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Health Workers Fast Unto Death: हेल्थ मिनिस्टर को ढूंढ रहे आमरण अनशन पर बैठे स्वास्थ्य कर्मचारी, मंत्री जी ने 7 फरवरी का दिया है अप्वांटमेंट

नियमितीकरण की मांग को लेकर झारखंड के 13 हजार स्वास्थ्य कर्मचारी आमरण अनशन पर हैं. अचरज की बात यह है कि अब तक कोई बड़ा अधिकारी इनकी सुध लेने नहीं आया है. स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता को तो इनकी फिक्र ही नहीं. जिससे ये कर्मचारी काफी नाराज हैं.

Health Workers Fast Unto Death
आमरण अनशन पर बैठे स्वास्थ्य कर्मचारी
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Published : Jan 31, 2023, 6:04 PM IST

Updated : Jan 31, 2023, 6:22 PM IST

जानकारी देते संवाददाता हितेश चौधरी

रांचीः राज्य भर के 13 हजार अनुबंध पर बहाल स्वास्थ्य कर्मचारी पिछले 24 जनवरी से आमरण अनशन पर हैं. जिस कारण कई स्वास्थ्य कर्मियों का स्वास्थ्य दिन प्रतिदिन बिगड़ता जा रहा है. सिर्फ स्वास्थ्य कर्मचारियों की ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य केंद्रों पर आने वाले मरीजों की भी स्थिति खराब होती जा रही है.

ये भी पढ़ेंः स्वास्थ्य विभाग के अनुबंधकर्मियों की हड़ताल से चिकित्सा व्यवस्था चरमराई, रिम्स और सदर अस्पताल पर बढ़ा मरीजों का दबाव

स्वास्थ्य कर्मचारियों की मांग है कि उन्हें नियमित किया जाए, क्योंकि पिछले 15 वर्षों से वह काम कर रहे हैं. उन्हें ना तो काम के हिसाब से वेतन मिल रहा है और ना ही सरकारी स्तर पर किसी तरह की सुविधा मुहैया हो पा रही है. स्वास्थ्य कर्मचारियों का कहना है कि कोरोना काल के दौरान उन्होंने अपनी जान पर खेलकर काम किया और आम लोगों की जान बचाई. इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग की तरफ से किसी भी तरह का कोई लाभ कर्मचारियों को नहीं दिया गया.

आमरण अनशन पर बैठे स्वास्थ्य कर्मचारियों की स्थिति दिन प्रतिदिन खराब हो रही है. कई कर्मचारियों को बेहतर इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है तो वहीं कई कर्मचारियों की धरना स्थल पर ही तबीयत खराब होती जा रही है. विभाग की तरफ से अभी तक ना तो कोई अधिकारी इनकी सुध लेने पहुंचे हैं ना ही स्वास्थ्य मंत्री इसको लेकर कोई संज्ञान ले रहे हैं.

आमरण अनशन पर बैठे स्वास्थ्य कर्मचारियों ने कहा कि जब वह अपनी बात कहने स्वास्थ्य मंत्री के पास गए तो उन्होंने सात फरवरी का समय दिया. अब ऐसे में यह सोचने वाली बात है कि 7 फरवरी तक क्या सभी कर्मचारी अनशन पर बैठे रहेंगे और आमलोग इलाज के लिए दर-दर भटकने को मजबूर रहेंगे. स्वास्थ्य कर्मचारियों ने कहा कि यदि स्वास्थ्य मंत्री एक बार उनसे मिलने आ जाएं और उन्हें किसी भी तरह का आश्वासन दे दिया जाए तो कम से कम वह अपने अनशन को तोड़ पाएंगे और आने वाले समय के लिए उन्हें उम्मीद रहेगी कि शायद उनकी जो मांग है वह पूरी हो पाएगी.

वहीं पूरे मामले पर ईटीवी भारत के संवाददाता ने जब राज्य के स्वास्थ्य सचिव अरुण कुमार सिंह से बात की तो उन्होंने कहा कि इस पर वह कुछ भी नहीं कह सकते. जब स्वास्थ्य मंत्री की तरफ से 7 फरवरी तक का समय दिया गया है तो इसका जवाब भी स्वास्थ्य मंत्री ही दे सकते हैं. अनुबंध पर बहाल स्वास्थ्य कर्मचारियों का यही कहना है कि जब उनके इतना काम करने वाले स्थायी कर्मचारियों को उनसे 3 गुना से 4 गुना ज्यादा वेतन दिया जा रहा है तो फिर उन्हें इतने कम वेतन क्यों दिया जाता है.

कर्मचारियों ने राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार बनने से पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने वादा किया, उन्होंने कहा था कि सभी अनुबंध पर बहाल स्वास्थ्य कर्मचारियों को नियमित किया जाएगा, लेकिन सरकार बनने के बाद वह अपने वादे को भूल चुके हैं. उनके वादों को याद दिलाने के लिए स्वास्थ्य कर्मचारी धरना प्रदर्शन और आमरण अनशन कर रहे हैं.

आमरण अनशन पर बैठे स्वास्थ्य कर्मचारियों ने कहा कि जब स्वास्थ्य मंत्री ही मानव जीवन की रक्षा करने वाले कर्मचारियों की चिंता नहीं कर रहे हैं तो ऐसे में सरकार और सिस्टम से क्या उम्मीद की जा सकती है. वहीं इस आमरण अनशन पर बैठे स्वास्थ्य कर्मचारियों ने मंत्री पर आक्रोश जाहिर करते हुए कहा कि ऐसे तो स्वास्थ्य मंत्री खुद को स्वास्थ्य विभाग का कप्तान बताते हैं, लेकिन आज वह मुख्यमंत्री के साथ मिलकर अपने क्षेत्र में कार्यक्रम में जुटे हैं और अपनी कप्तानी को भूल गए हैं जो कि निश्चित रूप से पूरे स्वास्थ्य विभाग के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है.

जानकारी देते संवाददाता हितेश चौधरी

रांचीः राज्य भर के 13 हजार अनुबंध पर बहाल स्वास्थ्य कर्मचारी पिछले 24 जनवरी से आमरण अनशन पर हैं. जिस कारण कई स्वास्थ्य कर्मियों का स्वास्थ्य दिन प्रतिदिन बिगड़ता जा रहा है. सिर्फ स्वास्थ्य कर्मचारियों की ही नहीं, बल्कि स्वास्थ्य केंद्रों पर आने वाले मरीजों की भी स्थिति खराब होती जा रही है.

ये भी पढ़ेंः स्वास्थ्य विभाग के अनुबंधकर्मियों की हड़ताल से चिकित्सा व्यवस्था चरमराई, रिम्स और सदर अस्पताल पर बढ़ा मरीजों का दबाव

स्वास्थ्य कर्मचारियों की मांग है कि उन्हें नियमित किया जाए, क्योंकि पिछले 15 वर्षों से वह काम कर रहे हैं. उन्हें ना तो काम के हिसाब से वेतन मिल रहा है और ना ही सरकारी स्तर पर किसी तरह की सुविधा मुहैया हो पा रही है. स्वास्थ्य कर्मचारियों का कहना है कि कोरोना काल के दौरान उन्होंने अपनी जान पर खेलकर काम किया और आम लोगों की जान बचाई. इसके बावजूद स्वास्थ्य विभाग की तरफ से किसी भी तरह का कोई लाभ कर्मचारियों को नहीं दिया गया.

आमरण अनशन पर बैठे स्वास्थ्य कर्मचारियों की स्थिति दिन प्रतिदिन खराब हो रही है. कई कर्मचारियों को बेहतर इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया है तो वहीं कई कर्मचारियों की धरना स्थल पर ही तबीयत खराब होती जा रही है. विभाग की तरफ से अभी तक ना तो कोई अधिकारी इनकी सुध लेने पहुंचे हैं ना ही स्वास्थ्य मंत्री इसको लेकर कोई संज्ञान ले रहे हैं.

आमरण अनशन पर बैठे स्वास्थ्य कर्मचारियों ने कहा कि जब वह अपनी बात कहने स्वास्थ्य मंत्री के पास गए तो उन्होंने सात फरवरी का समय दिया. अब ऐसे में यह सोचने वाली बात है कि 7 फरवरी तक क्या सभी कर्मचारी अनशन पर बैठे रहेंगे और आमलोग इलाज के लिए दर-दर भटकने को मजबूर रहेंगे. स्वास्थ्य कर्मचारियों ने कहा कि यदि स्वास्थ्य मंत्री एक बार उनसे मिलने आ जाएं और उन्हें किसी भी तरह का आश्वासन दे दिया जाए तो कम से कम वह अपने अनशन को तोड़ पाएंगे और आने वाले समय के लिए उन्हें उम्मीद रहेगी कि शायद उनकी जो मांग है वह पूरी हो पाएगी.

वहीं पूरे मामले पर ईटीवी भारत के संवाददाता ने जब राज्य के स्वास्थ्य सचिव अरुण कुमार सिंह से बात की तो उन्होंने कहा कि इस पर वह कुछ भी नहीं कह सकते. जब स्वास्थ्य मंत्री की तरफ से 7 फरवरी तक का समय दिया गया है तो इसका जवाब भी स्वास्थ्य मंत्री ही दे सकते हैं. अनुबंध पर बहाल स्वास्थ्य कर्मचारियों का यही कहना है कि जब उनके इतना काम करने वाले स्थायी कर्मचारियों को उनसे 3 गुना से 4 गुना ज्यादा वेतन दिया जा रहा है तो फिर उन्हें इतने कम वेतन क्यों दिया जाता है.

कर्मचारियों ने राज्य सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि सरकार बनने से पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने वादा किया, उन्होंने कहा था कि सभी अनुबंध पर बहाल स्वास्थ्य कर्मचारियों को नियमित किया जाएगा, लेकिन सरकार बनने के बाद वह अपने वादे को भूल चुके हैं. उनके वादों को याद दिलाने के लिए स्वास्थ्य कर्मचारी धरना प्रदर्शन और आमरण अनशन कर रहे हैं.

आमरण अनशन पर बैठे स्वास्थ्य कर्मचारियों ने कहा कि जब स्वास्थ्य मंत्री ही मानव जीवन की रक्षा करने वाले कर्मचारियों की चिंता नहीं कर रहे हैं तो ऐसे में सरकार और सिस्टम से क्या उम्मीद की जा सकती है. वहीं इस आमरण अनशन पर बैठे स्वास्थ्य कर्मचारियों ने मंत्री पर आक्रोश जाहिर करते हुए कहा कि ऐसे तो स्वास्थ्य मंत्री खुद को स्वास्थ्य विभाग का कप्तान बताते हैं, लेकिन आज वह मुख्यमंत्री के साथ मिलकर अपने क्षेत्र में कार्यक्रम में जुटे हैं और अपनी कप्तानी को भूल गए हैं जो कि निश्चित रूप से पूरे स्वास्थ्य विभाग के लिए दुर्भाग्यपूर्ण है.

Last Updated : Jan 31, 2023, 6:22 PM IST
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