रांचीः केंद्र सरकार की ओर से लागू किये गए तीन नये कृषि कानून के खिलाफ देश के किसान लगातार आंदोलन कर रहे हैं. किसानों के आंदोलन के आज 100 दिन पूरे हो गए. आंदोलन के 100वां दिन पूरा होने पर झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमेटी का मानना है कि कृषि और लोकतंत्र की रक्षा के लिए चल रहा यह आंदोलन तनाशाह सरकार के लिए करारा जवाब है. काले कृषि कानूनों की वापसी तक किसान रूकने वाले नहीं है.
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अघोषित आपातकाल का चल रहा है दौर
कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता आलोक दूबे ने शुक्रवार को कहा कि देश अघोषित आपातकाल की स्थिति से गुजर रहा है. लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पर केंद्र सरकार की ओर से दबाव डाला जा रहा है. अघोषित आपातकाल की स्थिति यह है कि किसान के साथ कोई खड़ा हो, तो उसपर देशद्रोह का चार्ज लगा दिया जाता है. भाजपा को यह स्पष्ट करना चाहिए कि आपातकाल क्या होती है. पूंजीपति मित्रों को लाभ पहुंचाने के लिए खेतिहर मजदूरों और किसानों को डराया जा रहा है. देश की नवरत्न और बहुराष्ट्रीय कंपनियां बेची जा रही हैं. इसको लेकर कांग्रेस पार्टी की राष्ट्रिय अध्यक्ष सोनिया गांधी ने भी गहरी चिंता व्यक्त की है. केंद्र सरकार के तानाशाह रवैया के कारण देश की जनता मुश्किल दौर से गुजर रही है.
आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी
प्रवक्ता लाल किशोरनाथ शाहदेव ने कहा कि किसानों की आवाज को दबाने की कोशिश की जा रही है. वहीं, पेट्रोलियम पदार्थों की कीमतों में बेतहाशा बढ़ोतरी होने से आवश्यक वस्तुएं महंगी हुई है. वर्ष 2013 में प्याज की कीमत 24 थी, जो बढ़कर 48 हो गया है. दूध की कीमत 30 रुपये से 46 रुपये, मूंग दाल की कीमत 81 रुपये से 108 रुपये, सनफ्लावर ऑयल की कीमत 106 रुपये से 161 रुपये और चाय की कीमत 205 रुपये से बढ़कर 237 रुपये हो गई है. प्रदेश प्रवक्ता राजेश गुप्ता छोटू ने बताया कि तीन महीनों में गैस सिलेंडरों की कीमत में 225 रुपये की बढ़ोत्तरी हुई है. 100 दिनों से चला आ रहा किसानों का आंदोलन भारत माता की आत्मा पर प्रहार है.