रांची: वित्त मंत्री रामेश्वर उरांव ने 2019 में गांधी जयंती पर मंदिरों को लेकर एक बयान दिया था जिसकी खूब आलोचना हुई थी. ईटीवी भारत को दिए इंटरव्यू में उन्होंने इसको लेकर सफाई दी है. रामेश्वर उरांव ने कहा कि उन्होंने जो कहा था वह पूरी तरह सही था, लेकिन व्यवहारिक नहीं था. कई लोगों ने उनसे यह बातें कही. इसके बाद उन्होंने ऐसा कोई बयान नहीं दिया. पढ़िये रामेश्वर उरांव ने मंदिरों को लेकर दिए बयान पर क्या सफाई दी.
मंदिरों पर जो बयान दिया था, वह गांधीजी की जीवनी में लिखा है. 1916 में गांधीजी बनारस(वाराणसी) गए थे. बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी का शिलान्यास हो रहा था और मालवीयजी ने उन्हें बुलाया था. किसी ने गांधीजी को कहा कि आप हिंदू हैं तो बगल में विश्वनाथ मंदिर चलिए. गांधीजी मंदिर चले गए. उस वक्त रजिस्टर में नाम-पता लिखा जाता था. गांधीजी पूजा करके हटे तो पंडितजी ने दक्षिणा मांगी. गांधीजी ने उन्हें एक रुपए दिए. पंडित ने कहा गुजराती हो, पैसे वाले हो तो और पैसा दो. गांधीजी ने कहा कि और पैसा नहीं दूंगा. मेरे पास और पैसे हो सकते हैं लेकिन एक रुपए से ज्यादा नहीं दूंगा.
गांधीजी के यह कहने पर पंडित ने कहा कि भगवान तुम्हारा भला नहीं करेगा. तुम्हारा मंदिर में आना बेकार है. गांधीजी ने कहा कि यहां भगवान नहीं हैं. यहां तो मैं गंदगी देख रहा हूं. फिर गांधीजी किसी मंदिर में नहीं गए. बाहर ही रघुपति राघव राजा राम गाते रहे और लोगों से भी गाने के लिए कहते रहे.
-रामेश्वर उरांव, वित्त मंत्री
तथ्य सही थे, लेकिन व्यवहारिक नहीं
रामेश्वर उरांव ने कहा कि उस वक्त भी मैंने अपने बयान की पुष्टि के लिए गांधीजी की जीवनी का हवाला दिया था. लोगों ने मुझसे कहा कि आपने पढ़ा है, यह अलग बात है. लेकिन ऐसा नहीं कहना चाहिए था. यह मानता हूं कि तथ्य सही थे लेकिन व्यवहारिकता यही है कि वह बातें नहीं बोलनी चाहिए थी. उसके बाद से इसको लेकर कभी कुछ ऐसा नहीं कहा.