रांची: कहते हैं इंसान में अगर जज्बा और जुनून हो तो वह किसी भी बाधा को पार कर सकता है. भले ही शुरुआती दौर में उसे परेशानियों का सामना करना पड़े. लेकिन अगर वह अपने लक्ष्य को पाना चाहता है तो वह किसी भी कीमत पर हासिल कर लेता है. कुछ ऐसा ही कर दिखाया रांची की रहने वाली सिमरन गुप्ता ने.
दक्षिण भारतीय फिल्मों में काम करने वाली सिमरन गुप्ता रांची में ही पली बढ़ी हैं. उसके पिता बैंक में नौकरी करते हैं. सिमरन को बचपन से ही डांसिंग का शौक था. बचपन से ही ये राज्य में होने वाले डांसिंग कंपटीशन में शामिल होने जाया करती थीं. इस दौरान इन्होंने डांस झारखंड डांस सहित विभिन्न डांसिंग कॉन्पिटिशन में अपना परचम लहराया. डांसिंग के बल पर ही इन्होंने अभिनय की दुनिया में अपना किस्मत अजमाया.
2023 में आई दक्षिण भारत की अन्वेषी फिल्म ने सिमरन गुप्ता को रातों रात स्टार बना दिया. फिल्म के सुपरहिट होने के बाद सिमरन ने पीछे मुड़कर नहीं देखा. तमिल में आने वाली उनकी अगली फिल्म 'विथायीकरण' भी जल्द ही लोगों के बीच आएगी. उन्होंने कहा कि उन्हें बचपन से ही सिनेमा में जाने का शौक था, इसलिए वह डांसिंग, सिंगिंग और एक्टिंग जैसे कंपटीशन में हिस्सा लेते रहती थी.
अभिनेत्री सिमरन गुप्ता ने बताया कि रांची से उनका विशेष लगाव है. रांची में ही उन्होंने अपना बचपन गुजारा. इसलिए वह अपनी सफलता के माध्यम से बिहार झारखंड के युवाओं को यह संदेश देना चाहती है कि अगर व्यक्ति का अपना लक्ष्य क्लियर है तो निश्चित रूप से उसे पाने में आने वाली बाधा भी टूट जाती है. उन्होंने यह भी बताया कि बिहार झारखंड की लड़कियां फिल्मों की दुनिया में अपना कैरियर बनाना चाहती हैं, लेकिन कई भ्रांतियों की वजह से लोग अपने बच्चों को फिल्मों के क्षेत्र में नहीं भेजते. उन्होंने संदेश देते हुए कहा कि समस्याएं और जटिलताएं हर क्षेत्र में हैं, लेकिन उस समस्याओं से लड़ने की ताकत होनी चाहिए.
सिमरन गुप्ता की मां सीमा गुप्ता बताती हैं कि जब वह बचपन में अपनी बेटी को डांसिंग कंपटीशन और ऑडिशन के लिए कहीं ले जाती थी तो लोग ताना मारते थे. परिवार के लोग हमेशा यह कहते नजर आते थे कि बेटियों को फिल्म की दुनिया में नहीं भेजना चाहिए. जब आज उनकी बेटी फिल्म की दुनिया में नाम कमा रही है तो वही लोग उन्हें बधाई देते नजर आ रहे हैं.
सिमरन गुप्ता के पिता लक्ष्मण प्रसाद बताते हैं कि अपनी बेटी की सफलता के बाद वह अभिभावकों को यह संदेश देना चाहेंगे कि बच्चों पर कड़ाई उतना ही करें जितना जायज है. कई बार अनावश्यक अनुशासन बच्चों के भविष्य को खराब करती हैं.
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