रांची: छठी जेपीएससी रिजल्ट को झारखंड हाई कोर्ट ने निरस्त कर दिया है. मुख्य न्यायाधीश डॉ रवि रंजन और न्यायाधीश सुजीत नारायण प्रसाद की अदालत में हुई सुनवाई के बाद यह फैसला सुनाया गया. हाई कोर्ट के इस फैसले से छठी जेपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के जरिए नियुक्त 326 अभ्यर्थियों को बड़ा झटका लगा है.
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हाई कोर्ट ने हालांकि यह भी कहा है कि आयोग फिर से मेरिट लिस्ट जारी कर नियुक्ति प्रक्रिया को फिर से शुरु कर सकती है. गौरतलब है कि आयोग द्वारा मुख्य परीक्षा के पेपर वन हिंदी और अंग्रेजी का क्वालिफाई मार्क्स के बदले फूल मार्क्स को प्राप्तांक में जोड़कर रिजल्ट घोषित किया गया था. जिसके खिलाफ छात्रों द्वारा हाई कोर्ट में केस फाइल किया गया था. हाई कोर्ट के सिंगल बेंच ने छात्रों के अपील को सही मानते हुए जेपीएससी द्वारा जारी मेरिट लिस्ट को रद्द कर दिया था जिसे आयोग द्वारा नहीं लागू किये जाने के खिलाफ छात्र और सरकार डबल बेंच में अपील की गई थी.
हाई कोर्ट के फैसले से सरकार को झटका: हाई कोर्ट के द्वारा छठी जेपीएससी सिविल सेवा परीक्षा के अंतिम परिणाम को रद्द किये जाने से सरकार को बड़ा झटका लगा है. राज्य सरकार हाई कोर्ट के इस फैसले का अध्ययन कर कानूनी सलाह लेकर सुप्रीम कोर्ट में अपील कर सकती है. हाई कोर्ट के इस फैसले पर सत्तारूढ़ दल झामुमो ने सफाई देते हुए कहा है कि यह नियुक्ति प्रक्रिया पिछले सरकार से चली आ रही थी. वर्तमान सरकार ने भले ही अंतिम रिजल्ट को प्रकाशित करने का काम किया है, मगर इसमें किसी प्रकार की गड़बड़ी नहीं हुई है. झामुमो नेता मनोज पांडे ने कहा कि सरकार हाई कोर्ट के द्वारा दिये गये फैसले का अध्ययन करेगी.
फिलगुड में बीजेपी: वहीं, बीजेपी प्रदेश प्रवक्ता प्रतुल नाथ शाहदेव ने कहा कि हाई कोर्ट के इस फैसले ने हेमंत सरकार के कामकाज को उजागर कर दिया है. छठी जेपीएससी के साथ साथ कुछ दिन पूर्व सातवीं से 10 वीं जेपीएससी सिविल सेवा पर हाई कोर्ट के निर्देश ने सरकार की पोल खोलकर रख दी है.
आंदोलनरत छात्रों को इंसाफ: इधर, इस फैसले को लेकर आंदोलनरत छात्रों में खुशी की लहर है. हिंदी और अंग्रेजी क्वालिफाइंग विषय को लेकर आंदोलन चलाने के क्रम में जेल जानेवाले छात्र नेता मनोज कुमार का मानना है कि पिछली सरकार में जब संघर्ष हो रहा था तो हेमंत सोरेन छात्रों के साथ थे. मगर सत्ता पाते ही वे छात्रों की मांग को नजरअंदाज कर रिजल्ट प्रकाशित करवा दी. आज हाई कोर्ट ने हमलोगों की मांग को सही बताकर छात्रों को इंसाफ देने का काम किया है. वहीं छात्रा कहकसा की मानें तो जब तक जेपीएससी में राजनीतिक दलों का हस्तक्षेप होता रहेगा तब तक यही स्थिति बनी रहेगी. आवश्यकता है कि जेपीएससी को पूरी तरह से पारदर्शी और निष्पक्ष बनाने की.