रांची: मॉब लिंचिंग के खिलाफ कानून बनाने वाले राज्यों की फेहरिस्त में अब झारखंड का भी नाम जुड़ गया है. इससे पहले मणिपुर, राजस्थान और पश्चिम बंगाल में कानून बना है. 21 दिसंबर को झारखंड विधानसभा के शीतकालीन सत्र के दौरान संसदीय कार्यमंत्री आलमगीर आलम ने बिल को सदन पटल पर रखा. इसपर विधायक अमित मंडल ने कई संशोधन प्रस्ताव रखा. इसमें दुर्बल शब्द की जगह आम नागरिक शब्द जोड़े जाने पर सहमति बनी.
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वहीं, निर्दलीय विधायक सरयू राय ने कॉम्पंसेशन की बात उठायी. इसपर संसदीय कार्यमंत्री ने कहा कि अलग-अलग केस के आधार पर कंपनसेशन का प्रावधान है. सदन में पास यह बिल राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद कानून में तब्दील हो जाएगा. इस बिल पर कई सवाल खड़े करने वाले भाजपा विधायक अमित मंडल और समर्थन करने वाले कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने ईटीवी भारत से अपनी-अपनी बात साझा की. अमित मंडल ने कहा कि यह जल्दबाजी में लाया गया कानून है. यह सिर्फ राजनीतिक फायदा के लिए लाया गया है. इस कानून में कई खामियां हैं.
वहीं, इरफान अंसारी ने कहा कि मॉब लिंचिंग की घटनाओं के कारण राष्ट्रीय स्तर पर झारखंड की फजीहत होती थी. अब कोई दुस्साहस नहीं कर पाएगा. उन्होंने कहा कि इस बिल के पास होने से आदिवासी, दलित और मुस्लिम समाज के लिए मिठाईयां बांट रहे हैं और पटाखे फोड़ रहे हैं. इरफान अंसारी ने भी कहा कि इस बिल में अभी कई कमियां हैं. जिनको लेकर समय-समय पर संशोधन होता रहेगा. उन्होंने कहा कि मॉब लिंचिंग होने पर अधिकतम उम्र कैद की सजा की जगह फांसी की सजा का प्रावधान होना चाहिए.