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नकल की जांच के लिए कपड़े उतारने से आहत छात्रा का आत्मदाह, घटना के बाद सिस्टम पर उठते सवाल - कपड़े उतारने से आहत छात्रा

जमशेदपुर में चिटिंग के शक में कपड़े उतरवाने के बाद आत्मदाह करने वाली छात्रा की इलाज के दौरान मौत हो गई (Student died during treatment). शिक्षिका के कपड़े उतरवाने से वह इतनी आहत था कि उसमे खुदकुशी कर ली. अस्पताल में उसे सात दिनों तक बचाने की कोशिश की गई लेकिन आखिर में छात्रा की मौत हो गई. उसकी मौत पर सिस्टम पर कई बड़े सवाल खड़े होते हैं. उसकी मौत पूरे शैक्षणिक सिस्टम और हमारे सामाजिक ताने-बाने पर भी सवाल खड़े करती है.

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Published : Oct 30, 2022, 9:07 PM IST

रांची: जमशेदपुर में एक लड़की ने खुद को आग लगा लिया. ऋतु मुखी सिर्फ 14 साल की थी और नौवीं में पढ़ती थी. घर की माली हालत अच्छी नहीं थी. कुछ साल पहले सिर से पिता का साया उठ गया था. उसका सपना था कि पढ़-लिखकर सरकारी अफसर बने. वह अपनी मां सरस्वती मुखी और परिवार का सहारा बनना चाहती थी. मां को भी इस बिटिया से बड़ी उम्मीदें थीं. ऋतु मुखी स्वभाव से अंतमुर्खी थी. कक्षा में हमेशा शांत रहने वाली इस लड़की ने बीते 15 अक्टूबर को शाम में स्कूल से घर लौटने के बाद खुद पर केरोसिन छिड़क कर आग लगा ली. उस वक्त घर पर कोई नहीं था.

ये भी पढ़ें: छात्रा के कपड़े उतरवाने का मामला: आत्मदाह की कोशिश करने वाली ऋतु की मौत



मां और भाई किसी काम से बाहर थे और बहनों को उसने पड़ोस में भेज दिया था. आग की लपटें तेज हुईं तो वह सड़क की तरफ भागी और बेहोश होकर गिर पड़ी. शोर सुनकर आस-पास के लोग दौड़े और आग बुझाई, लेकिन वह 90 फीसदी जल चुकी थी. हॉस्पिटल में सात दिनों तक संघर्ष के बाद उसने आखिरकार बीते 21 अक्टूबर को दम तोड़ दिया. छात्रा के इस दर्दनाक अंत के साथ उसके सपने और उसकी एक मां और परिवार की कई उम्मीदें भी जलकर खाक हो गईं.

जमशेदपुर के सीतारामडेरा अंतर्गत छायानगर की इस छात्रा के आत्मदाह की वजह बेहद शॉकिंग है. टाटा मेन्स हॉस्पिटल में छह दिनों तक जिंदगी-मौत से लड़ती रही ऋतु ने पुलिस को दिये बयान में जो आपबीती बताई थी, वह इस तरह है- 'मैं शारदामणी स्कूल में नौवीं कक्षा में पढ़ती हूं. 14 अक्टूबर को शुरू हुई टर्मिनल परीक्षा में साइंस का एग्जाम देने गई थी. शाम 4 बजे इन्विजिलेटर चंद्रा दास ने मुझे यह कहते हुए पकड़ा कि मैं चीटिंग कर रही हूं. इसके बाद सभी के सामने उन्होंने मुझे तमाचा जड़ दिया. फिर सभी के सामने मेरे कपड़े उतरवा दिए. इससे पहले मैंने विरोध किया कि कपड़े के अंदर चिट नहीं है, तब उन्होंने कहा-तुम सयानी बनती हो, कपड़े उतारो. फिर वहां से मुझे प्रिंसिपल के कमरे में ले जाया गया. छुट्टी होने के बाद मैं अपने घर आ गई. इस घटना से इतनी शमिंर्दा थी कि मैंने बहनों को पड़ोसी के घर भेज दिया और कमरे में ही खुद को आग लगा ली.'

शिक्षिका चंद्रा दास अब जेल में हैं, हालांकि वह ऋतु के लगाये आरोपों से इनकार करती हैं, लेकिन क्लास की कई अन्य छात्राएं उस दिन हुई घटना की तस्दीक करती हैं. स्कूल की प्रिंसिपल गीता महतो को भी सस्पेंड कर दिया गया है. सीएम हेमंत सोरेन ने खुद घटना का संज्ञान लेते हुए प्रशासन को आवश्यक कार्रवाई का निर्देश दिया. ऋतु की मौत के बाद जमशेदपुर की उपायुक्त विजया जाधव जब उसकी मां को ढाढ़स बंधाने पहुंची, तो वह हाथ जोड़ते हुए बस कहती रही, मेरी बेटी को इंसाफ दिला दीजिए मैडम..उसकी क्या गलती थी मैडम? मैं अपनी बच्ची को बचा नहीं सकी.

बहरहाल, ऋतु के आत्मदाह की घटना अपने पीछे कई सवाल छोड़ गई है. हजारीबाग स्थित विनोबा भावे विश्वविद्यालय के रिटायर्ड व्याख्याता और शिक्षाविद डॉ एससी शर्मा कहते हैं, इस घटना के लिए पहली नजर में बेशक शिक्षिका ही कसूरवार लगती है, लेकिन असल में यह पूरे शैक्षणिक सिस्टम और हमारे सामाजिक ताने-बाने पर भी सवाल है. छात्रा खुद में घुटती हुई आत्मदाह के फैसले तक पहुंच गई और उसने किसी को अपने मन में मचे युद्ध की खबर तक नहीं होने दी. शैक्षणिक परिसरों से ऐसी खबरें अक्सर आ रही हैं. हम हर घटना पर सिर्फ अफसोस और किसी एक को कसूरवार ठहराकर आगे बढ़ जाते हैं. कॉरपोरल पनिशमेंट की घटनाएं पूरे सिस्टम पर सवाल हैं. इन्हें रोकने के लिए सिर्फ कानून बनाने से काम नहीं चलने वाला। शिक्षकों-छात्रों-अभिभावकों की लगातार काउंसलिंग की जरूरत है.

केवल झारखंड की ही बात करें तो हाल के दिनों में स्कूलों में छात्रों की प्रताड़ना की कई घटनाएं सामने आई हैं. 27 सितंबर को गुमला जिले के चैनपुर प्रखंड मुख्यालय स्थित संत माइकल इंग्लिश मीडियम स्कूल के शिक्षक विकास उर्फ सिरिल कुजूर ने एक साथ 13 छात्रों की बेरहमी से पीटा. शिक्षक ने बच्चों को डांस करने को कहा था. ये बच्चे डांस को राजी नहीं थे तो टीचर ने उनपर बेतरह डंडे बरसाये. कई बच्चे जख्मी हो गये. कई के हाथ-पांव सूज गये.

इस घटना से गुस्साये लोगों ने स्कूल के सामने धरना दिया और जुलूस निकाला. आखिरकार आरोपी शिक्षक को पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज जेल भेजा. बोकारो में भी 22 सितंबर को ऐसी ही घटना हुई. कसमार प्रखंड के प्लस-टू हाई स्कूल में स्कूल के शिक्षक विनीत कुमार झा ने एक छात्र राजकुमार महतो की जमकर पिटाई कर दी. छात्र के हाथ पर गहरी चोट आई है. इसके विरोध में दूसरे दिन छात्रों और अभिभावकों ने विद्यालय के मेन गेट पर मुख्य सड़क को जाम कर दिया और आरोपी शक्षिक पर कार्रवाई की मांग की. बाद में पुलिस ने कार्रवाई का आश्वासन देकर मामले को शांत कराया. 9 सितंबर को देवघर में एक निजी स्कूल में नौवीं कक्षा के एक नबालिग छात्र की कथित तौर पर वहां के एक गैर शैक्षणिक कर्मी ने जमकर पिटाई की और धूप में तीन घंटे तक खड़ा रखा, जिससे वह बेहोश हो गया.

छात्र के बेहोश होने के बाद उसे आनन फानन में उसके घर पहुंचा दिया गया, जहां से उसे परिजनों ने अस्पताल में भर्ती कराया. रांची जिले के इटकी प्रखंड के मॉडर्न इंग्लिश पब्लिक स्कूल की दो शिक्षिकाओं ने एक छात्र-छात्रा (रिश्ते में भाई-बहन) को बुरी तरह पीटा और उनके शरीर पर चोट के निशान उभर आए. इससे आहत होकर उनके पिता ने इटकी थाने में बीते 14 अक्टूबर को एफआईआर दर्ज कराई है.

रांची के एक प्रतिष्ठित स्कूल के प्राइमरी सेक्शन में लगभग तीन दशकों तक इंचार्ज रहीं रेणु तिवारी कहती हैं कि शिक्षक-शिक्षिकाओं के साथ छात्रों और अभिभावकों की लगातार काउंसलिंग कराई जानी चाहिए. स्कूल में बच्चों को शारीरिक या मानसिक दंड (कॉर्पोरल पनीशमेंट) या उनके साथ किसी भी तरह का भेदभाव अपराध की श्रेणी में आता है.

स्कूल प्रबंधन की जिम्मेदारी है कि वे ऐसा वातावरण बनायें जहां बच्चे खुद को सुरक्षित महसूस कर सकें. छात्र-छात्राओं की अनुशासनहीनता पर नियंत्रण के कई तरीके हो सकते हैं. मसलन, अभिभावकों को बुलाकर उनसे शिकायत की जानी चाहिए, गंभीर मामला हो तो अंडरटेकिंग लेना चाहिए. कार्पोरल पनिशमेंट किसी हाल में समस्या का हल नहीं है.

रांची: जमशेदपुर में एक लड़की ने खुद को आग लगा लिया. ऋतु मुखी सिर्फ 14 साल की थी और नौवीं में पढ़ती थी. घर की माली हालत अच्छी नहीं थी. कुछ साल पहले सिर से पिता का साया उठ गया था. उसका सपना था कि पढ़-लिखकर सरकारी अफसर बने. वह अपनी मां सरस्वती मुखी और परिवार का सहारा बनना चाहती थी. मां को भी इस बिटिया से बड़ी उम्मीदें थीं. ऋतु मुखी स्वभाव से अंतमुर्खी थी. कक्षा में हमेशा शांत रहने वाली इस लड़की ने बीते 15 अक्टूबर को शाम में स्कूल से घर लौटने के बाद खुद पर केरोसिन छिड़क कर आग लगा ली. उस वक्त घर पर कोई नहीं था.

ये भी पढ़ें: छात्रा के कपड़े उतरवाने का मामला: आत्मदाह की कोशिश करने वाली ऋतु की मौत



मां और भाई किसी काम से बाहर थे और बहनों को उसने पड़ोस में भेज दिया था. आग की लपटें तेज हुईं तो वह सड़क की तरफ भागी और बेहोश होकर गिर पड़ी. शोर सुनकर आस-पास के लोग दौड़े और आग बुझाई, लेकिन वह 90 फीसदी जल चुकी थी. हॉस्पिटल में सात दिनों तक संघर्ष के बाद उसने आखिरकार बीते 21 अक्टूबर को दम तोड़ दिया. छात्रा के इस दर्दनाक अंत के साथ उसके सपने और उसकी एक मां और परिवार की कई उम्मीदें भी जलकर खाक हो गईं.

जमशेदपुर के सीतारामडेरा अंतर्गत छायानगर की इस छात्रा के आत्मदाह की वजह बेहद शॉकिंग है. टाटा मेन्स हॉस्पिटल में छह दिनों तक जिंदगी-मौत से लड़ती रही ऋतु ने पुलिस को दिये बयान में जो आपबीती बताई थी, वह इस तरह है- 'मैं शारदामणी स्कूल में नौवीं कक्षा में पढ़ती हूं. 14 अक्टूबर को शुरू हुई टर्मिनल परीक्षा में साइंस का एग्जाम देने गई थी. शाम 4 बजे इन्विजिलेटर चंद्रा दास ने मुझे यह कहते हुए पकड़ा कि मैं चीटिंग कर रही हूं. इसके बाद सभी के सामने उन्होंने मुझे तमाचा जड़ दिया. फिर सभी के सामने मेरे कपड़े उतरवा दिए. इससे पहले मैंने विरोध किया कि कपड़े के अंदर चिट नहीं है, तब उन्होंने कहा-तुम सयानी बनती हो, कपड़े उतारो. फिर वहां से मुझे प्रिंसिपल के कमरे में ले जाया गया. छुट्टी होने के बाद मैं अपने घर आ गई. इस घटना से इतनी शमिंर्दा थी कि मैंने बहनों को पड़ोसी के घर भेज दिया और कमरे में ही खुद को आग लगा ली.'

शिक्षिका चंद्रा दास अब जेल में हैं, हालांकि वह ऋतु के लगाये आरोपों से इनकार करती हैं, लेकिन क्लास की कई अन्य छात्राएं उस दिन हुई घटना की तस्दीक करती हैं. स्कूल की प्रिंसिपल गीता महतो को भी सस्पेंड कर दिया गया है. सीएम हेमंत सोरेन ने खुद घटना का संज्ञान लेते हुए प्रशासन को आवश्यक कार्रवाई का निर्देश दिया. ऋतु की मौत के बाद जमशेदपुर की उपायुक्त विजया जाधव जब उसकी मां को ढाढ़स बंधाने पहुंची, तो वह हाथ जोड़ते हुए बस कहती रही, मेरी बेटी को इंसाफ दिला दीजिए मैडम..उसकी क्या गलती थी मैडम? मैं अपनी बच्ची को बचा नहीं सकी.

बहरहाल, ऋतु के आत्मदाह की घटना अपने पीछे कई सवाल छोड़ गई है. हजारीबाग स्थित विनोबा भावे विश्वविद्यालय के रिटायर्ड व्याख्याता और शिक्षाविद डॉ एससी शर्मा कहते हैं, इस घटना के लिए पहली नजर में बेशक शिक्षिका ही कसूरवार लगती है, लेकिन असल में यह पूरे शैक्षणिक सिस्टम और हमारे सामाजिक ताने-बाने पर भी सवाल है. छात्रा खुद में घुटती हुई आत्मदाह के फैसले तक पहुंच गई और उसने किसी को अपने मन में मचे युद्ध की खबर तक नहीं होने दी. शैक्षणिक परिसरों से ऐसी खबरें अक्सर आ रही हैं. हम हर घटना पर सिर्फ अफसोस और किसी एक को कसूरवार ठहराकर आगे बढ़ जाते हैं. कॉरपोरल पनिशमेंट की घटनाएं पूरे सिस्टम पर सवाल हैं. इन्हें रोकने के लिए सिर्फ कानून बनाने से काम नहीं चलने वाला। शिक्षकों-छात्रों-अभिभावकों की लगातार काउंसलिंग की जरूरत है.

केवल झारखंड की ही बात करें तो हाल के दिनों में स्कूलों में छात्रों की प्रताड़ना की कई घटनाएं सामने आई हैं. 27 सितंबर को गुमला जिले के चैनपुर प्रखंड मुख्यालय स्थित संत माइकल इंग्लिश मीडियम स्कूल के शिक्षक विकास उर्फ सिरिल कुजूर ने एक साथ 13 छात्रों की बेरहमी से पीटा. शिक्षक ने बच्चों को डांस करने को कहा था. ये बच्चे डांस को राजी नहीं थे तो टीचर ने उनपर बेतरह डंडे बरसाये. कई बच्चे जख्मी हो गये. कई के हाथ-पांव सूज गये.

इस घटना से गुस्साये लोगों ने स्कूल के सामने धरना दिया और जुलूस निकाला. आखिरकार आरोपी शिक्षक को पुलिस ने प्राथमिकी दर्ज जेल भेजा. बोकारो में भी 22 सितंबर को ऐसी ही घटना हुई. कसमार प्रखंड के प्लस-टू हाई स्कूल में स्कूल के शिक्षक विनीत कुमार झा ने एक छात्र राजकुमार महतो की जमकर पिटाई कर दी. छात्र के हाथ पर गहरी चोट आई है. इसके विरोध में दूसरे दिन छात्रों और अभिभावकों ने विद्यालय के मेन गेट पर मुख्य सड़क को जाम कर दिया और आरोपी शक्षिक पर कार्रवाई की मांग की. बाद में पुलिस ने कार्रवाई का आश्वासन देकर मामले को शांत कराया. 9 सितंबर को देवघर में एक निजी स्कूल में नौवीं कक्षा के एक नबालिग छात्र की कथित तौर पर वहां के एक गैर शैक्षणिक कर्मी ने जमकर पिटाई की और धूप में तीन घंटे तक खड़ा रखा, जिससे वह बेहोश हो गया.

छात्र के बेहोश होने के बाद उसे आनन फानन में उसके घर पहुंचा दिया गया, जहां से उसे परिजनों ने अस्पताल में भर्ती कराया. रांची जिले के इटकी प्रखंड के मॉडर्न इंग्लिश पब्लिक स्कूल की दो शिक्षिकाओं ने एक छात्र-छात्रा (रिश्ते में भाई-बहन) को बुरी तरह पीटा और उनके शरीर पर चोट के निशान उभर आए. इससे आहत होकर उनके पिता ने इटकी थाने में बीते 14 अक्टूबर को एफआईआर दर्ज कराई है.

रांची के एक प्रतिष्ठित स्कूल के प्राइमरी सेक्शन में लगभग तीन दशकों तक इंचार्ज रहीं रेणु तिवारी कहती हैं कि शिक्षक-शिक्षिकाओं के साथ छात्रों और अभिभावकों की लगातार काउंसलिंग कराई जानी चाहिए. स्कूल में बच्चों को शारीरिक या मानसिक दंड (कॉर्पोरल पनीशमेंट) या उनके साथ किसी भी तरह का भेदभाव अपराध की श्रेणी में आता है.

स्कूल प्रबंधन की जिम्मेदारी है कि वे ऐसा वातावरण बनायें जहां बच्चे खुद को सुरक्षित महसूस कर सकें. छात्र-छात्राओं की अनुशासनहीनता पर नियंत्रण के कई तरीके हो सकते हैं. मसलन, अभिभावकों को बुलाकर उनसे शिकायत की जानी चाहिए, गंभीर मामला हो तो अंडरटेकिंग लेना चाहिए. कार्पोरल पनिशमेंट किसी हाल में समस्या का हल नहीं है.

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