रांची: झारखंड सरकार ने दूसरे राज्यों में फंसे प्रदेश के मजदूरों की समस्याओं के समाधान के लिए गुरुवार को एक महत्वपूर्ण बैठक की, जिसमें राज्य के 9 आईएएस अधिकारी मौजूद रहे. सरकार ने कोविड-19 के रोकथाम के व्यवस्थाओं के लिए तीन मंत्रियों की उप समिति बनाई है. उप समिति के वरिष्ठ सदस्य रामेश्वर उरांव ने बताया कि बाहर फंसे मजदूरों को भोजन पहुंचाने के लिए सरकार हर संभव प्रयास कर रही है.
अधिकारियों संग 7 बिंदुओं पर हुई चर्चा
रामेश्वर उरांव ने बताया की बैठक में कई बिंदुओं पर चर्चा हुई, जिसमें लॉकडाउन के दौरान बाहर फंसे मजदूरों को मदद पहुंचाने पर विशेष रुप से फोकस किया गया. उन्होंने कहा कि बिहार सरकार ने जिस तरह से बाहर फंसे बिहारी मजदूरों के खाते में पैसे पहुंचाए हैं, उसी तरह से झारखंड सरकार भी प्रदेश के मजदूरों के खाते में पैसे पहुंचाने का प्रयास कर रही है. बैठक में लॉकडाउन को लेकर भी चर्चा की गई.
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रामेश्वर उरांव ने कहा कि जब लॉकडाउन समाप्त होगा तो वैसे लोगों को वापस कैसे लाया जाए और भारत सरकार उनमें क्या मदद करेगी इसको लेकर भी बात हुई. उन्होंने बताया कि वैसे लोगों को आने के बाद क्या करना है इसपर भी चर्चा की गई, बाहर से लाए जाने के बाद सभी लोगों के स्वास्थ्य की जांच की जाएगी, जिसके बाद उन्हें घर भेजा जाएगा. उन्होंने कहा कि अगर बड़ी संख्या में लोग आ जाते हैं तो रोजगार देना एक बड़ी समस्या होगी, वैसे तो गांव में मनरेगा और कृषि है, लेकिन रोजगार की दिक्कत होगी, हालांकि अब बरसात में खेती बारी होगी तो काम मिल जाएगा.
मुखिया और पंचायत सेविका की लेंगे मदद
रामेश्वर उरांव ने कहा कि राज्य सरकार ने बाहर फंसे लोगों के लिए कॉल सेंटर बनाए हैं, लेकिन बहुत से ऐसे लोग हैं जो संपर्क में नहीं हैं, ऐसे लोगों की वास्तविक संख्या जानने के लिए गांव में पंचायत सेविका और मुखिया की मदद ली जाएगी, सरकार के आंकड़ों के अनुसार लगभग 8 लाख लोग ऐसे हैं. उन्होंने जानकारी दी कि अगर यह संख्या ज्यादा हुई तो गांव में मुखिया और पंचायत सेविकाओं से जानकारी ली जाएगी.
महाराष्ट्र में झारखंड के ज्यादा मजदूर फंसे
झारखंड के मजदूर महाराष्ट्र के अलावा यूपी और हरियाणा में भी बड़ी संख्या में फंसे हुए हैं. रामेश्वर उरांव ने बताया कि महाराष्ट्र में मजदूर बड़ी संख्या में फंसे हुए हैं, इसके अलावा उत्तर प्रदेश, तेलंगाना, हरियाणा में भी झारखंड के मजदूर फंसे हुए हैं. उन्होंने कहा कि बाहर फंसे मजदूरों के समस्याओं को दूर करने के लिए राज्य सरकार ने 15 पदाधिकारियों को जिम्मा दिया है, सभी आईएएस अधिकारी को अलग-अलग प्रदेश की जिम्मेदारी दी गई है.