रांची: राजधानी रांची से करीब 15 किलोमीटर दूर पिस्का नगड़ी गांव के रहने वाले ज्ञान राज को अब तक सिर्फ इसी इलाके के लोग जानते थे. लेकिन रियलिटी शो 'कौन बनेगा करोड़पति' की हॉट सीट पर बैठने के बाद उन्हें पूरा देश जानने लगा है.
सदी के महानायक अमिताभ बच्चन ने ज्ञान राज की तुलना बॉलीवुड की सुपर हिट मूवी थ्री इडियट के किरदार रेंचो उर्फ फुनसुक वांगड़ू से की थी. इस फिल्म का एक डायलॉग आज भी चलन में है कि कामयाब होने के लिए नहीं, काबिल होने के लिए पढ़ो. लेकिन इसके मायने जिन चंद लोगों ने समझा है, उनमें रांची के ज्ञान राज भी हैं. इसी वजह से उन्होंने समाज में अपनी अलग पहचान बनाई है. ज्ञान अपने ही पिता के स्कूल के बच्चों में छिपे भावी वैज्ञानिक तराश रहे हैं.
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PSA ग्रुप के मेंबर हैं ज्ञान राज
भारत के PSA यानी प्रिंसिपल साइंटिफिक एडवाइजर हैं के. विजयन राघवन. नवंबर 1999 में पीएसए की नींव रखी गई थी. यह ग्रुप प्रधानमंत्री को साइंस एंड टेक्नोलॉजी की जरूरतों से जुड़ा सुझाव देता है. इसमें देश भर से 100 यंग साइंटिस्ट जोड़े गए हैं जिनमें रांची के ज्ञान राज भी शामिल हैं.
अटल का मिला सहयोग
नीति आयोग ने अटल मिशन लैब के तहत अटल टिंकरिंग लैब को प्रयोग के रूप में शुरू किया था. इसका मकसद है बच्चों और युवाओं में वैज्ञानिक सोच विकसित करना. अपने स्कूल में इस लैब का लाभ लेने के लिए ज्ञान ने पोर्टल पर प्रोजेक्ट बनाकर अप्लाई किया था. आज झारखंड में सिर्फ तीन जगह यह लैब है.
अटल की तरफ से समय-समय पर बच्चों के लिए वर्कशॉप का आयोजन होता है ताकि उनकी वैज्ञानिक क्षमता में निखार आए. इनके लैब में बच्चों को रोबोटिक, आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस, ड्रोन मेकिंग, इंटरनेट ऑफ थिंग्स और वर्चुअल रिएलिटी की जानकारी दी जाती है. साथ ही नये-नये इजाद करने के लिए प्रेरित किया जाता है. यहां के बच्चे बाजार से ड्रोन खरीदने के बजाए खुद ड्रोन बनाकर उड़ाते हैं. इनके स्कूल के ज्यादातर बच्चे इंजीनियर बनना चाहते हैं.
ज्ञान राज का सफर और सपना
ज्ञान राज ने अपने पिता दुबराज साहू द्वारा स्थापित राज इंटरनेशनल स्कूल से 10वीं की पढ़ाई पूरी की. फिर रांची के संत जेवियर्स कॉलेज से साइंस में स्टेट टॉपर बने. रांची के ही बीआईटी मेसरा से कंप्यूटर साइंस में बी-टेक किया. इसके बाद इन्हें कई बड़ी कंपनियों से ऑफिर मिले लेकिन ज्ञान राज में छिपा रेंचो उर्फ फुनसुक वांगड़ू कुछ और ही चाहता था. इनके स्कूल के बच्चों को साइंस एंड टेक्नोलॉजी से जुड़े कई कॉम्पटीशन में अवॉर्ड मिल चुका है. उन्होंने अपने स्कूल के बच्चों द्वारा तैयार एक मॉडल को भी दिखाया जो सोलर से चलता है.
इस छोटी सी मशीन की बदौलन न सिर्फ अपने खेत के घास काटे जा सकते हैं बल्कि खर-पतवार हटाने से लेकर घर में बच्चों को पढ़ाई के वक्त रोशनी भी दी जा सकती है. ज्ञान राज कहते हैं कि गांव के बच्चों में प्रतिभा की कोई कमी नहीं है. उन्हें तो बस रास्ता दिखाने वाला चाहिए. मैं वही काम कर रहा हूं. अब वक्त है कि हमारे बच्चे कामयाबी वाली नहीं बल्कि काबिल बनने वाली पढ़ाई पढ़ें.