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Ranchi News: चान्हो में लंपी स्किन डिजीज की रोकथाम के लिए चलाया गया जागरुकता अभियान, नियंत्रण करने के बताए तरीके

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Published : Aug 17, 2023, 7:38 AM IST

Updated : Aug 17, 2023, 9:50 AM IST

रांची के चान्हो में पशुओं में होने वाली लंपी स्किन डिजीज को लेकर जागरुकता अभियान चलाया गया. इस दौरान डिजीज से जानवरों को बचाने के उपाय बताए गए.

prevention of lumpy skin disease
गढ़वा और लोहरदगा में वायरल लंपी स्किन डिजीज

रांची: गढ़वा और लोहरदगा में वायरल लंपी स्किन डिजीज से ग्रसित पशु मिलने के बाद अब रांची में भी लंपी जैसे लक्षण वाले पशु मिले हैं. इसकी वजह से चान्हो में एक गाय की मौत और अन्य गायों के बीमार होने की खबर सामने आई. जिसके बाद रांची जिला पशुपालन विभाग ने चान्हो प्रखंड के कोको गांव में जागरुकता अभियान चलाया.

ये भी पढ़ें: Etv Bharat से खास बातचीत में बोले कृषि मंत्रीः चिंतित ना हो किसान-पशुपालक, सुखाड़ और बीमारी को लेकर सरकार गंभीर

गॉट पॉक्स वैक्सीन: रांची जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि चान्हो प्रखंड के कोको गांव में लंपी स्किन डिजीज जैसे लक्षणों के बाद बीमार पशुओं की मौत होने की सूचना मिली थी. इसकी सूचना मिलने पर रांची जिला पशुपालन विभाग की ओर से कोको रघुनाथपुर और आसपास के इलाके में लंपी बीमारी से बचाव के लिए अनुशंसित गॉट पॉक्स का वैक्सीन गौवंशीय जानवरों को दिया गया.

100 गाये हुईं वैक्सीनेट: रेपिड रिस्पॉन्स टीम (RRT) में शामिल डॉ. चुमनु तिर्की, डॉ. अजय कुमार गुप्ता और डॉ. बुद्धदेव नाग के नेतृत्व में पशु स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने कोको रघुनाथपुर का दौरा किया. यहां उन्होंने लंपी स्किन डिजीज की आशंका को देखते हुए बीमारी की रोकथाम के लिए 100 पशुओं को गॉट पॉक्स का वैक्सीन दिए. वहीं लोगों के बीच लंपी स्किन डिजीज को लेकर पशुपालकों में जागरुकता कार्यक्रम भी चलाया गया.

चान्हो पहुंचे पशु चिकित्सकों की टीम ने बताया कि जिस जानवर की मौत हुई है, उसका लक्षण लंपी जैसा जरूर था, लेकिन उसकी जांच नहीं हो सकी. बताया कि इस बात की जानकारी विभाग को देर से मिली. RRT के डॉक्टरों ने कहा कि अभी चान्हो के कोको रघुनाथपुर में जितने पशु हैं उनमें से किसी में भी लंपी के लक्षण नहीं हैं.

किया गया जागरूक: रांची के जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि अभी तक चान्हो में लंपी की पुष्टि नहीं हुई है. विभाग की ओर से एहतियातन लंपी गाइडलाइन्स का पालन करते हुए आसपास के सभी पशुओं को वैक्सीनेट कर दिया गया है. इस बीमारी से बचाव के लिए प्रचार वाहन से पशुपालकों को जागरूक किया जा रहा है.

इस दौरान संदिग्ध पशुओं का ब्लड सीरम भी कलेक्ट किया गया. जिसे जांच के लिए भोपाल या कोलकाता भेजा जाएगा. DAHO डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि क्षेत्र में लगातार आरआरटी भ्रमण करेगी और पशुपालकों को लंपी डिजीज से बचाव के उपाय बताने के साथ ही टीकाकरण और जागरूक करने का काम किया जाएगा.

सर्वप्रथम जांबिया में: राज्य के झारखंड पशु चिकित्सक सेवा संघ के महासचिव डॉ. शिवा काशी ने बताया कि LSD एक विषाणु से होने वाली बीमारी है. यह बीमारी सबसे पहले जांबिया में 1929 में देखा गया था. तब से अब तक इस बीमारी का प्रकोप विश्व के विभिन्न देशों में समय-समय पर होता रहा है. बताया कि पिछले वर्ष भी देश के कई हिस्सों के साथ-साथ राज्य में भी लंपी के केस मिले थे.

ये हैं इसके लक्षण: डॉ. शिवा काशी ने बताया कि लंपी स्किन डिजीज मक्खियों, मच्छरों के काटने, वर्षा का दूषित पानी पीने से फैलता है. वायरल बीमारी होने की वजह से इसका प्रसार तेजी से होता है. मुख्य रूप से गौवंशीय पशुओं में होने वाली इस बीमारी में आक्रांत बुखार आना शुरू होता है. शरीर पर छोटे-छोटे चकत्ते निकल आते हैं. बीमार पशुओं के छाती, पेट एवं पैरों में सूजन हो जाती है. संक्रमित पशुओं की आंख से पानी आता है. वहीं नाक से स्राव आना शुरू हो जाता है.

अपनाए ये उपाय: डॉ. शिवा काशी ने बताया कि जानवरों में लंपी स्किन डिजीज के लक्षण दिखते ही सर्वप्रथम किसी अनुभवी पशु चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए और उनकी सलाह पर उपचार शुरू कर देना चाहिए. बताया कि शरीर पर उभरे चकत्तों पर नीम-हल्दी का पेस्ट बनाकर लगाने से भी राहत मिलती है. पशु चिकित्सक डॉ. शिवा काशी के अनुसार LSD से बचाव के लिए एलोवेरा और हल्दी 2:1 मात्रा में मिलाकर जानवरों के घाव में लेप लगाने और बड़े पशुओं को पांच चम्मच और छोटे पशु को तीन चम्मच खिलाने से पशुओं में प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है.

इनका करें छिड़काव: डॉ. शिवा काशी ने बताया कि मक्खी, मच्छरों को दूर भगाने के लिए पशुओं के बांधने वाले स्थान पर Deltamethrin, permethrin इत्यादि कीटनाशकों का छिड़काव करना चाहिए. शाम के समय में नीम की पत्तियों को जलाकर धुंआ करना चाहिए. संभव हो तो गोइठा (उपला) में नीम की पत्ती और लकड़ी जलाकर धुआं करना चाहिए. पशु चिकित्सकों ने पशुपालकों को सलाह दी है कि बीमार पशु को बाकी पशुओं से अलग कर दें. गौ स्थान की नियमित साफ सफाई करें. संक्रमित पशु के पास जाने के बाद पशुपालक अच्छी तरह से हाथ, पैर, मुंह धोकर सैनिटाइजर का उपयोग करने के बाद ही स्वस्थ पशु के पास जाए.

रांची: गढ़वा और लोहरदगा में वायरल लंपी स्किन डिजीज से ग्रसित पशु मिलने के बाद अब रांची में भी लंपी जैसे लक्षण वाले पशु मिले हैं. इसकी वजह से चान्हो में एक गाय की मौत और अन्य गायों के बीमार होने की खबर सामने आई. जिसके बाद रांची जिला पशुपालन विभाग ने चान्हो प्रखंड के कोको गांव में जागरुकता अभियान चलाया.

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गॉट पॉक्स वैक्सीन: रांची जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि चान्हो प्रखंड के कोको गांव में लंपी स्किन डिजीज जैसे लक्षणों के बाद बीमार पशुओं की मौत होने की सूचना मिली थी. इसकी सूचना मिलने पर रांची जिला पशुपालन विभाग की ओर से कोको रघुनाथपुर और आसपास के इलाके में लंपी बीमारी से बचाव के लिए अनुशंसित गॉट पॉक्स का वैक्सीन गौवंशीय जानवरों को दिया गया.

100 गाये हुईं वैक्सीनेट: रेपिड रिस्पॉन्स टीम (RRT) में शामिल डॉ. चुमनु तिर्की, डॉ. अजय कुमार गुप्ता और डॉ. बुद्धदेव नाग के नेतृत्व में पशु स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं ने कोको रघुनाथपुर का दौरा किया. यहां उन्होंने लंपी स्किन डिजीज की आशंका को देखते हुए बीमारी की रोकथाम के लिए 100 पशुओं को गॉट पॉक्स का वैक्सीन दिए. वहीं लोगों के बीच लंपी स्किन डिजीज को लेकर पशुपालकों में जागरुकता कार्यक्रम भी चलाया गया.

चान्हो पहुंचे पशु चिकित्सकों की टीम ने बताया कि जिस जानवर की मौत हुई है, उसका लक्षण लंपी जैसा जरूर था, लेकिन उसकी जांच नहीं हो सकी. बताया कि इस बात की जानकारी विभाग को देर से मिली. RRT के डॉक्टरों ने कहा कि अभी चान्हो के कोको रघुनाथपुर में जितने पशु हैं उनमें से किसी में भी लंपी के लक्षण नहीं हैं.

किया गया जागरूक: रांची के जिला पशुपालन पदाधिकारी डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि अभी तक चान्हो में लंपी की पुष्टि नहीं हुई है. विभाग की ओर से एहतियातन लंपी गाइडलाइन्स का पालन करते हुए आसपास के सभी पशुओं को वैक्सीनेट कर दिया गया है. इस बीमारी से बचाव के लिए प्रचार वाहन से पशुपालकों को जागरूक किया जा रहा है.

इस दौरान संदिग्ध पशुओं का ब्लड सीरम भी कलेक्ट किया गया. जिसे जांच के लिए भोपाल या कोलकाता भेजा जाएगा. DAHO डॉ. अनिल कुमार ने बताया कि क्षेत्र में लगातार आरआरटी भ्रमण करेगी और पशुपालकों को लंपी डिजीज से बचाव के उपाय बताने के साथ ही टीकाकरण और जागरूक करने का काम किया जाएगा.

सर्वप्रथम जांबिया में: राज्य के झारखंड पशु चिकित्सक सेवा संघ के महासचिव डॉ. शिवा काशी ने बताया कि LSD एक विषाणु से होने वाली बीमारी है. यह बीमारी सबसे पहले जांबिया में 1929 में देखा गया था. तब से अब तक इस बीमारी का प्रकोप विश्व के विभिन्न देशों में समय-समय पर होता रहा है. बताया कि पिछले वर्ष भी देश के कई हिस्सों के साथ-साथ राज्य में भी लंपी के केस मिले थे.

ये हैं इसके लक्षण: डॉ. शिवा काशी ने बताया कि लंपी स्किन डिजीज मक्खियों, मच्छरों के काटने, वर्षा का दूषित पानी पीने से फैलता है. वायरल बीमारी होने की वजह से इसका प्रसार तेजी से होता है. मुख्य रूप से गौवंशीय पशुओं में होने वाली इस बीमारी में आक्रांत बुखार आना शुरू होता है. शरीर पर छोटे-छोटे चकत्ते निकल आते हैं. बीमार पशुओं के छाती, पेट एवं पैरों में सूजन हो जाती है. संक्रमित पशुओं की आंख से पानी आता है. वहीं नाक से स्राव आना शुरू हो जाता है.

अपनाए ये उपाय: डॉ. शिवा काशी ने बताया कि जानवरों में लंपी स्किन डिजीज के लक्षण दिखते ही सर्वप्रथम किसी अनुभवी पशु चिकित्सक से सलाह लेनी चाहिए और उनकी सलाह पर उपचार शुरू कर देना चाहिए. बताया कि शरीर पर उभरे चकत्तों पर नीम-हल्दी का पेस्ट बनाकर लगाने से भी राहत मिलती है. पशु चिकित्सक डॉ. शिवा काशी के अनुसार LSD से बचाव के लिए एलोवेरा और हल्दी 2:1 मात्रा में मिलाकर जानवरों के घाव में लेप लगाने और बड़े पशुओं को पांच चम्मच और छोटे पशु को तीन चम्मच खिलाने से पशुओं में प्रतिरोधक क्षमता बेहतर होती है.

इनका करें छिड़काव: डॉ. शिवा काशी ने बताया कि मक्खी, मच्छरों को दूर भगाने के लिए पशुओं के बांधने वाले स्थान पर Deltamethrin, permethrin इत्यादि कीटनाशकों का छिड़काव करना चाहिए. शाम के समय में नीम की पत्तियों को जलाकर धुंआ करना चाहिए. संभव हो तो गोइठा (उपला) में नीम की पत्ती और लकड़ी जलाकर धुआं करना चाहिए. पशु चिकित्सकों ने पशुपालकों को सलाह दी है कि बीमार पशु को बाकी पशुओं से अलग कर दें. गौ स्थान की नियमित साफ सफाई करें. संक्रमित पशु के पास जाने के बाद पशुपालक अच्छी तरह से हाथ, पैर, मुंह धोकर सैनिटाइजर का उपयोग करने के बाद ही स्वस्थ पशु के पास जाए.

Last Updated : Aug 17, 2023, 9:50 AM IST
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