रांची: कांग्रेस के सीनियर नेता सलमान खुर्शीद शनिवार को रांची पहुंचे. सलमान की मुलाकात मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से हुई. सलमान खुर्शीद के झारखंड दौरे के बाद सियासी हलचल तेज हो गई है. उनके इस दौरे के कई मायने निकाले जा रहे हैं. आरपीएन सिंह झारखंड कांग्रेस के प्रभारी हैं लेकिन पार्टी के आंतरिक विवाद के बावजूद उनकी जगह सलमान खुर्शीद का आना कई तरह के रणनीतिक संकेत दे रहा है.
बता दें कि इरफान अंसारी समेत कांग्रेस के कुछ विधायक प्रदेश नेतृत्व से नाराज चल रहे हैं. पिछले दिनों दिल्ली का दौरा भी कर चुके हैं. चुंकि, प्रदेश प्रभारी के नेतृत्व में टीम तैयार होती है और उनके देखने का तरीका अलग होता है. ऐसे में इस बात के कयास लगाए जा रहे हैं कि झारखंड कांग्रेस से न्यूट्रल फीडबैक के लिए सलमान खुर्शीद को यहां भेजा गया है.
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संगठन में दिखा नया जोश
सलमान खुर्शीद के आने के बाद संगठन में नया जोश भी देखने को मिला. प्रदेश नेतृत्व पर लगातार सवाल उठाने वाले इरफान अंसारी कांग्रेस के प्रदर्शन में शामिल हुए. महंगाई के खिलाफ रैली में उन्होंने भाग लिया. अब यह देखना दिलचस्प होगा कि सलमान खुर्शीद के दिल्ली लौटने के बाद आलाकमान को क्या फीडबैक देते हैं और वहां से किस तरह का निर्देश आता है.
सलमान के दौरे पर कई तरह की चर्चाएं
कांग्रेस के कई विधायक रांची से दिल्ली की दौड़ लगा रहे हैं और आलाकमान पर बार-बार 20 सूत्री के गठन और बोर्ड निगम में जगह देने के लिए दबाव बना रहे हैं. दूसरी तरफ जेवीएम के टिकट पर चुनाव जीतकर कांग्रेस में शामिल हुए बंधु तिर्की और प्रदीप यादव भी कांग्रेस की मान्यता नहीं मिलने से नाराज चल रहे हैं. गठबंधन की सरकार बने डेढ़ साल से ज्यादा का समय गुजर चुका है लेकिन अभी तक बोर्ड, निगम का बंटवारा नहीं हुआ है. माना जा रहा है कि इन्हीं विवादों पर विराम लगाने के लिए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता सलमान खुर्शीद रांची आए हैं. हालांकि, सीएम के साथ उनकी मुलाकात को एक शिष्टाचार मुलाकात बतायी जा रही है. लेकिन राजनीतिक गलियारे में चर्चा तेज है कि सलमान खुर्शीद आलाकमान की बात सीएम तक पहुंचाने के लिए आए हैं.
16 जुलाई को प्रदेश कांग्रेस प्रभारी आरपीएन सिंह ने दिल्ली में कहा था कि किसी तरह का विवाद नहीं है और जहां तक 20 सूत्री के गठन और बोर्ड, निगम में जगह देने की बात है तो इस पर फैसला इस माह के अंत तक हो जाएगा. राजनीति के जानकारों का कहना है कि विवाद शुरू होने के पीछे अधिकारियों की भूमिका कम नहीं है क्योंकि पिछले दिनों कांग्रेस की चार महिला विधायकों ने इस बात को जोर-शोर से उठाया था कि अधिकारी उनकी नहीं सुनते हैं. उसी दबाव का नतीजा था कि पुलिस मुख्यालय के तरफ से एक निर्देश जारी हुआ था कि जनप्रतिनिधियों का सम्मान करना है.