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राज्यसभा चुनाव 2016 हॉर्स ट्रेडिंग मामला: ईडी ने मांगी पुलिस से सुपरविजन रिपोर्ट

राज्यसभा चुनाव 2016 हॉर्स ट्रेडिंग का मामला (Rajya Sabha Election 2016 Horse Trading) एक बार फिर से चर्चा में है. मामले को लेकर प्रवर्तन निदेशालय ने पुलिस से अब तक हुए जांच की पूरी जानकारी मांगी है. ईडी ने पत्र भेजकर सुपरविजन रिपोर्ट के साथ-साथ पुलिस की इंटरनल रिपोर्ट की भी मांग की है. इससे पहले ईडी ने रांची पुलिस से राज्यसभा चुनाव मामले में की गई एफआईआर की मांग की थी. (ED letter to Jharkhand Police)

Rajya Sabha Election 2016 Horse Trading
रांची ईडी कार्यालय
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Published : Jan 3, 2023, 4:58 PM IST

रांची: राज्यसभा चुनाव 2016 हॉर्स ट्रेडिंग मामले (Rajya Sabha Election 2016 Horse Trading) में ईडी ने दूसरी बार झारखंड पुलिस को पत्र लिखा (ED letter to Jharkhand Police) है. इससे पूर्व ईडी ने दर्ज एफआईआर की कॉपी मांगी थी जिसे रांची पुलिस के द्वारा उपलब्ध करवाया गया था. इस बार जो पत्र लिखा गया है उसमें ईडी ने मामले में सुपरविजन और इंटरनल रिपोर्ट की मांग की है. साथ ही ईडी के द्वारा यह भी पूछा गया है कि क्या केस में प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट लगा है. पत्र के द्वारा झारखंड पुलिस से जल्द से जल्द सभी जानकारी ईडी को उपलब्ध करवाने की बात कही गई है.

ये भी पढ़ें- झारखंड घोटाला कथा: राज्यसभा चुनाव 2016 में बीजेपी को दिलाई थी जीत, अब मुश्किल में हैं पूर्व सीएम!

क्या है पूरा मामला: गौरतलब है केंद्रीय निर्वाचन आयोग के आदेश पर रांची के जगन्नाथपुर थाने में वर्ष 2016 में चुनाव को प्रभावित करने संबंधी एक प्राथमिकी (154/18) दर्ज की गयी थी. मामले की जांच दौरान पूर्व मंत्री योगेंद्र साव और उनकी पत्नी तथा तत्कालीन विधायक निर्मला देवी का भी बयान लिया गया था. निर्मला देवी ने अपने बयान में आरोप लगाया था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास और उनके सहयोगियों, विशेष शाखा के तत्कालीन एडीजी अनुराग गुप्ता, तत्कालीन मुख्यमंत्री के सलाहकार अजय कुमार ने उन्हें एनडीए प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करने के एवज में पांच करोड़ रुपये देने की लालच दी थी और भाजपा में शामिल होने का प्रस्ताव दिया था. मतदान के लिए धमकाने से संबंधित एक ऑडियो भी रिकॉर्ड किया गया था. इसके बाद ही इस मामले ने तूल पकड़ा था और प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. तब से ही मामले की जांच चल रही है.



पूर्व सिटी एसपी ने मामले को लेकर की थी टिपण्णी: रांची के तत्कालीन सिटी एसपी अंशुमन कुमार ने 17 नवंबर 2022 को सौंपी अपनी सुपरविजन रिपोर्ट में जांच को लेकर कुछ बिंदुओं पर टिप्पणी की थी. सिटी एसपी ने कुछ और बिंदुओं पर जांच करने की सलाह दी थी. मसलन विधि-विज्ञान प्रयोगशाला गांधीनगर से प्राप्त जांच रिपोर्ट के बिंदु नंबर 12 और 13 का जिक्र रिपोर्ट में नहीं किया गया है. वहीं फोन पर डिलीटेड डेटा की एक डीवीडी बनाकर सीएफएसएल गांधीनगर से भेजी गयी थी, जांच अधिकारी के द्वारा उसका भी कोई अध्ययन नहीं किया गया. तत्कालीन सिटी एसपी ने इन सभी मामलों पर पूरी जांच करने का निर्देश दिया था.

रांची: राज्यसभा चुनाव 2016 हॉर्स ट्रेडिंग मामले (Rajya Sabha Election 2016 Horse Trading) में ईडी ने दूसरी बार झारखंड पुलिस को पत्र लिखा (ED letter to Jharkhand Police) है. इससे पूर्व ईडी ने दर्ज एफआईआर की कॉपी मांगी थी जिसे रांची पुलिस के द्वारा उपलब्ध करवाया गया था. इस बार जो पत्र लिखा गया है उसमें ईडी ने मामले में सुपरविजन और इंटरनल रिपोर्ट की मांग की है. साथ ही ईडी के द्वारा यह भी पूछा गया है कि क्या केस में प्रिवेंशन ऑफ करप्शन एक्ट लगा है. पत्र के द्वारा झारखंड पुलिस से जल्द से जल्द सभी जानकारी ईडी को उपलब्ध करवाने की बात कही गई है.

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क्या है पूरा मामला: गौरतलब है केंद्रीय निर्वाचन आयोग के आदेश पर रांची के जगन्नाथपुर थाने में वर्ष 2016 में चुनाव को प्रभावित करने संबंधी एक प्राथमिकी (154/18) दर्ज की गयी थी. मामले की जांच दौरान पूर्व मंत्री योगेंद्र साव और उनकी पत्नी तथा तत्कालीन विधायक निर्मला देवी का भी बयान लिया गया था. निर्मला देवी ने अपने बयान में आरोप लगाया था कि तत्कालीन मुख्यमंत्री रघुवर दास और उनके सहयोगियों, विशेष शाखा के तत्कालीन एडीजी अनुराग गुप्ता, तत्कालीन मुख्यमंत्री के सलाहकार अजय कुमार ने उन्हें एनडीए प्रत्याशी के पक्ष में मतदान करने के एवज में पांच करोड़ रुपये देने की लालच दी थी और भाजपा में शामिल होने का प्रस्ताव दिया था. मतदान के लिए धमकाने से संबंधित एक ऑडियो भी रिकॉर्ड किया गया था. इसके बाद ही इस मामले ने तूल पकड़ा था और प्राथमिकी दर्ज की गयी थी. तब से ही मामले की जांच चल रही है.



पूर्व सिटी एसपी ने मामले को लेकर की थी टिपण्णी: रांची के तत्कालीन सिटी एसपी अंशुमन कुमार ने 17 नवंबर 2022 को सौंपी अपनी सुपरविजन रिपोर्ट में जांच को लेकर कुछ बिंदुओं पर टिप्पणी की थी. सिटी एसपी ने कुछ और बिंदुओं पर जांच करने की सलाह दी थी. मसलन विधि-विज्ञान प्रयोगशाला गांधीनगर से प्राप्त जांच रिपोर्ट के बिंदु नंबर 12 और 13 का जिक्र रिपोर्ट में नहीं किया गया है. वहीं फोन पर डिलीटेड डेटा की एक डीवीडी बनाकर सीएफएसएल गांधीनगर से भेजी गयी थी, जांच अधिकारी के द्वारा उसका भी कोई अध्ययन नहीं किया गया. तत्कालीन सिटी एसपी ने इन सभी मामलों पर पूरी जांच करने का निर्देश दिया था.

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