रांचीः प्रदेश के 11 वें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से सरना समिति ने सरना धर्म कोड लागू करने की मांग की है. सोमवार को सोरेन से मिलने 43 अलग-अलग आदिवासी और सरना संगठनों के लोग आए. मुलाकात के बाद लोगों ने साफ तौर पर कहा कि पिछली सरकारों ने सरना कोड को लागू करने की बात कही थी, लेकिन उसे लागू नहीं कराया गया.
नए मुख्यमंत्री के लिए बधाई पत्र के साथ पहुंचे सरना समिति के अध्यक्ष विद्यासागर केरकेट्टा ने कहा कि सोरेन से मिलकर वह साफ कर देना चाहते हैं कि आदिवासी एकता सर्वोपरी है. उनके अधिकारों के लिए अब नए मुख्यमंत्री को आवाज उठानी होगी. उन्होंने कहा कि यही मकसद है कि सभी अलग-अलग आदिवासी संगठनों के लोग राज्य के नए मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे हैं.
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वहीं, पहले कैबिनेट में पत्थलगड़ी समर्थकों के खिलाफ दर्ज केस वापस लिए जाने पर उन्होंने कहा कि यह बहुत ही प्रशंसनीय कदम है. स्टेट कैबिनेट ने यह निर्णय लेकर साफ कर दिया है कि उसकी प्राथमिकताएं क्या हैं. उन्होंने कहा कि दरअसल पत्थलगड़ी राज्य के आदिवासियों की परंपरा का हिस्सा है और यह कोई नई बात नहीं है. ऐसे में पिछली सरकार ने जो भी मामले दर्ज किए, उन्हें वापस लेने का आदिवासी संगठन स्वागत करते हैं.
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भारत का संविधान किया भेंट
इस मौके पर मौजूद लोगों ने कहा कि वह भारत का संविधान हेमंत सोरेन को भेंट करने आए हैं. इस मौके पर आए फूलचंद तिर्की ने कहा कि संविधान भारत का सबसे पवित्र ग्रंथ है और मौजूदा सरकार को उसके अनुसार काम करना चाहिए. यही वजह है कि लोग संविधान की किताब उन्हें भेंट कर रहे हैं.
दरअसल राज्य में आदिवासियों के लिए संवैधानिक प्रावधानों को लेकर आवाज उठती रही है. उनमें पेसा लागू करना, सीएनटी-एसपीटी एक्ट का अनुपालन करवाना के अलावा सरना कोड को सेंसस के धार्मिक कॉलम में जुड़वाना प्रमुख है.