रांची: झारखंड में नियोजन नीति का पेंच लगातार फंसता जा रहा है. इसको लेकर राज्य के सभी जिलों में युवा विरोध प्रदर्शन करते दिख रहे हैं. सदन की कार्यवाही के दौरान युवाओं की नजर सरकार के फैसले पर है. नियोजन नीति में 60-40 के अनुपात पर हुए विवाद को लेकर छात्र नेताओं ने कहा कि सरकार यह स्पष्ट करे कि आखिर 60 और 40 फीसदी के दायरे में कौन लोग आएंगे.
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छात्र नेता मनोज यादव बताते हैं कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन सदन की कार्यवाही के दौरान यह स्पष्ट करें कि 40% के अंतर्गत कौन लोग आएंगे. छात्रों को यह तो समझ में आ रहा है कि 60% में राज्य के 26% आदिवासी, 10 प्रतिशत शेड्यूल कास्ट व ईडब्ल्यूएस है और 14 प्रतिशत ओबीसी के लोग हैं. लेकिन 40% जो बचता है उसमें जनरल के किन लोगों को स्थान दिया जाएगा यह अभी तक स्पष्ट नहीं हो पाया है. उन्होंने बताया कि 40% में सिर्फ झारखंड के स्थानीय सामान्य जाति के लोग रहेंगे या पूरे देश या फिर अन्य राज्यों के भी लोगों को शामिल किया जाएगा.
छात्र नेता देवेंद्र महतो ने बताया कि झारखंड सरकार को यह शक्ति प्राप्त है कि बिहार की जो नियोजन नीति थी जो 2000 से पहले लागू थी उसमें संशोधन कर झारखंड के लोगों को नियोजन नीति का लाभ दिया जा सकता है. उन्होंने कहा कि वर्ष 1982 के आधार पर नियोजन नीति को लागू किया जाए जो बिहार सरकार के द्वारा बनाया गया था. लेकिन 2000 के बाद झारखंड बन गया तो ऐसे में उन नीति में जहां पर बिहार का वर्णन किया गया है वहां पर झारखंड को संशोधित किया जाए और जहां पर पटना का वर्णन किया गया है वहां पर रांची को संशोधित किया जाए ताकि झारखंड के निवासियों को नियोजन नीति का लाभ पूरी तरह से मिल सके.
वहीं अन्य छात्र नेताओं ने बताया कि यदि सरकार बजट सत्र के दौरान नियोजन नीति पर स्पष्टीकरण नहीं करती है तो 20 मार्च को मुख्यमंत्री आवास और विधानसभा का घेराव किया जाएगा और आने वाले समय में राज्य के युवा एवं छात्र बड़े आंदोलन के लिए तैयार हो जाएंगे.