रांची: अपने तीन वर्षों के एरियर की मांग को लेकर रिम्स सहित राज्य के सभी मेडिकल कॉलेजों में मंगलवार को जूनियर और सीनियर रेजिडेंट चिकित्सकों ने ओपीडी का कार्य बहिष्कार किया, साथ ही कार्य कर रहे वरिष्ठ चिकित्सकों को भी ओपीडी में सेवा देने से रोक दिया. इस वजह से रिम्स में ओपीडी सेवा बाधित रही.
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मरीजों को हो रही परेशानी
ओपीडी सेवा बाधित रहने से सैकड़ों मरीजों को बिना इलाज कराए ही वापस जाना पड़ा. मरीजों का कहना था कि दूरदराज इलाके से वह इलाज कराने पहुंचे थे, लेकिन डॉक्टरों के कार्य बहिष्कार की वजह से बिना इलाज कराए ही वापस जाना पड़ रहा है. अपने बेटे का इलाज कराने पहुंची श्रुति लाल बताती हैं कि डॉक्टरों के कार्य बहिष्कार के कारण उन्हें अब निजी अस्पताल जाना पड़ेगा, जबकि वे मध्यम परिवार से आते हैं. उनलोगों के लिए निजी अस्पताल में इलाज करना बहुत महंगा पड़ रहा है, इसीलिए रिम्स के ओपीडी में इलाज कराने पहुंचे थे, लेकिन डॉक्टरों की हड़ताल से उनका इलाज नहीं हो पाया.
चिकित्सकों की हक की लड़ाई
जेडीए अध्यक्ष डॉ विकास कुमार बताते हैं कि अपनी जायज मांगों को लेकर उनलोगों ने सरकार के सामने अपनी आवाज को बुलंद करने के लिए ओपीडी में 1 दिन का कार्य बहिष्कार किया है. अगर सरकार इससे भी नहीं समझेगी तो आने वाले समय में और भी कड़ा रुख अपनाया जाएगा. वहीं, डॉक्टर चंद्रभूषण और डॉ उमेश कुमार बताते हैं कि पिछले दिनों स्वास्थ्य सचिव से बातचीत का भी कोई असर नहीं दिख रहा है. स्वास्थ्य सचिव के तरफ से कोई लिखित आश्वासन भी नहीं मिला है, इसीलिए जरूरी है कि वे लोग अपनी आवाज को इतना अधिक बुलंद करें कि सरकार के कानों तक सीधा पहुंचे और चिकित्सकों को अपनी मेहनत की कमाई प्राप्त हो सके.
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रेजिडेंट चिकित्सकों का अनिश्चितकालीन कार्य बहिष्कार
पूरे ओपीडी में कार्य बहिष्कार होने की वजह से कई मरीजों को वापस लौटना पड़ा. मरीजों की परेशानी को देखते हुए ईटीवी भारत की टीम ने जब रिम्स के अधीक्षक डॉ विवेक कश्यप से बातचीत की तो उन्होंने बताया कि जूनियर डॉक्टर स्वास्थ्य व्यवस्था की रीढ़ होते हैं, जो स्वास्थ्य व्यवस्था में काफी मायने रखता है, लेकिन आज उनके कार्य बहिष्कार से मरीजों को दिक्कत हो रही है. इसके बावजूद भी प्रबंधन के तरफ से यह प्रयास किया जा रहा है कि सीनियर डॉक्टरों से ओपीडी को संचालित कराएं, ताकि मरीजों को ज्यादा समस्या ना हो.