रांची: ऐसा दावा किया जाता है कि रिम्स में एम्स की तर्ज पर सुविधाएं दी जाती हैं. लेकिन ऐसी कई बुनियादी समस्याएं हैं जिससे रिम्स का चोली-दामन का साथ है. ऐसे में ये तमाम सरकारी दावे दम तोड़ते नजर आते हैं. वैसे तो यहां कई तरह की समस्याएं हैं लेकिन वर्तमान में सबसे बड़ी समस्या मोबाइल नेटवर्क की है. यह समस्या सिर्फ मरीजों के लिए ही नहीं बल्कि डॉक्टरों के लिए भी बड़ी है. अस्पताल के कई विभागों में फोन नहीं लगने की समस्या से मरीज तो परेशान रहते ही हैं, कई बार डॉक्टरों को भी परेशानी झेलनी पड़ती है.
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मोबाइल नेटवर्क की समस्या से कई विभाग प्रभावित है. जिसमें ऑर्थो, चर्म रोग और न्यूरो विभाग में सबसे ज्यादा परेशानी झेल रहा है. मरीजों के परिजनों को वार्ड से बाहर निकलने के बाद मुश्किल से फोन पर बात हो पाती है. इसको लेकर रिम्स प्रबंधन ने टेलीकॉम कंपनी और स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारियों से गुहार लगाई. चर्म रोग विभाग के अध्यक्ष डॉ. प्रभात कुमार बताते हैं कि अस्पताल के ग्राउंड फ्लोर और थर्ड फ्लोर में मोबाइल का नेटवर्क बिल्कुल भी नहीं रहता. जिस वजह से कई बार जूनियर डॉक्टरों को अपने सीनियर डॉक्टर से संपर्क करने में काफी परेशानी होती है. साथ ही कोई गंभीर मरीज वार्ड में भर्ती रहता है तो मरीज का अपडेट लेने के लिए सीनियर डॉक्टरों को खुद बेड तक जाना पड़ता है. कई बार अगर मरीज अत्यधिक गंभीर होते हैं तो डॉक्टर को आने में काफी परेशानी होती है और इसका खामियाजा कहीं ना कहीं मरीजों को भी झेलना पड़ता है.
बिना फोन परिजनों को ढूंढना मुश्किलः सिर्फ चिकित्सक ही नहीं यहां भर्ती मरीज और उनके परिजनों को भी रिम्स में मोबाइल नेटवर्क की समस्या से दो-चार होना पड़ता है. आलम यह है कि मरीज के परिजन बिना फोन के एक-दूसरे को ढूंढने ने अपनी समय गंवा देते हैं. घंटों से अपने पति को ढूंढ रही नीना कुमारी बताती हैं कि वो पिछले 2 घंटे से अपने पति को फोन कर रही है लेकिन फोन नहीं लग रहा है.
न्यूरो वार्ड का हाल-बेहालः मोबाइल कनेक्टिविटी की समस्या रिम्स के न्यूरो विभाग में भी बनी हुई है. न्यूरो वार्ड में भर्ती मरीजों ने बताया कि ठंड के मौसम में नेटवर्क प्रॉब्लम रहने के कारण बहुत दिक्कत होती है. जरूरी फोन करने के लिए उन्हें अस्पताल के बाहर जाना पड़ता है. घर वाले अगर मरीज से बात करना चाहते हैं तो उनसे बात भी करा पाना मुश्किल होता है. क्योंकि मरीज के वार्ड में नेटवर्क आता ही नहीं है. कई मरीजों ने बताया कि अस्पताल में हर जगह फोन नहीं लगता इसके लिए हर वक्त एक जगह से दूसरे जगह दौड़ना पड़ता है. वहीं परिजन कहते हैं कि बेड पर पड़े मरीज के मनोरंजन के लिए मोबाइल ही एक साधन है लेकिन नेटवर्क नहीं रहने से काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.
रिम्स परिसर में वीडियो कॉल मुश्किलः इसको लेकर रिम्स के जनसंपर्क पदाधिकारी डॉ. राजीव रंजन बताते हैं कि नेटवर्क समस्या वर्षों से है. इस समस्या का समाधान अब तक नहीं हो पाया है. उन्होंने बताया कि आज के जमाने में जब लोग सभी काम फोन से करते हैं वैसी परिस्थिति में अगर रिम्स जैसे अस्पताल में नेटवर्क की समस्या रहे तो स्वाभाविक है सारे काम बाधित होते हैं.
डॉ. राजीव रंजन बताते हैं अगर कोई फोन आता है तो बात करने के लिए आज भी डॉक्टर और मरीजों को अपने वार्ड या कार्यालय से बाहर निकलना पड़ता है, जो निश्चित रूप से परेशानी का कारण है. सबसे ज्यादा परेशानी तब होती है जब ऑपरेशन या फिर इलाज से जुड़े निर्णय लेने के लिए फोन के माध्यम से संपर्क नहीं हो पाता है. उन्होंने स्वास्थ्य विभाग और दूरसंचार कंपनियों से आग्रह करते हुए कहा कि रिम्स की समस्या पर ध्यान दें ताकि मरीजों और डॉक्टरों को राहत मिल सके. झारखंड में मोबाइल नेटवर्क का विस्तार हो रहा है ऐसे में रिम्स की बदहाली चिंताजनक है.