रांची: रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव राजनीतिक दलों के लिए लिटमस टेस्ट करने का काम करेगा. सत्तारूढ़ यूपीए के लिए जहां इस सीट को बचाकर रखना किसी प्रतिष्ठा से कम नहीं होगी. इसी तरह एनडीए के लिए इस सीट को जीतना किसी चुनौती से कम नहीं है. इसका फैसला 27 फरवरी को मतदान के दौरान रामगढ़ विधानसभा की जनता तय करेगी, जिसके लिए तैयारियां शुरू हो चुकी हैं. राजनीतिक दृष्टि से अहम माने जानेवाले इस सीट को पाने के लिए एनडीए ने कई रणनीति बनाई है.
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एनडीए को भरोसा है कि रामगढ़ की जनता विजयश्री का माला एनडीए प्रत्याशी को ही पहनाएगी. 2019 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस प्रत्याशी ममता देवी को 99944 मत मिले थे, वहीं आजसू प्रत्याशी सुनीता चौधरी 71226 वोट और भाजपा प्रत्याशी रणंजय कुमार एक 30874 वोट मिले थे, अगर एनडीए एकजुट रहता तो परिणाम अलग होता. यही वजह है कि इस बार के उपचुनाव में एनडीए वह गलती नहीं करेगा जो उसने 2019 के विधानसभा चुनाव के दौरान किया था.
एनडीए की रणनीति और चुनौती: पंचम विधानसभा का यह पांचवां उपचुनाव होगा. अब तक हुए चार विधानसभा उपचुनाव में यूपीए बाजी मारती रही है. यूपीए के इस विजय रथ को रोकने के लिए डीएनए बड़ी रणनीति बनाई है. जिसके तहत 2019 में जो बिखराव एनडीए के अंदर देखने को मिली थी उसे भुलाकर एक साथ चुनाव लड़ने की तैयारी की गई है. इस सीट पर आजसू की पकड़ मजबूत होने के कारण भारतीय जनता पार्टी ने अपनी दावेदारी को छोड़ते हुए आजसू को चुनाव लड़ने की सहमति दी है. इसके अलावा डीएनए ने राज्य सरकार की खामियों को युवा एवं महिला कार्यकर्ताओं के जरिए रामगढ़ की जनता को बताने की योजना बनाई है.
इस उपचुनाव में स्थानीय मुद्दे खासकर गोला गोलीकांड को भी एनडीए हथियार बनायेगी जिस वजह से ममता देवी को सदस्य से हाथ धोना पड़ा. इन सबके बीच एनडीए के समक्ष बड़ी चुनौती हेमंत सरकार के द्वारा पिछले दिनों 1932 खतियान आधारित स्थानीयता, ओबीसी आरक्षण, निजी क्षेत्र में 75%आरक्षण सहित कई ऐसे मुद्दों पर लिए गए फैसले हैं. भ्रष्टाचार के साथ परिवारवाद का मुद्दा मांडर विधानसभा उपचुनाव में एनडीए की नहीं चल पाई ऐसे में स्थानीय मुद्दों के साथ सरकार के फैसले पर घेरने की तैयारी एनडीए ने की है.
2019 में करीब 35 वर्ष बाद जीती थी कांग्रेस: रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र आजसू का गढ़ माना जाता है. यहां से पूर्व मंत्री और वर्तमान में गिरिडीह के सांसद चंद्र प्रकाश चौधरी चुनाव जीतते रहे हैं. 2019 के लोकसभा चुनाव में चंद्र प्रकाश चौधरी के गिरिडीह से सांसद बनने के बाद विधानसभा चुनाव में वे अपनी पत्नी सुनीता चौधरी को चुनाव नहीं जीता पाए. इस तरह से रामगढ़ में आजसू का पिछले 15 साल का कब्जा ध्वस्त हो गया और 35 वर्षों के बाद कांग्रेस ने इस सीट पर जीत दर्ज की. एक बार फिर यूपीए की ओर से कांग्रेस अपना प्रत्याशी उतारने की तैयारी में है. कांग्रेस विधायक दल के नेता आलमगीर आलम ने कहा है कि कांग्रेस की यह परंपरागत सीट रही है इसलिए जल्द ही विधानसभा उपचुनाव में पार्टी का केंद्रीय नेतृत्व प्रत्याशी की घोषणा करेगा.
रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव को लेकर तैयारी पूरी: रामगढ़ विधानसभा उपचुनाव को लेकर चुनाव आयोग ने तैयारी पूरी कर ली है. 27 फरवरी को ईवीएम के जरिए मतदान होगा. चुनाव आयोग के द्वारा 405 मतदान केंद्र बनाए गए हैं. जिसमें शहरी क्षेत्र में 62 और ग्रामीण क्षेत्र में 343 मतदान केंद्र शामिल हैं. मतदाताओं की संख्या की बात करें तो रामगढ़ विधानसभा क्षेत्र में 3,34,167 मतदाता हैं जिसमें 1,72,923 पुरुष 1,61,244 महिला मतदाता शामिल है.