रांची: झारखंड विधानसभा का मानसून सत्र 28 जुलाई से शुरू होने जा रहा है. सत्र सुचारू रूप से चले, इसको लेकर तमाम कवायद किए जा रहे हैं. विधि व्यवस्था से लेकर माननीयों के सवालों का सही समय पर जवाब मिल जाए, इसपर विशेष जोर दिया जा रहा है. लेकिन जब सदन में पूछे गये सवाल का कोई विभाग गलत उत्तर दे तो इसे क्या कहेंगे. इसे सीधे तौर पर सदन की अवमानना और सदस्य के विशेषाधिकार हनन का मामला माना जाता है.
मामला 23 मार्च 2022 के बजट सत्र से जुड़ा है. अल्पसूचित प्रश्न संख्या 39 के जरिए जमशेदपुर पूर्वी से निर्दलीय विधायक सरयू राय ने जमशेदपुर के लिट्टी चौक से एनएच-33 तक पुल और पथ निर्माण को लेकर प्रश्न डाला था. जवाब में बताया गया कि संबंधित मार्ग रेखांकन पथ निर्माण विभाग के स्वामित्व में नहीं है. इसके बाद सरयू राय ने विभागीय सचिव को अद्यतन स्थिति जानने के लिए कई पत्र भेजे. लेकिन कभी भी संतोषजनक जवाब नहीं मिला. सरयू राय के मुताबिक उन्होंने इसके बाद पथ निर्माण में लंबित योजनाओं की जानकारी जुटाई तो चौंकाने वाली बात सामने आई.
सरयू राय का दावा है कि लिट्टी चौक से एन.एच.-33 तक स्वर्णरेखा नदी पर पुल और पथ निर्माण की योजना की तकनीकी स्वीकृति मुख्य अभियंता (केन्द्रीय निरूपण संगठन) के स्तर से सितंबर 2019 में ही मिल गई है. यही नहीं विभागीय पत्रांक 1086 , दिनांक 06.09.2019 को इसे प्रशासनिक स्वीकृति के लिए विभागीय सचिव के पास भेजा गया. इस योजना के लिए कुल प्राक्कलित लागत रू. 233.71 करोड़ रु की तकनीकी स्वीकृति दी गई है. उन्होंने कहा कि पता नहीं कि उस समय की सरकार ने ऐसा क्या किया कि योजना की प्रशासनिक स्वीकृति नहीं हो पायी. लेकिन आश्चर्य इस बात को लेकर है कि सदन में पूछे गये सवाल पर विभाग ने भ्रामक जवाब क्यों दिया.
सरयू राय ने विधानसभा परिसर में ईटीवी भारत को बताया कि उन्होंने इस मसले को लेकर 24 जुलाई को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को पत्र भी लिखा था क्योंकि पथ निर्माण उन्हीं के पास है. इसी बीच 26 जुलाई को मानसून सत्र से पहले स्पीकर द्वारा बुलाई गई सर्वदलीय बैठक के क्रम में उन्होंने मुख्यमंत्री को पूरे मामले से अवगत कराया . इसपर मुख्यमंत्री चिंता जाहिर की.
सरयू राय का आरोप है कि पथ निर्माण विभाग की लापरवाही के अलावा पूर्ववर्ती और वर्तमान सरकार के स्तर पर गंभीरता के अभाव के कारण जमशेदपुर और मानगो के यातायात को सुगम बनाने में अहम भूमिका अदा करने वाली योजना अधर में लटकी पड़ी है. उन्होंने आग्रह किया है कि मानसून सत्र शुरू होने से पहले योजना को प्रशासनिक स्वीकृति देकर निर्माण कार्य को शुरू कराया जाना चाहिए.