रांची: केंद्रीय मनोचिकित्सा संस्थान (सीआइपी) में बिना टेंडर के सेनिटेशन का कार्य एक वर्ष के लिए एसआईएस सिक्योरिटी एजेंसी को दिया है. दो दिन पूर्व ही सीआइपी वर्क्स यूनियन ने इस पर कड़ी आपति जताई थी.
इसके बाद भी निदेशक डॉ. डी राम पर इसका कोई असर नहीं पड़ा. इस बात की जानकारी मिलने के बाद सरना समिति कांके का एक प्रतिनिधिमंडल शनिवार को सीआइपी निदेशक से मिला. सरना समिति के सदस्यों ने सीआइपी में एक वर्ष पूर्व एमटीएस के 102 पदों के निकाले गए विज्ञापन में देरी होने पर सवाल उठाया. इस पर निदेशक ने कहा कि आवेदन काफी ज्यादा संख्या में आए हैं.
छंटनी का कार्य चल रहा है. साथ ही प्रकिया में टाइम लगता है, इसलिए देर हो रही है. इस पर सरना समिति ने मांग है कि इन पदों पर शत-प्रतिशत नौकरी में स्थानीय को प्राथमिकता दी जाए. वहीं, जब संस्थान में एसआईएस सिक्योरिटी एजेंसी वर्ष 1999 से बिना टेंडर के लगातार कार्य करने, सेनिटेशन का कार्य एसआईएस को बिना टेंडर के देने, टेबल टेंडर के माध्यम से संस्थान में करोड़ों की दवा आपूर्ति किसी खास कंपनी को देना, आरटीपीएल को बिना टेंडर के करोड़ों का डिजीटलाउजेशन कार्य देने पर सवाल उठाया गया तो इस पर निदेशक चुप्पी साध गए.वहीं, सेनिटेशन का कार्य बिना टेंडर के देने से संबधित सवाल पूछे जाने पर निदेशक ने कहा कि इसमें चूक हुई है.
डेढ़ घंटे चली वार्ता में सरना समिति के दबाव में आकर आखिरकार निदेशक को जवाब देना पड़ा कि सीआइपी में नए सिरे से सिक्योरिटी और सेनिटेशन के टेंडर कराए जाएंगे. हालांकि उन्होंने कैमरे के सामने कुछ भी कहने से इनकार किया.सीआरपी निदेशक डी. राम के आश्वासन के बाद सरना समिति सदस्य के सदस्य माने..इस मौके पर सरना समिति के अध्यक्ष रंजीत टोप्पो ने कहा कि स्थानीय लोगों को प्राथमिकता नहीं दी गई है. डेढ़ महीने के भीतर नए सिरे से टेंडर नहीं होने पर समिति के द्वारा सीआईपी संस्थान परिसर के बाहर जोरदार आंदोलन किया जाएगा.