रांची: झारखंड हाई कोर्ट ने रिम्स की लचर व्यवस्था (RIMS poor system) को लेकर दाखिल जनहित याचिका और रिम्स में फोर्थ ग्रेड नियुक्ति मामले पर सुनवाई हुई. मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई. अदालत ने कहा कि रिम्स में एक और एमआरआई मशीन लाने के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा जाये. रिम्स में चतुर्थवर्गीय पदों पर नियुक्ति मामले में अगली सुनवाई (RIMS grade appointment case Hearing in High Court) गुरुवार को होगी.
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मामले में कोर्ट द्वारा मौखिक रूप से कहा गया कि रिम्स जैसे बड़े संस्थान में 2 एमआरआई मशीन होनी चाहिए, ताकि एक खराब हो जाए तो दूसरा चलता रहे. फिलहाल अभी एक एमआरआई मशीन ही रिम्स के पास उपलब्ध है. दूसरे के लिए रिम्स गवर्निंग बॉडी की बैठक में प्रस्ताव लाए और इस पर विचार करें, ताकि दूसरे एमआरआई मशीन की खरीद के लिए राज्य सरकार को प्रस्ताव भेजा जा सके. सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा की रिम्स में चतुर्थवर्गीय पदों पर नियुक्ति के लिए रोक लगी है. उसमें अंतिम जांच प्रतिवेदन में आरक्षण के नियमों का पालन नहीं करने की बात कही गई है. कोर्ट ने अगली सुनवाई में आरक्षण रोस्टर रजिस्टर प्रस्तुत करने का निर्देश रिम्स को दिया है. अब रिम्स में चतुर्थवर्गीय पदों पर नियुक्ति मामले में कोर्ट मेरिट पर सुनवाई करेगा. अगली सुनवाई गुरुवार को होगी.
बता दें कि पूर्व में कोर्ट ने नियुक्ति पर रोक लगा दी थी. उल्लेखनीय है कि पूर्व की सुनवाई में कोर्ट ने निर्देश दिया था कि रिम्स में फोर्थ ग्रेड सहित अन्य के लिए किये गये नये विज्ञापन के आधार पर जो परीक्षा होगी. उसमें चयनित अभ्यर्थियों की नियुक्ति रिट याचिका में पारित आदेश से प्रभावित होगा. दरअसल रिम्स में फोर्थ ग्रेड की नियुक्ति के लिए 8 मार्च 2019 को विज्ञापन निकाला गया था. इसमें लैब अटेंडेंट और वार्ड अटेंडेंट के करीब 169 पद पर नियुक्ति के लिए विज्ञापन निकला था, जिसके आधार पर अभ्यर्थियों का चयन भी हो गया था. लेकिन अभ्यर्थियों को नियुक्ति पत्र नहीं दिया गया था. इसके खिलाफ प्राथियों की ओर से झारखंड हाइ कोर्ट में रिट याचिका दाखिल कर नियुक्ति पत्र निर्गत कराने का आग्रह किया गया था. हालांकि बाद में रिम्स ने इस विज्ञापन को रद्द कर दिया था.