रांची: सेवा स्थायीकरण सहित पांच सूत्री मांगों के समर्थन में लगातार 89 दिनों से राजभवन के समक्ष धरना दे रहे पंचायत सचिवालय स्वयंसेवकों का गुस्सा सड़क पर देखने को मिला. प्रोजेक्ट भवन घेराव करने पहुंचे राज्यभर के पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक जैसे ही धुर्वा गोल चक्कर से प्रोजेक्ट भवन की ओर बढ़ने की कोशिश किए पुलिस के साथ उनकी झड़प हो गई.
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प्रोजेक्ट भवन जाने की जिद पर अड़े पंचायत सचिवालय स्वयंसेवकों ने इस दौरान ना केवल बैरिकेडिंग तोड़ने की कोशिश की. बल्कि सरकार के विरुद्ध जमकर नारेबाजी करते देखे गए. स्वयंसेवकों में बड़ी संख्या में महिलाकर्मी भी शामिल थीं, जो घेराव कार्यक्रम की अगुवाई कर रहीं थीं.
ये है पंचायत स्वयंसेवक की मांग
- पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक को नियमित मानदेय मिले
- पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक का नाम बदलकर पंचायत सहायक किया जाए
- पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक को पंचायती राज विभाग में समायोजित किया जाए
- पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक को स्थाई किया जाए
- पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक के प्रतिनिधिमंडल को मुख्य सचिव के साथ वार्ता कराई जाए.
- राज्यभर में करीब 18 हजार हैं पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक
गौरतलब है कि 2016 में राज्य में पंचायत स्तर पर स्वयं सेवकों की नियुक्ति की गई थी. जिनकी संख्या पूरे राज्यभर में करीब 18000 हैं. तत्कालीन सरकार के द्वारा प्रत्येक पंचायत में चार-चार पंचायत सचिवालय स्वयंसेवक की नियुक्ति, आरक्षण रोस्टर का पालन करते हुए, किया गया था. जिनके ऊपर सरकार के द्वारा संचालित किए जाने वाले कई योजनाओं को धरातल पर उतारने की जिम्मेदारी दी गई थीं.
सरकार से मांगें पूरी करने का बना रहे दबाव: मानदेय के रूप में सरकार के द्वारा अलग-अलग कार्यों के लिए राशि निर्धारित की गई थी. सरकार पर मानदेय की राशि भी बकाया होने का आरोप स्वयंसेवकों ने लगाया है. शुरू के वर्षों में इन पंचायत सचिवालय स्वयंसेवकों को ग्रामीण विकास के माध्यम से पैसे मिलते थे, मगर 2019 के बाद उनकी परेशानी बढ़ती चली गईं. इनकी मांगों पर विचार करने का आश्वासन कई बार दिया जा चुका है. मगर अभी तक इसे लागू नहीं किए जाने से ये खासे नाराज हैं. सरकार से अपनी मांगों को पूरा करने के लिए दबाव बना रहे हैं.