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हेमंत सोरेन से मिले सरना समिति के प्रतिनिधि, सरना धर्म कोड लागू करने की रखी मांग

सोमवार को नए मुख्यमंत्री से मिलने सरना समिति के प्रतिनिधि पहुंचे. समिति के लोगों ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सामने सरना धर्म कोड लागू करने की मांग रखी. इसके साथ सभी ने मुख्यमंत्री को भारत का संविधान भेंट किया और इसके अनुसार काम करने की बात कही.

demand to impliment Sarna Dharm Code
सरना समिति संगठन के प्रतिनिधियों से बात करते सीएम
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Published : Dec 30, 2019, 6:12 PM IST

रांचीः प्रदेश के 11 वें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से सरना समिति ने सरना धर्म कोड लागू करने की मांग की है. सोमवार को सोरेन से मिलने 43 अलग-अलग आदिवासी और सरना संगठनों के लोग आए. मुलाकात के बाद लोगों ने साफ तौर पर कहा कि पिछली सरकारों ने सरना कोड को लागू करने की बात कही थी, लेकिन उसे लागू नहीं कराया गया.

देखें पूरी खबर

नए मुख्यमंत्री के लिए बधाई पत्र के साथ पहुंचे सरना समिति के अध्यक्ष विद्यासागर केरकेट्टा ने कहा कि सोरेन से मिलकर वह साफ कर देना चाहते हैं कि आदिवासी एकता सर्वोपरी है. उनके अधिकारों के लिए अब नए मुख्यमंत्री को आवाज उठानी होगी. उन्होंने कहा कि यही मकसद है कि सभी अलग-अलग आदिवासी संगठनों के लोग राज्य के नए मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे हैं.

ये भी पढ़ें-पिता के बाद मोरहाबादी मैदान में शपथ लेने वाले दूसरे CM बने हेमंत सोरेन, पूर्व सीएम रघुवर दास भी रहे मौजूद

वहीं, पहले कैबिनेट में पत्थलगड़ी समर्थकों के खिलाफ दर्ज केस वापस लिए जाने पर उन्होंने कहा कि यह बहुत ही प्रशंसनीय कदम है. स्टेट कैबिनेट ने यह निर्णय लेकर साफ कर दिया है कि उसकी प्राथमिकताएं क्या हैं. उन्होंने कहा कि दरअसल पत्थलगड़ी राज्य के आदिवासियों की परंपरा का हिस्सा है और यह कोई नई बात नहीं है. ऐसे में पिछली सरकार ने जो भी मामले दर्ज किए, उन्हें वापस लेने का आदिवासी संगठन स्वागत करते हैं.

ये भी पढ़ें-हेमंत सोरेन बने झारखंड के 11वें मुख्यमंत्री, सामने है कई चुनौतियां

भारत का संविधान किया भेंट
इस मौके पर मौजूद लोगों ने कहा कि वह भारत का संविधान हेमंत सोरेन को भेंट करने आए हैं. इस मौके पर आए फूलचंद तिर्की ने कहा कि संविधान भारत का सबसे पवित्र ग्रंथ है और मौजूदा सरकार को उसके अनुसार काम करना चाहिए. यही वजह है कि लोग संविधान की किताब उन्हें भेंट कर रहे हैं.

दरअसल राज्य में आदिवासियों के लिए संवैधानिक प्रावधानों को लेकर आवाज उठती रही है. उनमें पेसा लागू करना, सीएनटी-एसपीटी एक्ट का अनुपालन करवाना के अलावा सरना कोड को सेंसस के धार्मिक कॉलम में जुड़वाना प्रमुख है.

रांचीः प्रदेश के 11 वें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से सरना समिति ने सरना धर्म कोड लागू करने की मांग की है. सोमवार को सोरेन से मिलने 43 अलग-अलग आदिवासी और सरना संगठनों के लोग आए. मुलाकात के बाद लोगों ने साफ तौर पर कहा कि पिछली सरकारों ने सरना कोड को लागू करने की बात कही थी, लेकिन उसे लागू नहीं कराया गया.

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नए मुख्यमंत्री के लिए बधाई पत्र के साथ पहुंचे सरना समिति के अध्यक्ष विद्यासागर केरकेट्टा ने कहा कि सोरेन से मिलकर वह साफ कर देना चाहते हैं कि आदिवासी एकता सर्वोपरी है. उनके अधिकारों के लिए अब नए मुख्यमंत्री को आवाज उठानी होगी. उन्होंने कहा कि यही मकसद है कि सभी अलग-अलग आदिवासी संगठनों के लोग राज्य के नए मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे हैं.

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वहीं, पहले कैबिनेट में पत्थलगड़ी समर्थकों के खिलाफ दर्ज केस वापस लिए जाने पर उन्होंने कहा कि यह बहुत ही प्रशंसनीय कदम है. स्टेट कैबिनेट ने यह निर्णय लेकर साफ कर दिया है कि उसकी प्राथमिकताएं क्या हैं. उन्होंने कहा कि दरअसल पत्थलगड़ी राज्य के आदिवासियों की परंपरा का हिस्सा है और यह कोई नई बात नहीं है. ऐसे में पिछली सरकार ने जो भी मामले दर्ज किए, उन्हें वापस लेने का आदिवासी संगठन स्वागत करते हैं.

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भारत का संविधान किया भेंट
इस मौके पर मौजूद लोगों ने कहा कि वह भारत का संविधान हेमंत सोरेन को भेंट करने आए हैं. इस मौके पर आए फूलचंद तिर्की ने कहा कि संविधान भारत का सबसे पवित्र ग्रंथ है और मौजूदा सरकार को उसके अनुसार काम करना चाहिए. यही वजह है कि लोग संविधान की किताब उन्हें भेंट कर रहे हैं.

दरअसल राज्य में आदिवासियों के लिए संवैधानिक प्रावधानों को लेकर आवाज उठती रही है. उनमें पेसा लागू करना, सीएनटी-एसपीटी एक्ट का अनुपालन करवाना के अलावा सरना कोड को सेंसस के धार्मिक कॉलम में जुड़वाना प्रमुख है.

Intro:इससे जुड़ा वीडियो और वाकथ्रू लाइव व्यू से गया है sarna code स्लग से गया है।

रांची। प्रदेश के 11 वें मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से सरना समिति ने सरना धर्म कोड लागू करवाने की मांग की है। सोमवार को सोरेन से मिलने आए 43 अलग-अलग आदिवासी और सरना संगठनों के लोगों ने साफ तौर पर कहा कि पिछली सरकारों में सरना कोड लेकर बातें कहीं गई लेकिन उसे लागू नहीं कराया गया।
हाथ में नए मुख्यमंत्री के लिये बधाई पत्र लेकर पहुंचे सरना समिति के अध्यक्ष विद्यासागर केरकेट्टा ने कहा कि सोरेन से मिलकर वह साफ कर देना चाहते हैं कि आदिवासी एकता सर्वोपरि है। उनके अधिकारों के लिए अब नए मुख्यमंत्री को आवाज उठानी होगी। उन्होंने कहा कि यही मकसद है कि सभी अलग-अलग आदिवासी संगठनों के लोग सोमवार को राज्य के नए मुख्यमंत्री से मिलने पहुंचे हैं।


Body:पहले कैबिनेट में पत्थलगड़ी समर्थकों के खिलाफ दर्ज केस वापस किए जाने पर उन्होंने कहा कि यह बहुत ही प्रशंसनीय कदम है। उन्होंने कहा कि स्टेट केबिनेट ने यह निर्णय लेकर साफ कर दिया है कि उसकी प्राथमिकताएं क्या हैं। उन्होंने कहा कि दरअसल पत्थलगड़ी राज्य के आदिवासियों की परंपरा का हिस्सा है और यह कोई नई बात नहीं है। ऐसे में पिछली सरकार ने जो भी मामले दर्ज किया उन्हें वापस लेने का आदिवासी संगठन स्वागत करते हैं। इस मौके पर मौजूद लोगों ने साफ तौर पर कहा कि वह भारत का संविधान सोरेन को भेंट करने आए हैं। इस मौके पर आए फूलचंद तिर्की ने कहा कि चूंकि संविधान भारत का सबसे पवित्र ग्रंथ है और मौजूदा सरकार को उसके अनुसार काम करना चाहिए। यही वजह है कि लोग संविधान की किताब सोरेन को भेंट कर रहे हैं।


Conclusion:दरअसल राज्य में आदिवासियों के लिए संवैधानिक प्रावधानों को लेकर आवाज उठती रही है। उनमें पेसा एक्ट लागू करना, सीएनटी एसपीटी एक्ट का अनुपालन करवाना के अलावे सरना कोड को सेंसस के धार्मिक कॉलम में जुड़वाना प्रमुख है।
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