रांची: रिम्स के स्त्री एवं प्रसूति वार्ड में कार्यरत नर्स आशीसन कुल्लू को फ्लोरेंस नाइटेंगल अवार्ड-2020 से सम्मानित किया गया. यह सम्मान ऑनलाइन के जरिए राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने प्रदान किया है. सम्मानित नर्स आशीसन ने गुरुवार को ईटीवी भारत से बातचीत में कहा कि इस तरह के सम्मान मिलने से नई ऊर्जा मिलती है.
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उन्होंने कहा कि वर्ष 1991 में नर्सिंग कॉलेज में प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए नामांकन लिया और 1999 से मरीजों की सेवा कर रही हूं. वर्ष 1999 में ही भारत सरकार में नौकरी मिल गई थी, लेकिन भारत सरकार की नौकरी छोड़ झारखंड में ही रही. उन्होंने कहा कि वर्ष 2003 से रिम्स में कार्यरत हूं और लगातार मरीजों की सेवा कर रही हूं.
नर्स का काम चुनौतिपूर्ण
आशीसन कुल्लू कहती हैं कि नर्स का काम काफी चुनौतिपूर्ण होता है. उन्होंने कहा कि डॉक्टर मरीजों की बीमारी का पता लगाते हैं, लेकिन मरीजों की सेवा नर्स ही करती हैं. उन्होंने कहा कि यह मेरे परिश्रम का ही फल है, जिसमें सहपाठियों के साथ-साथ सीनियर डॉक्टर और परिवार के लोगों का बड़ा योगदान है.
नर्सिंग सेवा में त्याग जरूरी
आशीसन कुल्लू के पति कामेश्वर आनंद ने बताया कि नर्सिंग सेवा के लिए त्याग बहुत जरूरी है. इसमें परिवार का सहयोग आवश्यक है. उन्होंने कहा कि हमेशा आशीसन की मदद में खड़ा रहा, ताकि अस्पताल में आने वाले गरीब मरीजों की सेवा में कोताही नहीं की जा सके. उन्होंने कहा कि परिवारिक परेशानी की वजह से कुछ नर्स मरीजों का ससमय इलाज नहीं कर पाती है, लेकिन हमने आशीसन कुल्लू को पारिवारिक जिम्मेदारी से दूर रखा, जिसका परिणाम राष्ट्रपति से मिला है.
परिवार एवं कल्याण मंत्रालय की ओर से दिया जाता है पुरस्कार
फ्लोरेंस नाइटेंगल पुरस्कार भारत सरकार के परिवार एवं कल्याण मंत्रालय की ओर से वैसे नर्सों को दिया जाता है, जो अपने क्षेत्र में अनुकरणीय कार्य के लिए जानी जाती है. यह पुरस्कार राष्ट्रपति के हाथों प्रदान किया जाता है. वर्ष 2020 में झारखंड की एकमात्र नर्स आशीसन कुल्लू को यह पुरस्कार प्रदान किया गया है.