करेंगे.

पाठ्यक्रम में गद्य, कविता उपन्यास, कहानियां, नाटक और जीवनी की पुस्तकें हैं. संस्थान की ओरर कोचिंग कार्यक्रम जनवरी के दूसरे सप्ताह से शुरु होगा. इसमें अनुसूचित जनजाति के युवक-युवतियों के लिए राज्य लोक सेवा आयोग की प्रतियोगिता परीक्षा की तैयारी और अति कमजोर जनजातीय समुदाय यानी PVTGT के युवाओं को राज्य की दूसरी प्रतियोगी परीक्षाओं केी तैयारी कराई जाएगी.

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