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झारखंड में हर दशक में कम होता जा रहा वर्षापात! हर दस साल में 0.33 सेंटीग्रेड बढ़ रहा अधिकतम तापमान

झारखंड में मानसून लगातार अपना पैटर्न बदल रहा है. यही वजह है कि कभी ज्यादा बारिश तो कभी कम बारिश हो रही है. मौसम वैज्ञानिक अभिषेक का कहना है कि जलवायु परिवर्तन के वैश्विक कारणों का असर झारखंड पर भी दिखने लगा है. हर दशक यहां औसत रूप से अधिकतम तापमान में .33 सेंटीग्रेट बढ़ोतरी हो रही है.

Rainfall in Jharkhand is decreasing
Rainfall in Jharkhand is decreasing
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By ETV Bharat Jharkhand Team

Published : Sep 27, 2023, 7:50 PM IST

Updated : Sep 27, 2023, 8:25 PM IST

झारखंड में हर दशक में कम होता जा रहा वर्षापात

रांची: झारखंड में इन दिनों लगातार अच्छी वर्षा हो रही है. इसके कारण मानसून के आगमन से लेकर जून, जुलाई और अगस्त के शुरुआती 15-20 दिनों तक राज्य में वर्षापात औसत से 45-46% तक कम हुआ था, जो अब घट कर 27 % के करीब रह गया है. मानसूनी वर्षा के पैटर्न में बदलाव, राज्य में हर 10 वर्षों में औसत वर्षापात में कमी और उच्चतम तापमान में बढ़ोतरी को लेकर मौसम केंद्र रांची की रिसर्च रिपोर्ट इस ओर इशारा करती है कि अब हमें सचेत हो जाने की जरूरत है.

ये भी पढ़ें: Heavy Rain in Godda: लगातार बारिश से ढहा 113 साल पुराना स्कूल भवन, लोगों का जीना हुआ मुहाल

मानसून के पैटर्न में भी बदलाव: मौसम केंद्र रांची के निदेशक और वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक अभिषेक आनंद कहते हैं कि न सिर्फ साल दर साल औसत वर्षापात कम होता जा रहा है बल्कि मानसून का पैटर्न भी बदल रहा है. अभिषेक आनंद के अनुसार एक ओर जहां ग्लोबल वार्मिंग का असर झारखंड के ऊपर पड़ा है. वहीं राज्य बनने के बाद विकास के नाम पर कम होते घने जंगल, बढ़ता शहरीकरण, प्रदूषण और स्थानीय कारक भी इसके लिए जिम्मेदार हैं.

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ETV BHARAT GFX

अभिषेक आनंद ने कहा कि अब मानसून का 05 से 07 दिन देर से आना और जून, जुलाई और अगस्त महीने में के शुरुआती दिनों में कम वर्षापात की घटना लगातार देखी जा रही है. उन्होंने कहा कि एक और तथ्य रिसर्च के दौरान यह सामने आया है कि मानसून के समय में राज्य में ज्यादातर वर्षा बंगाल की खाड़ी में बने सिस्टम से हो रहा है, न कि मानसून की वजह से. उन्होंने कहा कि इस वजह से राज्य में एक जैसी बारिश सभी जिलों में नहीं होती. जिस क्षेत्र में बंगाल की खाड़ी में बने सिस्टम का असर होता है वहां अच्छी वर्षा हो जाती है और बाकी का इलाका सूखा रह जाता है. जबकि मानसूनी सिस्टम से वर्षा पूरे राज्य में होती थी. तब राज्य भर में वर्षा का डिस्ट्रीब्यूशन एक समान होता था.

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जलवायु परिवर्तन के वैश्विक कारणों को रोकना मुश्किल: मौसम वैज्ञानिक अभिषेक आनंद कहते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के वैश्विक कारणों को भले ही प्रदेश स्तर पर नहीं रोका जा सकता. परंतु मौसम में बदलाव करने वाले जो स्थानीय कारक हैं उसको जरूर काम किया जा सकता है. इसके लिए वनो का विस्तार और प्रदूषण फैलाने वाले कारकों को रोकना सबसे अधिक महत्वपूर्ण है.

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झारखंड में मौसम के हाल का ग्राफ

झारखंड में हर दशक में कम होता जा रहा वर्षापात

रांची: झारखंड में इन दिनों लगातार अच्छी वर्षा हो रही है. इसके कारण मानसून के आगमन से लेकर जून, जुलाई और अगस्त के शुरुआती 15-20 दिनों तक राज्य में वर्षापात औसत से 45-46% तक कम हुआ था, जो अब घट कर 27 % के करीब रह गया है. मानसूनी वर्षा के पैटर्न में बदलाव, राज्य में हर 10 वर्षों में औसत वर्षापात में कमी और उच्चतम तापमान में बढ़ोतरी को लेकर मौसम केंद्र रांची की रिसर्च रिपोर्ट इस ओर इशारा करती है कि अब हमें सचेत हो जाने की जरूरत है.

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मानसून के पैटर्न में भी बदलाव: मौसम केंद्र रांची के निदेशक और वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक अभिषेक आनंद कहते हैं कि न सिर्फ साल दर साल औसत वर्षापात कम होता जा रहा है बल्कि मानसून का पैटर्न भी बदल रहा है. अभिषेक आनंद के अनुसार एक ओर जहां ग्लोबल वार्मिंग का असर झारखंड के ऊपर पड़ा है. वहीं राज्य बनने के बाद विकास के नाम पर कम होते घने जंगल, बढ़ता शहरीकरण, प्रदूषण और स्थानीय कारक भी इसके लिए जिम्मेदार हैं.

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अभिषेक आनंद ने कहा कि अब मानसून का 05 से 07 दिन देर से आना और जून, जुलाई और अगस्त महीने में के शुरुआती दिनों में कम वर्षापात की घटना लगातार देखी जा रही है. उन्होंने कहा कि एक और तथ्य रिसर्च के दौरान यह सामने आया है कि मानसून के समय में राज्य में ज्यादातर वर्षा बंगाल की खाड़ी में बने सिस्टम से हो रहा है, न कि मानसून की वजह से. उन्होंने कहा कि इस वजह से राज्य में एक जैसी बारिश सभी जिलों में नहीं होती. जिस क्षेत्र में बंगाल की खाड़ी में बने सिस्टम का असर होता है वहां अच्छी वर्षा हो जाती है और बाकी का इलाका सूखा रह जाता है. जबकि मानसूनी सिस्टम से वर्षा पूरे राज्य में होती थी. तब राज्य भर में वर्षा का डिस्ट्रीब्यूशन एक समान होता था.

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जलवायु परिवर्तन के वैश्विक कारणों को रोकना मुश्किल: मौसम वैज्ञानिक अभिषेक आनंद कहते हैं कि ग्लोबल वार्मिंग और जलवायु परिवर्तन के वैश्विक कारणों को भले ही प्रदेश स्तर पर नहीं रोका जा सकता. परंतु मौसम में बदलाव करने वाले जो स्थानीय कारक हैं उसको जरूर काम किया जा सकता है. इसके लिए वनो का विस्तार और प्रदूषण फैलाने वाले कारकों को रोकना सबसे अधिक महत्वपूर्ण है.

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झारखंड में मौसम के हाल का ग्राफ
Last Updated : Sep 27, 2023, 8:25 PM IST
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