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10 दिन से घर में नहीं बना है खाना, बेटे के बाहर निकलने की सूचना के बाद ही जलेगा चूल्हा! - उत्तरकाशी में टनल हादसा

Ranchi worker Anil Bedia family hopes for relief. उत्तरकाशी टनल हादसे के बाद सुरंग में फंसे मजूदर में रांची के अनिल बेदिया का परिवार दुख में डूबा है. लेकिन उन्हें राहत की आस है और अपने बेटे के सकुशल बाहर आने का इंतजार है. देखिए, अनिल बेदिया के परिवार से बातचीत और रांची के खीराबेड़ा गांव से ईटीवी भारत की खास रिपोर्ट में.

Ranchi worker Anil Bedia family hopes for relief after trapped in Uttarkashi Tunnel
उत्तरकाशी टनल में फंसे रांची के अनिल बेदिया के परिवार को राहत की आस
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Nov 24, 2023, 6:04 PM IST

रांची के खीराबेड़ा गांव से ईटीवी भारत की ग्राउंड रिपोर्ट, उत्तरकाशी टनल में फंसे रांची के अनिल बेदिया के परिवार को खुशखबरी की आस

रांचीः उत्तरकाशी में टनल हादसा के बाद सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू किया जा रहा है और पूरा देश प्रार्थना कर रहा है कि वो सभी सकुशल बाहर आएं. वहां कुल 41 मजदूर फंसे हुए हैं, जिनमें 15 मजदूर झारखंड के रहने वाले हैं. सभी मजदूर उत्तराखंड में बन रहे टनल निर्माण में जुटे थे. वहीं राजधानी रांची के खीराबेड़ा गांव के तीन ऐसे मजदूर हैं जो टनल हादसे के बाद बंद सुरंग में फंसे हुए हैं.

रांची के खीराबेड़ा गांव के सुखराम बेदिया, राजेंद्र बेदिया और अनिल बेदिया फंसे हुए हैं. हादसे में फंसे मजदूरों के परिजनों का हाल काफी बुरा है. ईटीवी भारत की टीम ने जब अनिल बेदिया के परिवार से बात की तो सभी सदस्यों का रो-रोकर बुरा हाल है. अनिल बेदिया के पिता ने बताया कि जब से हादसे की सूचना उनके परिवार को मिली है तब से उनके घर में खाना पीना बंद हो गया है.

अनिल बेदिया के माता संजू देवी ने बताया कि पिछले 10 दिनों से वो अपने घर के बाहर चबूतरे पर इसी इंतजार में बैठी है कि कोई ऐसा शख्स आएगा जो उन्हें ये खुशखबरी देगा कि उनका बेटा सुरक्षित बंद सुरंग से बाहर निकल गया है. अनिल बेदिया के माता पिता ने बताया कि जिस तरह से कई दिन बीत चुके हैं. ऐसे में उन्हें डर है कि कही उनके बेटे को कुछ हो ना जाए.

अपने आंसू को रोकते हुए अनिल बेदिया के भाई चंदर बेदिया ने बताया कि एक तरफ उनका एक भाई टनल के अंदर फंसा है. दूसरी तरफ घर में मौजूद दूसरे सदस्य यही सोच कर खुद का ढांढस बंधा रहे हैं कि उनका बेटा मौत को हराकर अपने घर वापस जरूर आएगा. चंदर बेदिया ने बताया कि जिला प्रशासन की तरफ से मदद के रूप में 10 किलो चावल और कुछ आलू दिए गए हैं. लेकिन उन्हें प्रशासन से 10 किलो चावल और आलू नहीं बल्कि यह खुशखबरी चाहिए कि उनका भाई सकुशल बाहर निकल आया है और वह जल्दी घर वापस लौट जाएगा. लेकिन अभी तक किसी ने भी उन्हें यह खुशखबरी नहीं दी है, जिसका पूरे परिवार को बेसब्री से इंतजार है.

वहीं तीनों पीड़ित परिवार को मदद पहुंचा रहे स्थानीय स्कूल के शिक्षक उमर साहेब ने बताया कि टनल के बाहर जो मजदूर है उनसे संपर्क कर टनल के अंदर फंसे मजदूरों की जानकारी ली जा रही है. लेकिन पीड़ित परिवारों की स्थिति तभी सामान्य होगी जब उनके बच्चे सुरक्षित बाहर निकलेंगे. बता दें कि कि 12 नवंबर को उत्तराखंड में हुए टनल हादसे के बाद सुरंग में फंसे 41 मजबूरों में से 15 झारखंड के रहने वाले हैं. इनमें से रांची के ओरमांझी प्रखंड के खीराबेड़ा गांव के तीन मजदूर शामिल हैं.

इसे भी पढे़ं- सुखराम बेदिया के परिवार पर टूटा दुखों का पहाड़, मां ने कहा- अपने बेटे को देखेंगी नहीं तब तक किसी बात का भरोसा नहीं

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रांचीः उत्तरकाशी में टनल हादसा के बाद सुरंग में फंसे मजदूरों को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू किया जा रहा है और पूरा देश प्रार्थना कर रहा है कि वो सभी सकुशल बाहर आएं. वहां कुल 41 मजदूर फंसे हुए हैं, जिनमें 15 मजदूर झारखंड के रहने वाले हैं. सभी मजदूर उत्तराखंड में बन रहे टनल निर्माण में जुटे थे. वहीं राजधानी रांची के खीराबेड़ा गांव के तीन ऐसे मजदूर हैं जो टनल हादसे के बाद बंद सुरंग में फंसे हुए हैं.

रांची के खीराबेड़ा गांव के सुखराम बेदिया, राजेंद्र बेदिया और अनिल बेदिया फंसे हुए हैं. हादसे में फंसे मजदूरों के परिजनों का हाल काफी बुरा है. ईटीवी भारत की टीम ने जब अनिल बेदिया के परिवार से बात की तो सभी सदस्यों का रो-रोकर बुरा हाल है. अनिल बेदिया के पिता ने बताया कि जब से हादसे की सूचना उनके परिवार को मिली है तब से उनके घर में खाना पीना बंद हो गया है.

अनिल बेदिया के माता संजू देवी ने बताया कि पिछले 10 दिनों से वो अपने घर के बाहर चबूतरे पर इसी इंतजार में बैठी है कि कोई ऐसा शख्स आएगा जो उन्हें ये खुशखबरी देगा कि उनका बेटा सुरक्षित बंद सुरंग से बाहर निकल गया है. अनिल बेदिया के माता पिता ने बताया कि जिस तरह से कई दिन बीत चुके हैं. ऐसे में उन्हें डर है कि कही उनके बेटे को कुछ हो ना जाए.

अपने आंसू को रोकते हुए अनिल बेदिया के भाई चंदर बेदिया ने बताया कि एक तरफ उनका एक भाई टनल के अंदर फंसा है. दूसरी तरफ घर में मौजूद दूसरे सदस्य यही सोच कर खुद का ढांढस बंधा रहे हैं कि उनका बेटा मौत को हराकर अपने घर वापस जरूर आएगा. चंदर बेदिया ने बताया कि जिला प्रशासन की तरफ से मदद के रूप में 10 किलो चावल और कुछ आलू दिए गए हैं. लेकिन उन्हें प्रशासन से 10 किलो चावल और आलू नहीं बल्कि यह खुशखबरी चाहिए कि उनका भाई सकुशल बाहर निकल आया है और वह जल्दी घर वापस लौट जाएगा. लेकिन अभी तक किसी ने भी उन्हें यह खुशखबरी नहीं दी है, जिसका पूरे परिवार को बेसब्री से इंतजार है.

वहीं तीनों पीड़ित परिवार को मदद पहुंचा रहे स्थानीय स्कूल के शिक्षक उमर साहेब ने बताया कि टनल के बाहर जो मजदूर है उनसे संपर्क कर टनल के अंदर फंसे मजदूरों की जानकारी ली जा रही है. लेकिन पीड़ित परिवारों की स्थिति तभी सामान्य होगी जब उनके बच्चे सुरक्षित बाहर निकलेंगे. बता दें कि कि 12 नवंबर को उत्तराखंड में हुए टनल हादसे के बाद सुरंग में फंसे 41 मजबूरों में से 15 झारखंड के रहने वाले हैं. इनमें से रांची के ओरमांझी प्रखंड के खीराबेड़ा गांव के तीन मजदूर शामिल हैं.

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