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2016 राज्यसभा चुनाव में गड़बड़ी मामले में नया खुलासा, केस बंद हुआ ही नहीं था, फिर भी दिया गया अंतिम प्रतिवेदन - Ranchi Police comment in 2016 Rajya Sabha election case

2016 में हुए राज्यसभा चुनाव को प्रभावित करने के मामले में रांची पुलिस ने नया खुलासा किया है. रांची पुलिस ने इसमें बताया है कि इस केस में अंतिम प्रतिवेदन सौंपा ही नहीं गया है.

jharkhand police
झारखंड पुलिस
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Published : Jun 13, 2020, 9:12 PM IST

रांची: 2016 में राज्यसभा चुनाव को प्रभावित करने के मामले की जांच सीआईडी कर रही थी, लेकिन अब इसकी जांच रांची पुलिस कर रही है, जिसमें एक चौकाने वाली बात सामने आयी है. रांची पुलिस ने जांच में पाया है कि केस में अंतिम प्रतिवेदन सौंपा ही नहीं गया है.

रांची डीआईजी अखिलेश कुमार झा ने मामले की जांच के बाद केस के अनुसंधानक रहे जगन्नाथपुर के पूर्व थानेदार अनूप कर्मकार को शोकॉज किया था. डीआईजी के निर्देश पर एसएसपी रांची अनीश गुप्ता ने जगन्नाथपुर के तत्कालीन थानेदार अनूप कर्मकार को शोकॉज भेजा था. 21 मई को भेजे गए शोकॉज में केस के अनुसंधानक पर आरोप लगाया गया कि अनेक बिंदुओं पर अनुसंधान पूरा किए बगैर केस के अनुसंधानक ने कैसे इस मामले में अंतिम प्रतिवेदन असत्य करार दे दिया. केस के पूर्व अनुसंधानक को दस दिनों के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया गया था. इसी साल रिटायर हो चुके केस के अनुसंधानक अनूप कर्मकार ने शोकॉज का जवाब भेज दिया है. चौकाने वाली बात यह है कि केस में कभी अंतिम प्रतिवेदन सौंपा ही नहीं गया था.

पूरे मामले में केस के अनुसंधानक रहे अनूप कर्मकार ने शोकॉज में एक जून को अपना जवाब रांची एसएसपी को भेजा है. रांची डीआईजी के पत्रांक का जिक्र करते हुए अनूप कर्मकार ने रांची एसएसपी को भेजे पत्र में बताया कि कांड संख्या 154/18 के मामले में अंतिम प्रतिवेदन असत्य समर्पित करने को लेकर उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया था.

पढ़ें:टेरर फंडिंग मामले में आरोपी को मिले थे बॉडीगार्ड, CID तक रिपोर्ट पहुंचने में लगे 20 महीने


इस मामले में भेजे जवाब में अनुसंधान पदाधिकारी रहे अनूप कर्मकार ने बताया कि अनुसंधान के दौरान वरीय पदाधिकारियों के द्वारा मिले निर्देश व न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देशों का अक्षरश: पालन किया गया है. अनूप कर्मकार ने बताया कि 16 जनवरी 2020 को उन्होंने केस का प्रभार वर्तमान जगन्नाथपुर थानेदार अभय कुमार सिंह को सौंप दिया था. वर्तमान थानेदार ने विचार विमर्श के बाद 20 फरवरी को केस का प्रभार ग्रहण किया. अफसरों को भेजे गए शोकॉज के जवाब में अनूप कर्मकार ने लिखा कि यह कांड अभी तक अनुसंधान अंतर्गत है. उन्होंने कभी इस केस में अंतिम प्रतिवेदन समर्पित नहीं किया. अपने ऊपर लगे आरोपों के समर्थन में अनूप कर्मकार ने पदभार देने संबंधी केस दैनिकी के हिस्से को भी सबूत के तौर पर भेजा है. केस में अंतिम प्रतिवेदन सौंपे जाने के बाद अनुसंधान बंद हो जाता है।

राजनीतिक सलाहकार अजय कुमार को बनाया गया था नामजद आरोपी
राज्यसभा चुनाव का मामला काफी हाईप्रोफाइल है. इस मामले में जगन्नाथपुर थाने में एडीजी अनुराग गुप्ता व पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के तात्कालिक राजनीतिक सलाहकार अजय कुमार को नामजद आरोपी बनाया गया था. केस में पुलिस ने दुबारा नए तरीके से पूछताछ शुरू की है. इस कांड में पूर्व में निर्मला देवी, योगेंद्र साव, चमरा लिंडा का बयान दर्ज किया गया था. सीआईडी एडीजी अनिल पालटा के द्वारा समीक्षा के बाद दोबारा सभी का बयान दर्ज किया जा रहा है. पुलिस ने इसी सप्ताह योगेंद्र साव व निर्मला देवी का बयान पूरे मामले में लिया है. वहीं इसी कांड को लेकर 14 फरवरी को राज्य सरकार ने एडीजी अनुराग गुप्ता को निलंबित किया था.

रांची: 2016 में राज्यसभा चुनाव को प्रभावित करने के मामले की जांच सीआईडी कर रही थी, लेकिन अब इसकी जांच रांची पुलिस कर रही है, जिसमें एक चौकाने वाली बात सामने आयी है. रांची पुलिस ने जांच में पाया है कि केस में अंतिम प्रतिवेदन सौंपा ही नहीं गया है.

रांची डीआईजी अखिलेश कुमार झा ने मामले की जांच के बाद केस के अनुसंधानक रहे जगन्नाथपुर के पूर्व थानेदार अनूप कर्मकार को शोकॉज किया था. डीआईजी के निर्देश पर एसएसपी रांची अनीश गुप्ता ने जगन्नाथपुर के तत्कालीन थानेदार अनूप कर्मकार को शोकॉज भेजा था. 21 मई को भेजे गए शोकॉज में केस के अनुसंधानक पर आरोप लगाया गया कि अनेक बिंदुओं पर अनुसंधान पूरा किए बगैर केस के अनुसंधानक ने कैसे इस मामले में अंतिम प्रतिवेदन असत्य करार दे दिया. केस के पूर्व अनुसंधानक को दस दिनों के भीतर जवाब देने का निर्देश दिया गया था. इसी साल रिटायर हो चुके केस के अनुसंधानक अनूप कर्मकार ने शोकॉज का जवाब भेज दिया है. चौकाने वाली बात यह है कि केस में कभी अंतिम प्रतिवेदन सौंपा ही नहीं गया था.

पूरे मामले में केस के अनुसंधानक रहे अनूप कर्मकार ने शोकॉज में एक जून को अपना जवाब रांची एसएसपी को भेजा है. रांची डीआईजी के पत्रांक का जिक्र करते हुए अनूप कर्मकार ने रांची एसएसपी को भेजे पत्र में बताया कि कांड संख्या 154/18 के मामले में अंतिम प्रतिवेदन असत्य समर्पित करने को लेकर उनसे स्पष्टीकरण मांगा गया था.

पढ़ें:टेरर फंडिंग मामले में आरोपी को मिले थे बॉडीगार्ड, CID तक रिपोर्ट पहुंचने में लगे 20 महीने


इस मामले में भेजे जवाब में अनुसंधान पदाधिकारी रहे अनूप कर्मकार ने बताया कि अनुसंधान के दौरान वरीय पदाधिकारियों के द्वारा मिले निर्देश व न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देशों का अक्षरश: पालन किया गया है. अनूप कर्मकार ने बताया कि 16 जनवरी 2020 को उन्होंने केस का प्रभार वर्तमान जगन्नाथपुर थानेदार अभय कुमार सिंह को सौंप दिया था. वर्तमान थानेदार ने विचार विमर्श के बाद 20 फरवरी को केस का प्रभार ग्रहण किया. अफसरों को भेजे गए शोकॉज के जवाब में अनूप कर्मकार ने लिखा कि यह कांड अभी तक अनुसंधान अंतर्गत है. उन्होंने कभी इस केस में अंतिम प्रतिवेदन समर्पित नहीं किया. अपने ऊपर लगे आरोपों के समर्थन में अनूप कर्मकार ने पदभार देने संबंधी केस दैनिकी के हिस्से को भी सबूत के तौर पर भेजा है. केस में अंतिम प्रतिवेदन सौंपे जाने के बाद अनुसंधान बंद हो जाता है।

राजनीतिक सलाहकार अजय कुमार को बनाया गया था नामजद आरोपी
राज्यसभा चुनाव का मामला काफी हाईप्रोफाइल है. इस मामले में जगन्नाथपुर थाने में एडीजी अनुराग गुप्ता व पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास के तात्कालिक राजनीतिक सलाहकार अजय कुमार को नामजद आरोपी बनाया गया था. केस में पुलिस ने दुबारा नए तरीके से पूछताछ शुरू की है. इस कांड में पूर्व में निर्मला देवी, योगेंद्र साव, चमरा लिंडा का बयान दर्ज किया गया था. सीआईडी एडीजी अनिल पालटा के द्वारा समीक्षा के बाद दोबारा सभी का बयान दर्ज किया जा रहा है. पुलिस ने इसी सप्ताह योगेंद्र साव व निर्मला देवी का बयान पूरे मामले में लिया है. वहीं इसी कांड को लेकर 14 फरवरी को राज्य सरकार ने एडीजी अनुराग गुप्ता को निलंबित किया था.

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