रांची: सबसे पहली बात तो ये कि जनजातीय महोत्सव (Tribal Festival) को लेकर जबरदस्त उत्साह दिखा. खासकर युवा वर्ग का उत्साह चरम पर था. कार्यक्रम स्थल पर आदिवासी समाज के लोग अपनी-अपनी मंडली बनाकर नाचते-गाते रहे. दूसरी तरफ तेज हवा के साथ दिन भर बारिश होती रही. कार्यक्रम स्थल के बाहर के होर्डिंग को संभालना मुश्किल हो रहा था. गमले पलट रहे थे. लेकिन व्यवस्था को बनाए रखने के लिए वॉलेंटियर्स भी जी-जान से लगे रहे. वाटर प्रुफ पंडाल में तिल रखने की जगह नहीं थी. बिना किसी गिला-शिकवा के लोग कार्यक्रम का लुत्फ उठा रहे थे. जब गायिका मेघा डाल्टन ने जोहार वाला गाना गाया तो पूरा पंडाल झूम उठा. सांस्कृतिक कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन (Chief Minister Hemant Soren) बीच-बीच में ताली बजाते और मुस्कुराते नजर आए. झामुमो सुप्रीमो शिबू सोरेन (JMM Supremo Shibu Soren) की तस्वीर लेने के लिए होड़ लगी थी.
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पूरे पंडाल में मुख्यमंत्री समेत सभी मंत्रियों की तस्वीर दिखी. लेकिन कार्यक्रम में सिर्फ झामुमो कोटे के मंत्री जगरनाथ महतो, जोबा मांझी और चंपई सोरेन नजर आए. मंच पर तीन और पब्लिक कॉरिडोर के बाई और दाईं तरफ दो बड़े स्क्रिन लगाए गये थे ताकि लोगों को कार्यक्रम का लुत्फ उठाने में कोई दिक्कत न हो. सुरक्षा की मुक्कमल व्यवस्था थी. खुद रांची के एसएसपी घूम-घूम कर व्यवस्था का जायजा लेते दिखे. मुख्य पंडाल के बाई तरफ जनजातीय समाज द्वारा निर्मित अलग-अलग प्रोडक्ट के स्टॉल लगाए गय थे. जबकि दाई ओर फुड काउंटर बनाया गया था. यहां सिर्फ परंपरागत जनजातीय व्यंजन परोसे जा रहे थे. वहां भी तिल रखने की जगह नहीं थी. डिमांड इतना था कि काउंटर वाले उसे पूरा नहीं कर पा रहे थे. लोग चर्चा कर रहे थे कि बारिश न होती तो कार्यक्रम का मजा दोगुना हो जाता.
कार्यक्रम का लुत्फ उठाने के लिए बड़ी संख्या में स्कूली छात्र-छात्राएं भी पहुंचे थे. कॉलेज की ज्यादातर छात्राएं लाल पट्टी वाली सफेद साड़ी पहनकर अपनी संस्कृति के प्रति आस्था और लगाव प्रकट करती नजर आईं. कार्यक्रम के शुभारंभ के वक्त विभागीय सचिव केके सोन ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के संदेश को पढ़ा तो पूरा परिसर तालियों से गूंज उठा. पद्मश्री मुकुंद नायक और पद्मश्री मधु मंसूरी ने अपने लोक गीत से लोगों को खूब झुमाया. छऊ नृत्व कलाकारों ने अपनी प्रस्तुति से समा बांध दिया.