रांची: झारखंड सरकार के मंत्री रामेश्वर उरांव ने पूरे प्रदेश में बिजली के संकट को लेकर अपनी प्रतिक्रिया दी है. उन्होंने कहा है कि यह सिर्फ झारखंड की समस्या नहीं है बल्कि यह राष्ट्रव्यापी समस्या है और इस समस्या से सभी को मिलकर निपटने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि इसमें ना तो केंद्र सरकार का दोष है और ना ही राज्य सरकार का. बिजली का उत्पादन कम हो रहा है और इस वजह से यह समस्या आ रही है.
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मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि कोयला का उत्पादन देश भर में कम हो रहा है और इस वजह से बिजली के उत्पादन में भी परेशानियां आ रही हैं. गर्मी की वजह से जलाशय और डैम सूख रहे हैं और इस वजह से भी बिजली संकट दिख रही है. बिजली सप्लाई कम हो रही है, इसे लेकर विभिन्न कंपनियों से राज्य सरकार बात भी कर रही है. पिछले दिनों डीवीसी के चेयरमैन से भी इस मसले को लेकर बातचीत हुई थी. डीवीसी से आग्रह किया गया था कि झारखंड को डेढ़ सौ मेगावाट बिजली दिया जाए. लेकिन डीवीसी ने कहा है कि फिलहाल, वह 50 मेगावाट बिजली ही राज्य को दे सकेंगे क्योंकि बिजली उत्पादन नहीं हो रहा है. कोयले की कमी के कारण यह समस्या आई है. उन्होंने कहा कि यह राष्ट्रीय संकट है, सिर्फ झारखंड की समस्या नहीं है.
अधिक दामों पर बिजली खरीदने के लिए तैयार: मंत्री रामेश्वर उरांव ने कहा कि झारखंड के लोगों को बिजली देना है. इसलिए राज्य सरकार विभिन्न कंपनियों से बढ़े हुए दामों में भी बिजली खरीदने के लिए तैयार है. इसके बावजूद बिजली नहीं मिल रही है और इसकी सबसे बड़ी वजह बिजली का उत्पादन कम होना है. उन्होंने कहा कि लोग भी अच्छी तरह जानते हैं कि कोयले का उत्पादन कम होने के कारण बिजली संकट आई है. कोयले से ही 80 फीसदी बिजली का उत्पादन होता है और अगर कोयला का उत्पादन ही कम होगा तो प्लांट को कोयला सप्लाई भी नहीं होगी. ऐसे में बिजली संकट होना लाजमी है. उन्होंने कहा कि भारत सरकार भी बिजली उत्पादन की दिशा में काम कर रही है. राष्ट्रीय स्तर पर भी केंद्र सरकार इस दिशा में पहल कर रही है. इसमें किसी का भी दोष नहीं है. राज्य सरकार अपना काम कर रही है और केंद्र सरकार अपना. इस राष्ट्रव्यापी समस्या से निपटने के लिए सबको मिलजुल कर आगे बढ़ना होगा. पर्यावरण को बचाने के लिए कोयले से उत्पादित बिजली को कम करने की दिशा में भी कदम बढ़ाया गया है लेकिन, जब तक अन्य वैकल्पिक व्यवस्था नहीं हो जाती तब तक कोयले से ही बिजली का उत्पादन होगा.