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रांची: आरएमसी ने किया सेवा सदन अस्पताल का निरीक्षण, मिलीं ये खामियां

नगर आयुक्त मुकेश कुमार के निर्देश पर बायो मेडिकल वेस्ट के डिस्पोजल के संबंध में मंगलवार को नागरमल मोदी सेवा सदन अस्पताल का निरीक्षण किया गया. निरीक्षण के दौरान यह पाया गया कि बायो मेडिकल वेस्ट का डिस्पोजल सही तरीके से नहीं किया जा रहा है और बायोमेडिकल वेस्ट रूल का उल्लंघन किया जा रहा है.

inspection of Seva Sadan Hospital
सेवा सदन अस्पताल का निरीक्षण
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Published : Feb 2, 2021, 8:46 PM IST

रांची: नगर आयुक्त मुकेश कुमार के निर्देश पर बायो मेडिकल वेस्ट के डिस्पोजल के संबंध में मंगलवार को नागरमल मोदी सेवा सदन अस्पताल का निरीक्षण किया गया. निरीक्षण के दौरान यह पाया गया कि बायो मेडिकल वेस्ट का डिस्पोजल सही तरीके से नहीं किया जा रहा है और बायोमेडिकल वेस्ट रूल का उल्लंघन किया जा रहा है.

अस्पताल की कुल क्षमता 200 बेड बताई गई लेकिन 110 बेड का ही इस्तेमाल हो रहा था. बायोमेडिकल वेस्ट के डिस्पोजल के लिए विभिन्न रंगों के डस्टबिन भी नहीं मिले. सहायक लोक स्वास्थ्य पदाधिकारी डॉ किरण कुमारी के पूछने पर अस्पताल प्रबंधक कर्मियों ने बताया कि ऑपरेशन के बाद प्लेसेंटा को पीले रंग के प्लास्टिक में डाला जाता है और इसके बाद में उसे डस्टबिन में डाल दिया जाता है. अस्पताल में हर दिन दो से तीन ऑपरेशन किए जाते हैं.

यह भी पढ़ें: जमशेदपुर में छात्र ने पेश की ईमानदारी की मिसाल, एटीएम में रखे डेढ़ लाख रुपए थाने में जमा कराए

सिरिंज के डिस्पोजल के संबंध में भी स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई. अस्पताल प्रबंधन की ओर से यह भी बताया गया कि डॉक्टर सहित टेक्निकल और नॉन टेक्निकल स्टाफ की संख्या 300 है. अस्पताल प्रबंधन ने बायो मेडिकल वेस्ट से संबंधित प्रमाणपत्र भी उपलब्ध नहीं कराया. इसकी जांच की रिपोर्ट नगर आयुक्त को सौंपी जाएगी. इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.

रांची: नगर आयुक्त मुकेश कुमार के निर्देश पर बायो मेडिकल वेस्ट के डिस्पोजल के संबंध में मंगलवार को नागरमल मोदी सेवा सदन अस्पताल का निरीक्षण किया गया. निरीक्षण के दौरान यह पाया गया कि बायो मेडिकल वेस्ट का डिस्पोजल सही तरीके से नहीं किया जा रहा है और बायोमेडिकल वेस्ट रूल का उल्लंघन किया जा रहा है.

अस्पताल की कुल क्षमता 200 बेड बताई गई लेकिन 110 बेड का ही इस्तेमाल हो रहा था. बायोमेडिकल वेस्ट के डिस्पोजल के लिए विभिन्न रंगों के डस्टबिन भी नहीं मिले. सहायक लोक स्वास्थ्य पदाधिकारी डॉ किरण कुमारी के पूछने पर अस्पताल प्रबंधक कर्मियों ने बताया कि ऑपरेशन के बाद प्लेसेंटा को पीले रंग के प्लास्टिक में डाला जाता है और इसके बाद में उसे डस्टबिन में डाल दिया जाता है. अस्पताल में हर दिन दो से तीन ऑपरेशन किए जाते हैं.

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सिरिंज के डिस्पोजल के संबंध में भी स्पष्ट जानकारी नहीं दी गई. अस्पताल प्रबंधन की ओर से यह भी बताया गया कि डॉक्टर सहित टेक्निकल और नॉन टेक्निकल स्टाफ की संख्या 300 है. अस्पताल प्रबंधन ने बायो मेडिकल वेस्ट से संबंधित प्रमाणपत्र भी उपलब्ध नहीं कराया. इसकी जांच की रिपोर्ट नगर आयुक्त को सौंपी जाएगी. इसके बाद आगे की कार्रवाई की जाएगी.

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