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Ranchi Rivers Encrochment: बढ़ती जा रही लोगों की आकांक्षाएं, सिकुड़ती जा रही राजधानी रांची की नदियां

रांची की नदियों की चौड़ाई पहले की तुलना में सिकुड़ कर छोटी हो गई है. जिस तरह से मनुष्य प्राकृतिक संसाधनों का दोहन कर रहा है, इसका खामियाजा आने वाली पीढ़ी को भुगतना होगा.

Ranchi Rivers Encrochment
झारखंड की महत्वपूर्ण नदियां
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Published : Mar 11, 2023, 9:28 PM IST

Updated : Mar 12, 2023, 8:53 AM IST

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रांची: संयुक्त बिहार की ग्रीष्मकालीन राजधानी रही रांची का मिजाज आज पूरी तरह बदल से गया है. पेड़-पौधे, पठार को खुद में समेटे रांची के अंदर कभी कल-कल बहनेवाली हरमू, स्वर्णरेखा, जुमार, पोटपोटो जैसी नदियां झारखंड बनने के बाद अपना आस्तित्व खोती चली गयी. नव प्रदेश झारखंड की राजधानी के रूप में रांची का विस्तार होता गया, आबादी बढ़ती गयी और इसके साथ साथ राजधानी से होकर बहने वाली नदियां अतिक्रमण और प्रदूषण का शिकार होती गयीं.

यह भी पढ़ें: Ranchi News: आसमान से बरसी आफत! बारिश और ओलावृष्टि से 40 से अधिक बकरियों की मौत

सिकुड़ती चली गईं नदियां: रांची विश्वविद्यालय के भूगर्भशास्त्र विभाग के प्रोफेसर और पर्यावरण एक्टिविस्ट डॉ नीतीश प्रियदर्शी ने ईटीवी भारत से बातचीत के क्रम में सरकारी आंकड़े का हवाला देते हुए कहा कि हरमू नदी जो पहले 24.39 मीटर चौड़ी हुआ करती थी, आज अतिक्रमण की वजह से कई जगहों पर मात्र 01 मीटर चौड़ी रह गयी है.

स्वर्णरेखा 10 मीटर रह गयी चौड़ी: इसी तरह झारखंड की महत्वपूर्ण नदियों में से एक स्वर्णरेखा नदी अतिक्रमण का शिकार होती रही है. जो कभी 24.47 मीटर चौड़ी हुआ करती थी वह आज 05 मीटर तक रह गयी है. डॉ नीतीश प्रियदर्शी बताया कि जुमार नदी जो कभी 30.4 मीटर चौड़ी हुआ करती थी वह भी आज 10 मीटर तक चौड़ी रह गयी है.

पोटपोटो नदी का भी हाल बेहाल: पोटपोटो नदी जो कभी 32.37 मीटर चौड़ी हुआ करती थी वह आज की तारीख में अतिक्रमण की वजह से 07 से 08 मीटर चौड़ी रह गयी है. सिकुड़ती नदियां यह बताने को काफी है कि कैसे रांची नगर निगम और झारखंड सरकार की उपेक्षा का शिकार ये नदियां हुईं हैं. राजधानी बनने के बाद रांची में जमीन महंगी होती गयी और भू माफियाओं ने सरकारी बाबुओं के साथ मिलकर नदी किनारे की जमीन को भी नहीं छोड़ा. नतीजा यह हुआ कि नदियां सिमटती चली गयीं और प्रशासन कान में तेल डाल कर सोया रहा.

प्रदूषित भी होती गयी नदियां: पूर्व की सरकार के समय हरमू नदी को सौंदर्यीकरण के नाम पर नगर विकास विभाग ने एक योजना बनाकर काम शुरू किया. लगभग 100 करोड़ की राशि भी हरमू जीर्णोद्धार के नाम खर्च हो गयी पर हरमू का स्वरूप नहीं बदला. आज भी ड्रेनेज और सिवरेज सिस्टम के अभाव में हर दिन बिना साफ किये नाले का लाखों लीटर गंदा पानी हरमू, जुमार,पोटपोटो, स्वर्णरेखा नदी में गिरता है. पूरी तरह प्रदूषित हो चुकी नदियों के पानी में अब जीवन नहीं बचा है.

क्या कहते हैं हरमू विद्यानगर के लोग: हरमू विद्यानगर की सुशीला देवी ने बताया कि पहले नदी ऐसी नहीं थी, यहां का पानी साफ हुआ करता था. छठ व्रत भी हरमू नदी में हुआ करती था, आज इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती. रामचरण कहते है कि यह सही है कि नदी पहले इस स्वरूप में नहीं थी.

नदी पर नहीं होनी चाहिए राजनीति: रांची की नदियों की बदहाल स्थिति को लेकर प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा कहते हैं कि नदियों का अतिक्रमण और प्रदूषण ऐसा मुद्दा है जिसपर राजनीति नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि हम सब इसके लिए जिम्मेदार हैं. हम सबको मिलकर इसका रास्ता निकालना होगा.

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रांची: संयुक्त बिहार की ग्रीष्मकालीन राजधानी रही रांची का मिजाज आज पूरी तरह बदल से गया है. पेड़-पौधे, पठार को खुद में समेटे रांची के अंदर कभी कल-कल बहनेवाली हरमू, स्वर्णरेखा, जुमार, पोटपोटो जैसी नदियां झारखंड बनने के बाद अपना आस्तित्व खोती चली गयी. नव प्रदेश झारखंड की राजधानी के रूप में रांची का विस्तार होता गया, आबादी बढ़ती गयी और इसके साथ साथ राजधानी से होकर बहने वाली नदियां अतिक्रमण और प्रदूषण का शिकार होती गयीं.

यह भी पढ़ें: Ranchi News: आसमान से बरसी आफत! बारिश और ओलावृष्टि से 40 से अधिक बकरियों की मौत

सिकुड़ती चली गईं नदियां: रांची विश्वविद्यालय के भूगर्भशास्त्र विभाग के प्रोफेसर और पर्यावरण एक्टिविस्ट डॉ नीतीश प्रियदर्शी ने ईटीवी भारत से बातचीत के क्रम में सरकारी आंकड़े का हवाला देते हुए कहा कि हरमू नदी जो पहले 24.39 मीटर चौड़ी हुआ करती थी, आज अतिक्रमण की वजह से कई जगहों पर मात्र 01 मीटर चौड़ी रह गयी है.

स्वर्णरेखा 10 मीटर रह गयी चौड़ी: इसी तरह झारखंड की महत्वपूर्ण नदियों में से एक स्वर्णरेखा नदी अतिक्रमण का शिकार होती रही है. जो कभी 24.47 मीटर चौड़ी हुआ करती थी वह आज 05 मीटर तक रह गयी है. डॉ नीतीश प्रियदर्शी बताया कि जुमार नदी जो कभी 30.4 मीटर चौड़ी हुआ करती थी वह भी आज 10 मीटर तक चौड़ी रह गयी है.

पोटपोटो नदी का भी हाल बेहाल: पोटपोटो नदी जो कभी 32.37 मीटर चौड़ी हुआ करती थी वह आज की तारीख में अतिक्रमण की वजह से 07 से 08 मीटर चौड़ी रह गयी है. सिकुड़ती नदियां यह बताने को काफी है कि कैसे रांची नगर निगम और झारखंड सरकार की उपेक्षा का शिकार ये नदियां हुईं हैं. राजधानी बनने के बाद रांची में जमीन महंगी होती गयी और भू माफियाओं ने सरकारी बाबुओं के साथ मिलकर नदी किनारे की जमीन को भी नहीं छोड़ा. नतीजा यह हुआ कि नदियां सिमटती चली गयीं और प्रशासन कान में तेल डाल कर सोया रहा.

प्रदूषित भी होती गयी नदियां: पूर्व की सरकार के समय हरमू नदी को सौंदर्यीकरण के नाम पर नगर विकास विभाग ने एक योजना बनाकर काम शुरू किया. लगभग 100 करोड़ की राशि भी हरमू जीर्णोद्धार के नाम खर्च हो गयी पर हरमू का स्वरूप नहीं बदला. आज भी ड्रेनेज और सिवरेज सिस्टम के अभाव में हर दिन बिना साफ किये नाले का लाखों लीटर गंदा पानी हरमू, जुमार,पोटपोटो, स्वर्णरेखा नदी में गिरता है. पूरी तरह प्रदूषित हो चुकी नदियों के पानी में अब जीवन नहीं बचा है.

क्या कहते हैं हरमू विद्यानगर के लोग: हरमू विद्यानगर की सुशीला देवी ने बताया कि पहले नदी ऐसी नहीं थी, यहां का पानी साफ हुआ करता था. छठ व्रत भी हरमू नदी में हुआ करती था, आज इसकी कल्पना भी नहीं की जा सकती. रामचरण कहते है कि यह सही है कि नदी पहले इस स्वरूप में नहीं थी.

नदी पर नहीं होनी चाहिए राजनीति: रांची की नदियों की बदहाल स्थिति को लेकर प्रदेश भाजपा के प्रवक्ता प्रदीप सिन्हा कहते हैं कि नदियों का अतिक्रमण और प्रदूषण ऐसा मुद्दा है जिसपर राजनीति नहीं होना चाहिए. उन्होंने कहा कि हम सब इसके लिए जिम्मेदार हैं. हम सबको मिलकर इसका रास्ता निकालना होगा.

Last Updated : Mar 12, 2023, 8:53 AM IST
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