रांची: झारखंड राज्य के 22वें स्थापना दिवस के मौके पर मोराबादी में आयोजित कार्यक्रम में आमंत्रण नहीं मिलने की वजह से रांची मेयर आशा लकड़ा नाराज हैं. इसको लेकर उन्होंने आपत्ति जताते हुए कहा कि सरकार के अधिकारियों ने प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते हुए, उन्हें कार्यक्रम के लिए निमंत्रण नहीं दिया है.
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रांची मेयर आशा लकड़ा ने कहा है कि प्रोटोकॉल के अनुसार नगर निगम क्षेत्र में अगर कोई कार्यक्रम आयोजित की जाती है तो उसमें मुख्यमंत्री के बाद मुख्य अतिथि के रुप में मेयर का ही स्थान होता है. झारखंड सरकार के वर्तमान अधिकारियों ने जानबूझकर प्रोटोकॉल का उल्लंघन करते हुए उनका नाम कार्यक्रम से हटा दिया है. उन्होंने आक्रोश जाहिर करते हुए कहा कि कांग्रेस के झारखंड प्रभारी अविनाश पांडेय का नाम कार्यक्रम में रखा गया है जबकि वह किसी भी संवैधानिक पद पर नहीं हैं. जब उनका नाम कार्यक्रम में हो सकता है तो फिर निगम क्षेत्र के सबसे प्रथम व्यक्ति का नाम अधिकारियों ने कार्यक्रम में क्यों नहीं रखा गया. उन्होंने कहा कि राज्य सरकार के इस तरह की छोटी हरकतों से साफ प्रतीत होता है कि हेमंत सोरेन की सरकार आदिवासी विरोधी है.
मेयर आशा लकड़ा ने आपत्ति जताते हुए कहा कि एक तरफ वह 1932 के खतियान को लागू करवा कर वो खुद को आदिवासी समाज का मसीहा बताते हैं. वहीं दूसरी ओर आदिवासी समाज की मेयर आशा लकड़ा को कार्यक्रम में नहीं बुलावा कर बेइज्जत करवाते हैं. हेमंत सोरेन और उनके अधिकारियों की इस तरह की छोटी हरकतों से ओछी मानसिकता स्पष्ट होती है.