रांची: उत्कृष्ट मानव सेवा के कार्यों को अंजाम देने वाली रेड क्रॉस सोसायटी आज बदहाली के दौर से गुजर रही है. क्योंकि पिछले कुछ वर्षो से यह संस्था लोगों की मदद नहीं कर पा रही है. ऐसा हम इसलिए कह रहे क्योंकि रेड क्रॉस सोसाइटी के परिसर में इन दिनों सिर्फ ब्लड बैंक की सुविधा को चालू रखा गया है, अन्य सभी सुविधाओं को बंद कर दिया गया है.
रेड क्रॉस सोसाइटी के द्वारा समय-समय पर स्वास्थ्य शिविर, मोतियाबिंद के ऑपरेशन शिविर के साथ साथ सहित कई सामाजिक कार्यों का आयोजन किया जाता था. इसके अलावा किसी भी तरह के प्राकृतिक आपदा से आई परेशानी में भी रेड क्रॉस सोसाइटी के सदस्य सक्रिय रहते थे.
मैन पावर की कमी से जूझ रहा आरसीएसः वर्तमान समय की बात करें तो रेड क्रॉस सोसाइटी में कर्मचारियों एवं लोगों की कमी देखी जा रही है. जिस वजह से मानवीय कार्यों में रेड क्रॉस सोसाइटी अपनी अहम भूमिका नहीं निभा पा रही है. इसको लेकर रेड क्रॉस सोसाइटी के कार्यकारी सचिव अमित शर्मा बताते हैं कि निश्चित रूप से सोसाइटी के जो वर्तमान हालात हैं, उसमें कहीं ना कहीं लोगों की सेवा नहीं हो पा रही है. इसके बावजूद रेड क्रॉस सोसाइटी रक्तदान के क्षेत्र में अपनी अहम भूमिका निभाने में जुटी हुई है.
समय पर नहीं हो पाता कार्यकारणी सदस्यों का चुनाव: उन्होंने बताया कि वर्तमान में पिछले एक वर्ष से ज्यादा समय से कमेटी का चुनाव नहीं हुआ है. जिसको लेकर अभी तक सोसाइटी में एक्जीक्यूटिव मेंबर का चयन नहीं हो पाया है. सोसाइटी में पदाधिकारियों का चयन नहीं होने के कारण चुनाव की तिथि घोषित कर दी गई है. उन्होंने बताया कि आगामी 16 जून को कार्यकारिणी सदस्यों के चयन के लिए चुनाव किया जाएगा. जिसके बाद नई कमेटी का गठन हो पाएगा.
ब्लड बैंक में आए लोग वापस लौटने को विवश: ईटीवी भारत की टीम ने जब रेड क्रॉस सोसाइटी में संचालित ब्लड बैंक का जायजा लिया तो देखा कि लोगों को यहां पर ब्लड की सुविधा भी बेहतर तरीके से नहीं मिल पा रही है. ईटीवी भारत के टीम ने जब ब्लड बैंक में ब्लड लेने आए लोगों से बात की तो जाना कि यहां पर लोगों को सिर्फ होल ब्लड ही मिल पाता है. क्योंकि ब्लड कंपोनेंट को होल ब्लड से अलग करने की सुविधा रेड क्रॉस सोसाइटी में नहीं है. जबकि आज की तारीख में मरीजों को होल ब्लड से ज्यादा ब्लड कंपोनेंट की आवश्यकता होती है. जिस वजह से ज्यादातर मरीज रेड क्रॉस सोसाइटी से वापस लौटने को मजबूर हो जाते हैं.
सरकारी उदासीनता की वजह से संस्थान का उद्देश नहीं हो पा रहा पूरा: वहीं हमने जब विस्तार से रेड क्रॉस सोसाइटी की हालत को लेकर जानकारी लेने की कोशिश की तो हमने जाना कि इस संस्थान की निगरानी जिले के उपायुक्त के द्वारा की जाती है. राज्य सरकार एवं केंद्र सरकार की तरफ से फंड भी निर्गत किए जाते हैं जो पर्याप्त नहीं हैं. ऐसे में रेड क्रॉस सोसाइटी के लोगों को आर्थिक संकट से जूझना पड़ रहा है.
लाखों की बस हो रही बेकार: रेड क्रॉस सोसाइटी के द्वारा रक्तदान शिविर को संचालित करने के लिए एक विशेष बस भी मंगाई गई है. लेकिन वह भी वर्तमान में क्रियान्वित नहीं है. इसको लेकर रेड क्रॉस सोसाइटी के पदाधिकारियों ने बताया कि कागजी प्रक्रिया और पैसे की कमी की वजह से रक्तदान शिविर में उपयोग किए जाने वाले नए बस का परिचालन नहीं हो पा रहा है. मिली जानकारी के अनुसार लाई गई बस की कीमत लगभग 70 से 80 लाख है.
नई कमेटी के गठन के बाद सभी पेंडिंग कार्य होंगे निष्पादित: यह उम्मीद जताई जा रही है कि जैसे ही नई समिति का गठन होगा, वैसे ही सभी पेंडिंग कार्यों का निष्पादन हो जाएगा. जिसके बाद रेड क्रॉस सोसाइटी एक बार फिर से उत्कृष्ट मानवीय सेवा करने अपनी अहम भूमिका निभाएगी.
झारखंड की राजधानी रांची में रेड क्रॉस सोसाइटी संस्थान वर्ष 1985 से ही कार्यरत है. पिछले चार दशक से लोगों को सुविधा दे रही रेड क्रॉस सोसाइटी एक बार फिर कब तक पटरी पर आती है, ताकि इसमें आने वाले लोगों को लाभ मिल सके, यह देखने वाली बात होगी.