ETV Bharat / state

रांची रेल मंडल की अच्छी पहल, डीजल की जगह इलेक्ट्रिक इंजन से चलेंगे ट्रेन - पर्यावरण संरक्षण की ओर सराहनीय कदम

रांची रेल मंडल ने पर्यावरण संरक्षण की ओर एक सराहनीय पहल की है. डीजल से चलने वाली ट्रेनों को अब इलेक्ट्रिक इंजन से जोड़ने का निर्णय लिया है. इस पहल से रेलवे को लाखों की बचत होगी ही, साथ ही पर्यावरण को भी कम नुकसान होगा.

रांची रेलवे स्टेशन
author img

By

Published : Aug 11, 2019, 3:11 PM IST

रांची: पर्यावरण संरक्षण की ओर रांची रेल मंडल ने सराहनीय कदम बढ़ाते हुए डीजल रेल इंजन को बंद करने का फैसला किया है. पर्यावरण की स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए डीजल इंजन की जगह इलेक्ट्रिक इंजन से ट्रेन परिचालन का निर्णय किया है. जिसकी शुरुआत शनिवार को हटिया से बेंगलुरु जाने वाली साप्ताहिक ट्रेन से की गई.

देखें पूरी खबर

पर्यावरण संरक्षण की दिशा में रेलवे का यह कदम काफी सराहनीय माना जा रहा है. हटिया-बेंगलुरु सप्ताहिक ट्रेन को इस पहल से जोड़ दिया गया है. इस ट्रेन के पीछे रेलवे को सप्ताह में 4500 लीटर डीजल की खपत होती थी. अब इलेक्ट्रिक इंजन होने से रेलवे को सालाना एक करोड़ 52 लाख 75 हजार के बचत होने की अनुमान है.

ये भी पढ़ें:- छेड़खानी का विरोध करने पर पीड़ित परिवार पर जानलेवा हमला, मां और भाई जख्मी

रांची रेल डिवीजन के सीपीआरओ नीरज कुमार ने बताया कि जल्द ही रांची रेल मंडल में कई बदलाव देखनें को मिलेंगे. हटिया-यशवंतपुर, हटिया-पुणे एक्सप्रेस, रांची-मुंबई एलटीटी ट्रेन में डीजल इंजन की जगह इलेक्ट्रिक पावर सप्लाई करने की व्यवस्था की जा रही है. इस दिशा में तेजी से काम हो रहा है.

बता दें कि एक ट्रेन में सालाना 2 लाख 35 हजार लीटर डीजल खर्च होता है. वहीं एक ट्रेन की पावर सप्लाई में रेलवे को 1 घंटे में तकरीबन 100 लीटर डीजल की खपत होती है. इससे अब रेलवे को सालाना 52 लाख 75 हज़ार का बचत होगी. दूसरी ओर डीजल इंजन से निकलने वाले धुएं से पर्यावरण दूषित होती थी, जो कि अब नहीं होगी. पर्यावरण के दृष्टिकोण से रेलवे की यह सराहनीय पहल है.

रांची: पर्यावरण संरक्षण की ओर रांची रेल मंडल ने सराहनीय कदम बढ़ाते हुए डीजल रेल इंजन को बंद करने का फैसला किया है. पर्यावरण की स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए डीजल इंजन की जगह इलेक्ट्रिक इंजन से ट्रेन परिचालन का निर्णय किया है. जिसकी शुरुआत शनिवार को हटिया से बेंगलुरु जाने वाली साप्ताहिक ट्रेन से की गई.

देखें पूरी खबर

पर्यावरण संरक्षण की दिशा में रेलवे का यह कदम काफी सराहनीय माना जा रहा है. हटिया-बेंगलुरु सप्ताहिक ट्रेन को इस पहल से जोड़ दिया गया है. इस ट्रेन के पीछे रेलवे को सप्ताह में 4500 लीटर डीजल की खपत होती थी. अब इलेक्ट्रिक इंजन होने से रेलवे को सालाना एक करोड़ 52 लाख 75 हजार के बचत होने की अनुमान है.

ये भी पढ़ें:- छेड़खानी का विरोध करने पर पीड़ित परिवार पर जानलेवा हमला, मां और भाई जख्मी

रांची रेल डिवीजन के सीपीआरओ नीरज कुमार ने बताया कि जल्द ही रांची रेल मंडल में कई बदलाव देखनें को मिलेंगे. हटिया-यशवंतपुर, हटिया-पुणे एक्सप्रेस, रांची-मुंबई एलटीटी ट्रेन में डीजल इंजन की जगह इलेक्ट्रिक पावर सप्लाई करने की व्यवस्था की जा रही है. इस दिशा में तेजी से काम हो रहा है.

बता दें कि एक ट्रेन में सालाना 2 लाख 35 हजार लीटर डीजल खर्च होता है. वहीं एक ट्रेन की पावर सप्लाई में रेलवे को 1 घंटे में तकरीबन 100 लीटर डीजल की खपत होती है. इससे अब रेलवे को सालाना 52 लाख 75 हज़ार का बचत होगी. दूसरी ओर डीजल इंजन से निकलने वाले धुएं से पर्यावरण दूषित होती थी, जो कि अब नहीं होगी. पर्यावरण के दृष्टिकोण से रेलवे की यह सराहनीय पहल है.

Intro:रांची.

शनिवार को रांची रेल डिविजन ने और एक कदम बढ़ाया है. पर्यावरण की स्वच्छता को ध्यान में रखते हुए डीजल की जगह इलेक्ट्रॉनिक पावर देकर बोगियों में पावर सप्लाई का काम शुरू किया गया है. इसकी शुरुआत शनिवार को हटिया से बेंगलुरु जाने वाली सप्ताहिक ट्रेन से की गई. इससे रेलवे को सालाना एक करोड़ 52 लाख 75 हजार का बचत होने की अनुमान है.


Body:पर्यावरण संरक्षण की दिशा में रेलवे का यह कदम काफी सराहनीय पहल माना जा रहा है. हटिया बेंगलुरु ट्रेन सप्ताहिक ट्रेन है.और इस ट्रेन के पीछे रेलवे को सप्ताह में 4500 लीटर तेल का खपत होता है .रांची रेल डिवीजन के सीपीआरओ नीरज कुमार की माने तो जल्द ही इस मंडल में कई बदलाव ओर देखने को मिलेंगे .हटिया -यशवंतपुर, हटिया- पुणे एक्सप्रेस, रांची -मुंबई एलटीटी ट्रेन के जनरेटर इंजन में डीजल की जगह इलॉट्रॉनिक पावर सप्लाई करने की व्यवस्था की जा रही है. दिशा में तेजी से काम हो रहा है. शनिवार को हटिया-बेंगलुरु ट्रेन में डीजल की जगह इलेक्ट्रिक पावर देकर बोगियों में पावर सप्लाई दी गई. बताया जा रहा है कि इन बोगियों में पावर सप्लाई करने में रेलवे को 1 घंटे में तकरीबन 100 लीटर डीजल की खपत होती है.


Conclusion:एक ट्रेन में सालाना 2 लाख 35 हजार लीटर डीजल एक ट्रेन में खर्च होती है .जो कि अब इस की बचत होगी. इससे रेलवे को सालाना 52 लाख 75 हज़ार का बचत होगा. दूसरी ओर जेनरेटर से निकलने वाले धुएं से पर्यावरण दूषित होती है. जो कि अब नहीं होगी और इससे ध्वनि प्रदूषण भी काफी कम होता है. पर्यावरण के दृष्टिकोण से रेलवे की यह सराहनीय पहल है.
ETV Bharat Logo

Copyright © 2025 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.