रांची: नवंबर 2000 से पहले वाली रांची और आज की रांची में जमीन आसमान का अंतर आ गया है. झारखंड की राजधानी बनने के बाद इस छोटे से शहर पर हर दिन ट्रैफिक का दबाव बढ़ता जा रहा है. ऑफिस आवर में गाड़ियां रेंगती हैं. मेन रोड यानी महात्मा गांधी पथ पर तो पैदल चलना मुश्किल होता है. इसका एकमात्र उपाय है सड़कों का चौड़ीकरण और फ्लाईओवर का निर्माण. इस दिशा में पहली बार हेमंत सरकार पहल करती नजर आ रही है.
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पथ निर्माण विभाग के मुताबिक शहर को जाम मुक्त करने के लिए सबसे पहले सिरमटोली चौक से वाया राजेंद्र चौक होते हुए मेकॉन तक फ्लाईओवर और नेवरी-कोकर चौक-नामकुम रोड तक फोरलेन बनाया जाना चाहिए. इसको लेकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सामने एक प्रजेंटेशन भी दिया गया. वीडियो प्रेजेंटेशन देखने के बाद मुख्यमंत्री ने दोनों सड़क के निर्माण कार्य से संबंधित विभिन्न बिंदुओं पर विचार-विमर्श किया. उन्होंने अधिकारियों को कई आवश्यक सुझाव और दिशा-निर्देश भी दिए. बैठक के दौरान मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, मुख्यमंत्री के सचिव-सह-नगर विकास सचिव विनय कुमार चौबे, पथ निर्माण विभाग के सचिव सुनील कुमार, अभियंता प्रमुख पथ निर्माण विभाग मुरारी भगत सहित अन्य पदाधिकारी उपस्थित थे.
अभी हेमंत सरकार सिर्फ प्रेजेंटेशन तक पहुंची है लेकिन रांची का हर नागरिक इस मामले में पूर्ववर्ती रघुवर सरकार द्वारा उठाए गए कदम से वाकिफ है. तब सड़क के चौड़ीकरण और फ्लाईओवर को लेकर कोकर से कांटाटोली तक शहर को अतिक्रमण मुक्त किया गया था. फ्लाईओवर के लिए एक दो पिलर भी खड़ा कर दिया गया था. लेकिन वक्त के साथ सारी योजना धरी की धरी रह गई. उस दौर में रातू रोड पर भी फ्लाई ओवर की बात उठी थी. कई सड़कों के चौड़ीकरण की बात हुई थी लेकिन हुआ कुछ नहीं. अब इस दिशा में हेमंत सरकार ने पहल शुरू की है. देखना है कि पथ निर्माण विभाग का प्रस्ताव प्रेजेंटेशन तक सिमट कर रह जाता है या वाकई रांची को जाम मुक्त बनाने की दिशा में काम होगा.