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JEE मेन परीक्षा में 6 बच्चों को मिला 100 परसेंटाइल, झारखंड के छात्र साकेत झा बने टॉपर

कोचिंग में एडमिशन लेने के पहले साकेत ने कुछ प्रश्न तैयार किए थे. जो रीजनल मैथमेटिक्स ओलंपियाड के थे. जिनके जरिए कोटा की फैकल्टी का टेस्ट लिया और जब उन्हें अपने प्रश्नों के उत्तर मिल गए. तब उसके बाद ही उन्होंने यहां पर एडमिशन लिया. साकेत की मां सुनीता का कहना है कि उन्होंने इस तरह के प्रश्नों को दूसरे शहरों की कोचिंग संस्थानों से भी सॉल्व करवाने की कोशिश की थी, लेकिन वहां पर उन्हें उत्तर नहीं मिला.

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Published : Mar 9, 2021, 11:01 PM IST

sakth jha the topper of jee main examination 2021 on etv bharat
परिवार के साथ छात्र साकेत

कोटा. जेईई मेन परीक्षा में 6 बच्चे 100 परसेंटाइल लेकर आए हैं. इनमें राजस्थान के टॉपर साकेत झा बने हैं जो मूलत: झारखंड के बोकारो के रहने वाले हैं. लेकिन बीते 4 साल से वह कोटा में ही पढ़ाई कर रहे हैं. कक्षा 9 में वह अपनी मां सुनीता के साथ कोटा आ गए थे. साकेत के परिजनों से ईटीवी भारत विशेष बातचीत की.

देखें पूरी खबर

उन्होंने बताया कि कोटा में एडमिशन लेने के पहले साकेत ने कुछ प्रश्न तैयार किए थे. जो रीजनल मैथमेटिक्स ओलंपियाड के थे. जिनके जरिए कोटा की फैकल्टी का टेस्ट लिया और जब उन्हें अपने प्रश्नों के उत्तर मिल गए तब उसके बाद ही उन्होंने यहां पर एडमिशन लिया. साकेत की मां सुनीता का कहना है कि उन्होंने इस तरह के प्रश्नों को दूसरे शहरों की कोचिंग संस्थानों से भी सॉल्व करवाने की कोशिश की थी लेकिन वहां पर उन्हें उत्तर नहीं मिला.

इधर, 100 परसेंटाइल लाने वाले साकेत का कहना है कि कोटा के कोचिंग संस्थान ने ऑफलाइन क्लासेज बंद होने पर भी ऑनलाइन में भी ऑफलाइन जैसी ही क्लासेज चलाई. कोटा पूरी तरह से डेडीकेट होकर बच्चों पर फोकस करता है. हमें सब कुछ मटेरियल घर बैठे ही मिल रहा था. साथ ही सभी डाउट क्लियर हो रहे थे, कोटा में अच्छा कंपटीशन मिलता है.

पढ़ें- स्पेशल: विलक्षण प्रतिभा की 'तेजस्विनी' न School गई न Tuition, फिर भी कंठस्थ हैं GK के सैकड़ों प्रश्नों के उत्तर

यहां पर दोस्त और टीचर ऐसे हैं जो डाउट्स को क्लियर कर ही देते हैं. स्ट्रेस भी हर स्टूडेंट्स को होता ही है, उस से निकलना भी खुद को ही पड़ेगा. डिस्ट्रक्शन नहीं रहना चाहिए, नहीं तो हम राह से भटक जाते हैं. कुछ ज्यादा टाइम वेस्ट हो गया तो, उसके लिए चिंता करते हैं और टाइम निकाल कर हमें उसके लिए पढ़ाई शुरू कर देनी चाहिए, जो टाइम पर हुआ था.

उस टाइम की छूटी हुई पढ़ाई समय निकाल पूरी कर देनी चाहिए. साथ ही साकेत के पिता संजय झा का कहना है कि कोटा शहर में साकेत के जो अनसोल्ड क्वेश्चन थे, वो सॉल्व हो गए. इसके बाद ही शहर में उसे सफलता दिलाई है. यहां पर फिजिकल, मेंटल, साइक्लोजिकल और हर तरह की मदद स्टूडेंट्स को दी जाती है. इसके चलते ही सफलता मिलती है. यहां पर पूरी मेंटरशिप के जरिए काम होता है, मैं कोटा का आभारी हूं कि मेरे बेटे को जेईई मेन का टॉपर बनाया है.

कोटा कॅरियर के साथ केयर सिटी भी है

कोटा की कोचिंग संस्थान के निदेशक नवीन माहेश्वरी का कहना है कि कोविड-19 के संकट के दौरान दो बच्चों को कोटा में संभाला है. उनके पैरंट्स को पूरा विश्वास दिलाया. हर बच्चे को कोटा ने सुरक्षित घर पहुंचाया.

कोटा. जेईई मेन परीक्षा में 6 बच्चे 100 परसेंटाइल लेकर आए हैं. इनमें राजस्थान के टॉपर साकेत झा बने हैं जो मूलत: झारखंड के बोकारो के रहने वाले हैं. लेकिन बीते 4 साल से वह कोटा में ही पढ़ाई कर रहे हैं. कक्षा 9 में वह अपनी मां सुनीता के साथ कोटा आ गए थे. साकेत के परिजनों से ईटीवी भारत विशेष बातचीत की.

देखें पूरी खबर

उन्होंने बताया कि कोटा में एडमिशन लेने के पहले साकेत ने कुछ प्रश्न तैयार किए थे. जो रीजनल मैथमेटिक्स ओलंपियाड के थे. जिनके जरिए कोटा की फैकल्टी का टेस्ट लिया और जब उन्हें अपने प्रश्नों के उत्तर मिल गए तब उसके बाद ही उन्होंने यहां पर एडमिशन लिया. साकेत की मां सुनीता का कहना है कि उन्होंने इस तरह के प्रश्नों को दूसरे शहरों की कोचिंग संस्थानों से भी सॉल्व करवाने की कोशिश की थी लेकिन वहां पर उन्हें उत्तर नहीं मिला.

इधर, 100 परसेंटाइल लाने वाले साकेत का कहना है कि कोटा के कोचिंग संस्थान ने ऑफलाइन क्लासेज बंद होने पर भी ऑनलाइन में भी ऑफलाइन जैसी ही क्लासेज चलाई. कोटा पूरी तरह से डेडीकेट होकर बच्चों पर फोकस करता है. हमें सब कुछ मटेरियल घर बैठे ही मिल रहा था. साथ ही सभी डाउट क्लियर हो रहे थे, कोटा में अच्छा कंपटीशन मिलता है.

पढ़ें- स्पेशल: विलक्षण प्रतिभा की 'तेजस्विनी' न School गई न Tuition, फिर भी कंठस्थ हैं GK के सैकड़ों प्रश्नों के उत्तर

यहां पर दोस्त और टीचर ऐसे हैं जो डाउट्स को क्लियर कर ही देते हैं. स्ट्रेस भी हर स्टूडेंट्स को होता ही है, उस से निकलना भी खुद को ही पड़ेगा. डिस्ट्रक्शन नहीं रहना चाहिए, नहीं तो हम राह से भटक जाते हैं. कुछ ज्यादा टाइम वेस्ट हो गया तो, उसके लिए चिंता करते हैं और टाइम निकाल कर हमें उसके लिए पढ़ाई शुरू कर देनी चाहिए, जो टाइम पर हुआ था.

उस टाइम की छूटी हुई पढ़ाई समय निकाल पूरी कर देनी चाहिए. साथ ही साकेत के पिता संजय झा का कहना है कि कोटा शहर में साकेत के जो अनसोल्ड क्वेश्चन थे, वो सॉल्व हो गए. इसके बाद ही शहर में उसे सफलता दिलाई है. यहां पर फिजिकल, मेंटल, साइक्लोजिकल और हर तरह की मदद स्टूडेंट्स को दी जाती है. इसके चलते ही सफलता मिलती है. यहां पर पूरी मेंटरशिप के जरिए काम होता है, मैं कोटा का आभारी हूं कि मेरे बेटे को जेईई मेन का टॉपर बनाया है.

कोटा कॅरियर के साथ केयर सिटी भी है

कोटा की कोचिंग संस्थान के निदेशक नवीन माहेश्वरी का कहना है कि कोविड-19 के संकट के दौरान दो बच्चों को कोटा में संभाला है. उनके पैरंट्स को पूरा विश्वास दिलाया. हर बच्चे को कोटा ने सुरक्षित घर पहुंचाया.

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