रांची: बीपीएल बच्चों के लिए शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में नामांकन का प्रावधान है. शुरुआती कक्षा में नामांकन के लिए ये नियम पूरे देश के साथ-साथ झारखंड में भी लागू है. लेकिनी निजी स्कूल धड़ल्ले से इसकी अनदेखी करते हैं. राजधानी रांची में इस साल भी कई निजी स्कूलों की सीटें खाली पड़ी हैं.
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नामांकन के लिए निजी स्कूलों की आनाकानी
गरीब बच्चों को बेहतर शिक्षा देने के लिए शिक्षा का अधिकार अधिनियम के तहत निजी स्कूलों में 25 फीसदी सीटों पर नामांकन लेना अनिवार्य किया गया है. राजधानी में कई निजी स्कूलों में इस दिशा में नामांकन की गति काफी धीमी है. बार-बार शिक्षा विभाग और उपायुक्त स्तर के साथ-साथ जिला शिक्षा पदाधिकारी की ओर से भी ऐसे स्कूलों को अल्टीमेटम दिया जा रहा है. लेकिन इन स्कूलों पर कोई असर होता नहीं दिख रहा है. एक तरफ जहां इस कोरोना काल के दौरान निजी स्कूलों की ओर से मनमाने तरीके से विभिन्न मदों में स्कूल फीस की वसूली की जा रही है, वहीं दूसरी ओर आरटीई(RTE) के तहत नामांकन लेने में भी ऐसे निजी स्कूल आनाकानी कर रहे हैं.
शिक्षा विभाग का नहीं नियंत्रण
बता दें कि इन पर राज्य सरकार के शिक्षा विभाग(education Department) का भी कोई नियंत्रण नहीं है और ये शिक्षा विभाग की ओर से जारी आंकड़ा ही बताता है. गौरतलब है कि राजधानी रांची के सभी निजी स्कूलों को मिलाकर कुल 952 सीटों पर बीपीएल बच्चों का नामांकन लेना है. साल 2020 -21 की बात करें, तो 952 सीटों के खिलाफ मात्र 352 बीपीएल बच्चों का ही नामांकन विभिन्न निजी स्कूलों में लिया गया है. वहीं 2021-22 के आंकड़े पर गौर करें, तो ये आंकड़ा पिछले वर्ष की तुलना में कम है. 952 सीटों के खिलाफ इस सत्र में भी आधे सीटों को भरा नहीं जा सका है. सत्र 2021-22 में मात्र 315 बच्चों का नामांकन राजधानी के स्कूलों में हुआ है.
विभाग के पास नहीं है कोई स्पष्ट जवाब
निजी स्कूलों को बार-बार अल्टीमेटम भी दिया जा रहा है, लेकिन निजी स्कूलों के कानों में जूं नहीं रेंग रहे हैं. शिक्षा विभाग ऐसे स्कूलों पर कार्रवाई करने में असमर्थ है और यही वजह है कि ऐसे निजी स्कूल लगातार मनमानी कर रहे हैं. मामले को लेकर दक्षिणी छोटानागपुर के शिक्षा उपनिदेशक अरविंद विजय बिलुंग(Arvind Vijay Billung, Deputy Director of Education) से जब पूछा गया तो उन्होंने कहा कि इसे लेकर एक कमेटी गठित की गई है. कमेटी पूरे मामले की निगरानी रख रही है. जिला शिक्षा पदाधिकारी की देखरेख में बीपीएल बच्चों के नामांकन की प्रक्रिया हो रही है. लेकिन अभी भी कई निजी स्कूलों की ओर से ऐसे बच्चों का नामांकन नहीं लिया गया है.
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प्रक्रिया है जटिल
बताते चलें कि निजी स्कूलों में बीपीएल बच्चों के नामांकन के लिए प्रक्रिया काफी जटिल है. ऐसे बच्चों के अभिभावक(Guardian) उन प्रक्रियाओं को पूरी नहीं कर पाते हैं. मजबूरन वो अपने बच्चों को एक निजी स्कूल में पढ़ाने का सपना देखते हुए भी नहीं पढ़ा पाते और अंत में सरकारी स्कूलों की ओर रुख कर रहे हैं. निजी स्कूल प्रबंधन(private school management) इसी का फायदा उठा रहे हैं. 25 फीसदी तो छोड़िए, 15 फीसदी सीटों पर भी नामांकन नहीं दे रहे हैं. इस ओर शिक्षा विभाग को निगरानी रखने की जरूरत है और ऐसे निजी स्कूलों पर नकेल कसने की भी.