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सम्मेद शिखर विवाद: पारसनाथ में आदिवासियों का महाजुटान, विरोध के लिए पूरे देश से पहुंचे रहे लोग

सम्मेद शिखर में जैन समाज के लोगों को तो सरकार ने आश्वासन दिया है, लेकिन अब इस मामले में आदिवासी समुदाय के लोग सरकार के फैसले से नाराज हैं (Tribals in Parasnath Sammed Shikar disput). उनका कहना है कि पारसनाथ पहाड़ उनके मरांग बुरू हैं और वे प्राचीन काल से उनकी पूजा करते आए हैं. अब अगर उनके भावनाओं को ठेस पहुंचाई जाती है या फिर उन्हें धार्मिक अनुष्ठान करने से रोका जाता है तो इसका वे पुरजोर विरोध करेंगे. इसके लिए मंगलवार को पारसनाथ में आदिवासियों का महाजुटान हो रहा है (Mahajutan of tribals in Parasnath giridih).

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Sammed Shikhar
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Published : Jan 10, 2023, 7:34 AM IST

रांची: झारखंड स्थित सम्मेद शिखर पारसनाथ पहाड़ी के विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है (Tribals in Parasnath Sammed Shikar disput). अब आदिवासी इस पहाड़ को अपना मरांग बुरु बता रहे हैं. इसी के तहत वे पारसनाथ बचाओ आंदोलन कर रहे हैं. इसमें मंगलवार को मधुबन में आदिवासियों का महाजुटान होगा (Mahajutan of tribals in Parasnath giridih). यहां से आदिवासी मूलवासी पारसनाथ पर्वत में मरांग बुरु की रक्षा के लिए आंदोलन का शंखनाद करेंगे. आदिवासियों के कार्यक्रम को देखते हुए प्रशासन भी मुस्तैद है.

ये भी पढ़ें: पारसनाथ हैं मरांगबुरू, जैनियों के लिए आदिवासी आस्था से खिलवाड़, सरकार करे न्याय नहीं तो होगा आंदोलनः लोबिन

मंगलवार को आदिवासी समुदाय के लोग पारसनाथ पहाड़ी मरांग बुरू आंदोलन का शंखनाद कर रहे हैं इसी को देखते हुए मधुबन बाजार सहित आस-पास के इलाके में एएसपी हारिश बिन जमां ने पुलिस बल के जवानों ने फ्लैग मार्च निकाला. इससे पहले पिछले कुछ दिनों से कई गावों में आदिवासी अपने अपने धरोहर को बचाने का आह्वान किया गया था, और इसके लिए 10 जनवरी को देश भर के आदिवासियों से जुटने की अपील की गई थी. खास बात यह कि इन संगठनों की अगुवाई झामुमो के वरिष्ठ विधायक लोबिन हेंब्रम कर रहे हैं. पहाड़ी के आस-पास के लगभग 50 गांवों के लोगों ने कहा है कि इसकी तराई में वे पीढ़ियों से रहते आए हैं और इसपर किसी खास समुदाय का अधिकार नहीं हो सकता. आदिवासियों के महाजुटान में विशाल आमसभा का आयोजन किया गया है. सभा के बाद एक भव्य जुलूस निकालने की भी तैयारी है. महाजुटान कार्यक्रम में झामुमो विधायक लोबिन हेंब्रम, झारखंडी खतियान भाषा संघर्ष समिति के जयराम महतो समेत झारखंड, बंगाल और ओड़िशा के कई नेता शरीक होने वाले हैं. इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पूरे झारखंड से लोग मधुबन पहुंचे हैं.

इससे पहले सम्मेद शिखर पारसनाथ पहाड़ी को पर्यटन स्थल के रूप में नोटिफाई किए जाने का जैन समुदाय के लोग देश-विदेश में विरोध में कर रहे थे. जिसके बाद 5 जनवरी को केंद्र सरकार ने इस नोटिफिकेशन में संशोधन करते हुए यहां पर्यटन की सभी गतिविधियां स्थगित करने का आदेश जारी किया. केंद्र सरकार ने यहां मांस-शराब की बिक्री पर रोक लगाने और इस स्थान की पवित्रता को अक्षुण्ण रखने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने के निर्देश भी राज्य सरकार को दिए.

अब इस मामले में आदिवासी संगठनों का कहना है कि इस स्थान पर प्राचीन समय से आदिवासी रहते आए हैं. यह पहाड़ आदिवासियों का मरांग बुरू है. जिसमें मरांग का अर्थ होता है देवता और बुरू का अर्थ होता है पहाड़. आदिवासियों का कहना है कि वे सदियों से यहां प्राचीन तौर-तरीकों से पूजा करते आए हैं, और अब जैन समुदाय के दबाव में फैसला लिया जा रहा है. आदिवासी संगठनों ने चेतावनी दी है कि सरकार के किसी भी आदेश के जरिए यहां के मूल निवासियों और आदिवासियों को इस स्थान पर जाने या फिर अन्य तरह की परंपराओं के निर्वाह से रोका तो इसका पूरी शक्ति के साथ विरोध किया जाएगा. इसी के तहत आदिवासी मंगलवार को पारसनाथ में जुट रहे हैं.

रांची: झारखंड स्थित सम्मेद शिखर पारसनाथ पहाड़ी के विवाद खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है (Tribals in Parasnath Sammed Shikar disput). अब आदिवासी इस पहाड़ को अपना मरांग बुरु बता रहे हैं. इसी के तहत वे पारसनाथ बचाओ आंदोलन कर रहे हैं. इसमें मंगलवार को मधुबन में आदिवासियों का महाजुटान होगा (Mahajutan of tribals in Parasnath giridih). यहां से आदिवासी मूलवासी पारसनाथ पर्वत में मरांग बुरु की रक्षा के लिए आंदोलन का शंखनाद करेंगे. आदिवासियों के कार्यक्रम को देखते हुए प्रशासन भी मुस्तैद है.

ये भी पढ़ें: पारसनाथ हैं मरांगबुरू, जैनियों के लिए आदिवासी आस्था से खिलवाड़, सरकार करे न्याय नहीं तो होगा आंदोलनः लोबिन

मंगलवार को आदिवासी समुदाय के लोग पारसनाथ पहाड़ी मरांग बुरू आंदोलन का शंखनाद कर रहे हैं इसी को देखते हुए मधुबन बाजार सहित आस-पास के इलाके में एएसपी हारिश बिन जमां ने पुलिस बल के जवानों ने फ्लैग मार्च निकाला. इससे पहले पिछले कुछ दिनों से कई गावों में आदिवासी अपने अपने धरोहर को बचाने का आह्वान किया गया था, और इसके लिए 10 जनवरी को देश भर के आदिवासियों से जुटने की अपील की गई थी. खास बात यह कि इन संगठनों की अगुवाई झामुमो के वरिष्ठ विधायक लोबिन हेंब्रम कर रहे हैं. पहाड़ी के आस-पास के लगभग 50 गांवों के लोगों ने कहा है कि इसकी तराई में वे पीढ़ियों से रहते आए हैं और इसपर किसी खास समुदाय का अधिकार नहीं हो सकता. आदिवासियों के महाजुटान में विशाल आमसभा का आयोजन किया गया है. सभा के बाद एक भव्य जुलूस निकालने की भी तैयारी है. महाजुटान कार्यक्रम में झामुमो विधायक लोबिन हेंब्रम, झारखंडी खतियान भाषा संघर्ष समिति के जयराम महतो समेत झारखंड, बंगाल और ओड़िशा के कई नेता शरीक होने वाले हैं. इस कार्यक्रम में शामिल होने के लिए पूरे झारखंड से लोग मधुबन पहुंचे हैं.

इससे पहले सम्मेद शिखर पारसनाथ पहाड़ी को पर्यटन स्थल के रूप में नोटिफाई किए जाने का जैन समुदाय के लोग देश-विदेश में विरोध में कर रहे थे. जिसके बाद 5 जनवरी को केंद्र सरकार ने इस नोटिफिकेशन में संशोधन करते हुए यहां पर्यटन की सभी गतिविधियां स्थगित करने का आदेश जारी किया. केंद्र सरकार ने यहां मांस-शराब की बिक्री पर रोक लगाने और इस स्थान की पवित्रता को अक्षुण्ण रखने के लिए सभी आवश्यक कदम उठाने के निर्देश भी राज्य सरकार को दिए.

अब इस मामले में आदिवासी संगठनों का कहना है कि इस स्थान पर प्राचीन समय से आदिवासी रहते आए हैं. यह पहाड़ आदिवासियों का मरांग बुरू है. जिसमें मरांग का अर्थ होता है देवता और बुरू का अर्थ होता है पहाड़. आदिवासियों का कहना है कि वे सदियों से यहां प्राचीन तौर-तरीकों से पूजा करते आए हैं, और अब जैन समुदाय के दबाव में फैसला लिया जा रहा है. आदिवासी संगठनों ने चेतावनी दी है कि सरकार के किसी भी आदेश के जरिए यहां के मूल निवासियों और आदिवासियों को इस स्थान पर जाने या फिर अन्य तरह की परंपराओं के निर्वाह से रोका तो इसका पूरी शक्ति के साथ विरोध किया जाएगा. इसी के तहत आदिवासी मंगलवार को पारसनाथ में जुट रहे हैं.

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