रांचीः झारखंड स्टेट स्पोर्ट्स प्रमोशन सोसाइटी यानी जेएसएसपीएस की प्रशिक्षु एथलीट अंजली उरांव की मौत की गुत्थी सुलझाने में रांची पुलिस जुट गई है. रांची एसएसपी किशोर कौशल के अनुसार अंजली उरांव की हुई मौत की जांच शुरू कर दी गई है. उन्होंने कहा कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट अभी नहीं मिली है. पोस्टमार्टम रिपोर्ट मिलने के बाद और भी चीजें स्पष्ट हो जाएंगी लेकिन जिस तरह से लोगों ने आरोप लगाया है कि इलाज होने में देरी हुई उन तथ्यों पर भी पुलिस नजर रख रही है.
पोस्टमार्टम रिपोर्ट का इंतजारः मीडियाकर्मियों से बात करते हुए रांची एसएसपी ने कहा कि 2 दिन पहले बीमार प्रशिक्षु खिलाड़ी अंजली उरांव की तबीयत खराब होने की शिकायत पर उसे सीसीएल अस्पताल में भर्ती कराया गया था. मगर अचानक तबीयत बिगड़ने के कारण उसकी मौत हो गई. जिसके बाद खिलाड़ी नाराज होकर सड़क पर उतर गए और उनका कहना था कि कहीं ना कहीं इलाज होने में देरी हुई. पुलिस पूरे मामले की जांच कर रही है और पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद पुलिस जल्द ही न्यायोचित कदम उठाएगी.
अंजली की मौत के बाद नाराज खिलाड़ियों जमकर किया हंगामाः रविवार शाम जैसे ही प्रशिक्षु खिलाड़ी अंजली उरांव की मौत की खबर आई, उसके बाद इसके विरोध में देर रात तक उसके साथी खिलाड़ियों ने सड़क पर उतर कर जमकर नारेबाजी की और बूटी मोड़ मुख्य सड़क जाम कर दिया. देर रात तक रिम्स के समीप नारेबाजी कर रहे प्रशिक्षु खिलाड़ियों का कहना था कि अंजली 2 दिनों से बीमार थी लेकिन झारखंड स्टेट स्पोर्ट्स प्रमोशन सोसाइटी ने उसकी सुध नहीं ली और ना ही उसे किसी विशेषज्ञ डॉक्टर से इलाज कराया गया. बल्कि हॉस्टल में ही उसका इलाज चल रहा था.
कार्रवाई की मांगः रविवार सुबह तबीयत ज्यादा बिगड़ गई तो उसे सीसीएल के गांधीनगर अस्पताल ले जाया जाने लगा जिस दौरान उसकी मौत हो गई. अस्पताल पहुंचने पर डॉक्टर ने उसे मृत घोषित कर दिया आनन-फानन में उसके शव को पोस्टमार्टम के लिए रिम्स भेज दिया गया. पोस्टमार्टम के बाद परिजन शव को लेकर लोहरदगा लेकर चले गए. ऐसे में बड़ा सवाल यह उठता है कि आखिर किस वजह से उसकी मौत हुई और इसके लिए कौन जिम्मेवार हैं, इसका पता लगाकर कार्रवाई होनी चाहिए.
कौन थी प्रशिक्षु खिलाड़ी अंजली उरांवः राज्य सरकार और सीसीएल के सहयोग से खेल गांव परिसर में सैकड़ों ऐसे प्रशिक्षु खिलाड़ी रहते हैं जो विभिन्न खेलो के लिए ट्रेनिंग लेते हैं. लोहरदगा की अंजली उरांव भी यहां ट्रेनिंग ले रही थी, जिस दौरान इसकी तबीयत बिगड़ी और उसकी मौत हो गई. मौत के बाद प्रबंधन पर कई तरह के सवाल उठ रहे हैं. ऐसे में बड़ा सवाल यह है कि एक तरफ राज्य सरकार खेल एवं खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करने की बात कह रही है, वहीं दूसरी ओर राजधानी में ट्रेनिंग के दौरान बीमार प्रशिक्षु खिलाड़ी को बचाने में सरकारी सिस्टम कैसे फेल हो जाता है.